मेरठ। उत्तर प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर पॉज़िटिव निगेटिव का खेल चल रहा है। सहारनपुर में हुए इस अनूठे भंडाफोड़ के बाद डॉक्टरों ने इसे साजिश का 'खेला' बताया है। मामला सहारनपुर के V-Bros Hospital का है जहां शनिवार 27 मार्च को 38 डॉक्टर व कर्मचारी कोविड पॉजिटिव मिले थे जो अगले ही दिन 28 मार्च को सभी 38 के 38 कोरोना निगेटिव आ गए। इस बीच हॉस्पिटल सील होने से खासी बदनामी भी हुई। जिसे लेकर हॉस्पिटल प्रबंधन अब इसे साजिश का 'खेला' करार दे रहा है तो सरकारी महकमा मौन तान गया है। कोरोना संक्रमण के दोबारा से बढ़ते खतरे के बीच सहारनपुर की यह घटना जानकर हर कोई हैरान है।
मामला दिलचस्प है। 27 मार्च को V-Bros Hospital दिल्ली रोड, सहारनपुर में लगभग 90 हॉस्पिटल कर्मचारियों की जिला प्रशासन द्वारा कोविड एंटीजन टेस्टिंग कराई गई जिसमें 38 हॉस्पिटल कर्मचारियों की एंटीजन रिपोर्ट पॉज़िटिव आई, इस पर जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया और आनन-फानन में हॉस्पिटल को सैनिटाइजेशन हेतू 48 घंटों के लिए प्रशासनिक आदेश पर बंद कर दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस सोढ़ी द्वारा बताया गया कि V-Bros के 6 डॉक्टरों सहित 38 हॉस्पिटल कर्मचारी एंटीजन टेस्टिंग में कोरोना पॉजिटिव आए हैं। लिहाजा हॉस्पिटल बंद कराया गया है। वहीं, इतनी बड़ी तादाद में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद हॉस्पिटल को सैनिटाइज कराया जा रहा है। सभी चिकित्सकों समेत स्टाफ को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है।
यही नहीं, सिर्फ डॉक्टरों को ही क्वॉरेंटाइन नहीं किया गया है। इस अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में जितने भी लोगों ने अपना उपचार कराया है, अब उन सभी की कोरोना वायरस की जांच कराई जाएगी। ऐसे सभी लोगों को सूचित किया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में इस अस्पताल की ओपीडी में आने वाले लोगों को भी सूचित किया जा रहा है। उनके मोबाइल नंबर और घर के पते हॉस्पिटल से लिए जा रहे हैं।
लेकिन असली 'खेला' इसके बाद शुरू होता है। मसलन हॉस्पिटल प्रबंधन के द्वारा शक होने पर सभी 38 लोगों का RTPCR टेस्ट कराया गया जिसमें सभी 38 के 38 की रिपोर्ट निगेटिव आ गई। यही नहीं, इसके बाद एक और लैब से RTPCR जांच कराई गई वो भी निगेटिव आई है।
एंटीजन की संदिग्ध रिपोर्ट के आधार पर आनन फानन में 48 घंटे के लिए बंद कराए गए हॉस्पिटल की जब दो अलग अलग आईसीएमआर अप्रूव्ड पैथोलॉजी लैब से जांच कराई गई तो सभी डॉक्टर और स्टाफ RTPCR टेस्ट में कोरोना निगेटिव पाए गए। इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस सोढ़ी को भी अपनी तरफ से वी-ब्रॉस हॉस्पिटल को क्लीन चिट देते हुए सभी चिकित्सकीय सुविधाएं शुरू करने की अनुमति जारी करनी पड़ी है।
हॉस्पिटल प्रबंधन ने एंटीजन रिपोर्ट सवाल उठाते हुए पॉजिटिव निगेटिव के खेल के पीछे साजिश का 'खेला' होना बताया है। वहीं लोगों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार की कोरोना जांच को लेकर भी बहस छिड़ गई है।
वी-ब्रॉस हॉस्पिटल द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. असित सेन ने हॉस्पिटल की बढ़ती लोकप्रियता खत्म करने की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि वी ब्रॉस सहारनपुर का पहला हॉस्पिटल है जो बाहर से आने के बाद 24 घंटे सेवा देने का काम कर रहा है। जिसकी बढ़ती लोकप्रियता यहां के कुछ चिकित्सकों को हजम नहीं हो पा रही है। ऐसे लोग षड्यंत्र कर उन्हें बदनाम करना चाहते हैं। उनकी छवि खराब करना चाहते हैं।
हॉस्पिटल प्रबंधन के निशाने पर स्वास्थ्य महकमा व पुलिस प्रशासन भी रहा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रबंधन ने कहा कि एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव होने की रिपोर्ट तक भी जिला प्रशासन द्वारा उन्हें मुहैया नहीं कराई जा रही है। उन्होंने पूछा कि अगर एंटीजन टेस्ट में वो पॉजिटिव थे तो वो पॉजिटिव रिपोर्ट कहां है? उनके द्वारा 38 लोगो की जो एंटीजन रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड की गई हैं उनमें तो सभी में एंटीजन निगेटिव ही लिखा है।
प्रबंधन के अनुसार, पुलिस उन्हें रात में कॉल कर धमका रही है तो कभी स्वास्थ्य महकमे के लोग आकर धमकी दे रहे हैं। खैर, साजिश थी या कुछ और यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर कोरोना जैसी सदी की सबसे बड़ी महामारी की जांच में इतने बड़े स्तर पर लापरवाही कैसे हुई? क्या सचमुच में कोई 'खेला' ही हो रहा है। ऐसा है तो कौन अधिकारी व कर्मचारी दोषी हैं? सवाल यह भी है कि हॉस्पिटल प्रबंधन को आखिर कौन और क्यों धमका रहा है? इसकी भी जांच जरूरी है।
मामला दिलचस्प है। 27 मार्च को V-Bros Hospital दिल्ली रोड, सहारनपुर में लगभग 90 हॉस्पिटल कर्मचारियों की जिला प्रशासन द्वारा कोविड एंटीजन टेस्टिंग कराई गई जिसमें 38 हॉस्पिटल कर्मचारियों की एंटीजन रिपोर्ट पॉज़िटिव आई, इस पर जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया और आनन-फानन में हॉस्पिटल को सैनिटाइजेशन हेतू 48 घंटों के लिए प्रशासनिक आदेश पर बंद कर दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस सोढ़ी द्वारा बताया गया कि V-Bros के 6 डॉक्टरों सहित 38 हॉस्पिटल कर्मचारी एंटीजन टेस्टिंग में कोरोना पॉजिटिव आए हैं। लिहाजा हॉस्पिटल बंद कराया गया है। वहीं, इतनी बड़ी तादाद में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद हॉस्पिटल को सैनिटाइज कराया जा रहा है। सभी चिकित्सकों समेत स्टाफ को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है।
यही नहीं, सिर्फ डॉक्टरों को ही क्वॉरेंटाइन नहीं किया गया है। इस अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में जितने भी लोगों ने अपना उपचार कराया है, अब उन सभी की कोरोना वायरस की जांच कराई जाएगी। ऐसे सभी लोगों को सूचित किया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में इस अस्पताल की ओपीडी में आने वाले लोगों को भी सूचित किया जा रहा है। उनके मोबाइल नंबर और घर के पते हॉस्पिटल से लिए जा रहे हैं।
लेकिन असली 'खेला' इसके बाद शुरू होता है। मसलन हॉस्पिटल प्रबंधन के द्वारा शक होने पर सभी 38 लोगों का RTPCR टेस्ट कराया गया जिसमें सभी 38 के 38 की रिपोर्ट निगेटिव आ गई। यही नहीं, इसके बाद एक और लैब से RTPCR जांच कराई गई वो भी निगेटिव आई है।
एंटीजन की संदिग्ध रिपोर्ट के आधार पर आनन फानन में 48 घंटे के लिए बंद कराए गए हॉस्पिटल की जब दो अलग अलग आईसीएमआर अप्रूव्ड पैथोलॉजी लैब से जांच कराई गई तो सभी डॉक्टर और स्टाफ RTPCR टेस्ट में कोरोना निगेटिव पाए गए। इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस सोढ़ी को भी अपनी तरफ से वी-ब्रॉस हॉस्पिटल को क्लीन चिट देते हुए सभी चिकित्सकीय सुविधाएं शुरू करने की अनुमति जारी करनी पड़ी है।
हॉस्पिटल प्रबंधन ने एंटीजन रिपोर्ट सवाल उठाते हुए पॉजिटिव निगेटिव के खेल के पीछे साजिश का 'खेला' होना बताया है। वहीं लोगों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार की कोरोना जांच को लेकर भी बहस छिड़ गई है।
वी-ब्रॉस हॉस्पिटल द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. असित सेन ने हॉस्पिटल की बढ़ती लोकप्रियता खत्म करने की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि वी ब्रॉस सहारनपुर का पहला हॉस्पिटल है जो बाहर से आने के बाद 24 घंटे सेवा देने का काम कर रहा है। जिसकी बढ़ती लोकप्रियता यहां के कुछ चिकित्सकों को हजम नहीं हो पा रही है। ऐसे लोग षड्यंत्र कर उन्हें बदनाम करना चाहते हैं। उनकी छवि खराब करना चाहते हैं।
हॉस्पिटल प्रबंधन के निशाने पर स्वास्थ्य महकमा व पुलिस प्रशासन भी रहा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रबंधन ने कहा कि एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव होने की रिपोर्ट तक भी जिला प्रशासन द्वारा उन्हें मुहैया नहीं कराई जा रही है। उन्होंने पूछा कि अगर एंटीजन टेस्ट में वो पॉजिटिव थे तो वो पॉजिटिव रिपोर्ट कहां है? उनके द्वारा 38 लोगो की जो एंटीजन रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड की गई हैं उनमें तो सभी में एंटीजन निगेटिव ही लिखा है।
प्रबंधन के अनुसार, पुलिस उन्हें रात में कॉल कर धमका रही है तो कभी स्वास्थ्य महकमे के लोग आकर धमकी दे रहे हैं। खैर, साजिश थी या कुछ और यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर कोरोना जैसी सदी की सबसे बड़ी महामारी की जांच में इतने बड़े स्तर पर लापरवाही कैसे हुई? क्या सचमुच में कोई 'खेला' ही हो रहा है। ऐसा है तो कौन अधिकारी व कर्मचारी दोषी हैं? सवाल यह भी है कि हॉस्पिटल प्रबंधन को आखिर कौन और क्यों धमका रहा है? इसकी भी जांच जरूरी है।