नई दिल्ली। रामजस कॉलेज में हो रहे बवाल के बीच दिल्ली पुलिस के ऊपर एक संगीन आरोप लगा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रामजस कॉलेज मामले में 13 शिकायतों के बावजूद पुलिस ने सिर्फ एक ही एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर भी एसएचओ आरती शर्मा ने दर्ज कराई थी, जो खुद भी झड़प में प्रदर्शनकारियों द्वारा घायल हुई थीं। इसके अलावा सूत्रों ने अखबार को यह भी बताया था कि वामपंथ विचारधारा वाले छात्रों ने 7 लिखित शिकायतें, एबीवीपी सदस्यों ने 5 और तीस हजारी कोर्ट के वकील ने एक शिकायत दर्ज कराई थी।
शर्मा की शिकायत पर जो एफआईआर दर्ज की गई थी, वह दंगे और पुलिस अधिकारियों पर हमला करने को लेकर थी। जबकि पिछले हफ्ते जब छात्रों ने आईटीओ पर गुरुवार को पुलिस हेडक्वॉटर्स के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था, तो पुलिस ने इस मामले में जांच का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब तक छात्रों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
छात्रों का आरोप था कि पिछले बुधवार मॉरिस नगर पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी के लोगों ने दूसरे संगठनों के छात्रों को पीटा था। बाद में एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें दिखाई दे रहा था कि पुलिस अधिकारी छात्राओं को पीट रहे थे।
इतना ही नहीं कई मीडिया संस्थानों के पत्रकारों पर भी हमला किया गया था। एक मीडिया संस्थान में काम करने वाली महिला पत्रकार ने वीडियो भी बनाई थी, जिसमें पुलिसवाले एक छात्रा को मुक्का मार रहे हैं और उस पर हमला कर रहे हैं।
दूसरी ओर, जिस छात्रा पर कुछ लड़कों ने हमला किया था, उसने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जिन्होंने उस पर हमला किया, उनके नाम वह पुलिस को मुहैया करा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसने आरोप लगाया कि जब उस पर हमला हुआ तो पुलिस वाले मौजूद थे, लेकिन उन्होंने फिर भी कुछ नहीं किया।
हालांकि इस घटना को झड़प का नाम दिया जा रहा है, लेकिन हादसे में पीटे गए छात्रों का कहना है कि यह हमला था झड़प नहीं। एक छात्र ने बताया कि यह दो छात्र समूहों के बीच झगड़ा नहीं था, यह सीधा-सीधा हमला था। हम रामजस कॉलेज के अंदर नहीं थे, लेकिन तभी गेट के पार से एक पत्थर हमारी तरफ आया। उन्होंने लड़कियों को रेप की भी धमकी दी। एक ने लड़कियों से कहा कि उन्होंने उनकी तस्वीरें ले ली हैं और वह रात को उनके पास आएगा।
इसके बाद इस हिंसक प्रदर्शन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें प्रदर्शन के दौरान कश्मीर की आजादी के नारे लगाते देखे गए थे। वीडियो में प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स की आजादी’ और ‘कश्मीर की आजादी’ के नारे लगाते दिख रहे थे।
(साभार- जनसत्ता)
शर्मा की शिकायत पर जो एफआईआर दर्ज की गई थी, वह दंगे और पुलिस अधिकारियों पर हमला करने को लेकर थी। जबकि पिछले हफ्ते जब छात्रों ने आईटीओ पर गुरुवार को पुलिस हेडक्वॉटर्स के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था, तो पुलिस ने इस मामले में जांच का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब तक छात्रों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
छात्रों का आरोप था कि पिछले बुधवार मॉरिस नगर पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी के लोगों ने दूसरे संगठनों के छात्रों को पीटा था। बाद में एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें दिखाई दे रहा था कि पुलिस अधिकारी छात्राओं को पीट रहे थे।
इतना ही नहीं कई मीडिया संस्थानों के पत्रकारों पर भी हमला किया गया था। एक मीडिया संस्थान में काम करने वाली महिला पत्रकार ने वीडियो भी बनाई थी, जिसमें पुलिसवाले एक छात्रा को मुक्का मार रहे हैं और उस पर हमला कर रहे हैं।
दूसरी ओर, जिस छात्रा पर कुछ लड़कों ने हमला किया था, उसने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जिन्होंने उस पर हमला किया, उनके नाम वह पुलिस को मुहैया करा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसने आरोप लगाया कि जब उस पर हमला हुआ तो पुलिस वाले मौजूद थे, लेकिन उन्होंने फिर भी कुछ नहीं किया।
हालांकि इस घटना को झड़प का नाम दिया जा रहा है, लेकिन हादसे में पीटे गए छात्रों का कहना है कि यह हमला था झड़प नहीं। एक छात्र ने बताया कि यह दो छात्र समूहों के बीच झगड़ा नहीं था, यह सीधा-सीधा हमला था। हम रामजस कॉलेज के अंदर नहीं थे, लेकिन तभी गेट के पार से एक पत्थर हमारी तरफ आया। उन्होंने लड़कियों को रेप की भी धमकी दी। एक ने लड़कियों से कहा कि उन्होंने उनकी तस्वीरें ले ली हैं और वह रात को उनके पास आएगा।
इसके बाद इस हिंसक प्रदर्शन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें प्रदर्शन के दौरान कश्मीर की आजादी के नारे लगाते देखे गए थे। वीडियो में प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स की आजादी’ और ‘कश्मीर की आजादी’ के नारे लगाते दिख रहे थे।
(साभार- जनसत्ता)