करनाल: फर्जी केस के विरोध में आंदोलन कर रहे दलित आंदोलनकारियों को जबरन उठा ले गई पुलिस

Published on: April 26, 2017
अंबाला। भाजपा शासित हरियाणा राज्य के करनाल के पतरेहड़ी गांव में 13 मार्च को होली के दिन दलित समुदाय और राजपूतों के बीच हुए झगड़े का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल उस झगड़े में एक राजपूत कंवरपाल की मौत हो गई थी। जिसके बाद हरियाणा पुलिस ने दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। दलित समुदाय के लोगों का आरोप था कि पुलिस ने बेकसूर लोगों को भी मुकदमें में शामिल कर लिया है। इसी के खिलाफ दलित समुदाय के लोगों ने पिछले चार दिनों से सीएम सिटी करनाल के कर्ण पार्क में डेरा डाला था।

Karnal

देर शाम को प्रदर्शन कर रहे इन लोगों को पुलिस बसों में भरकर अंबाला के शहजादपुर थाने में लाया गया। यहां पर भी दलित समुदाय ने जमकर नारेबाजी की। पुलिस अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया। इसके बाद सभी प्रदर्शनकारी अपने-अपने गांव में जाने के लिए तैयार हो गए। इस प्रदर्शन में जिले भर के दलित समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया और एकजुट होकर करनाल में कूच कर गए थे। 
 
बता दें कि 13 मार्च के झगड़े में कंवरपाल की पीजीआई में मौत हो गई थी और राजपूत के लोगों ने शव सड़क पर रखकर रोड जाम कर दिया था। राजपूत लोगों ने उन पर एससी/एसटी एक्ट हटाने और कंवरपाल की मौत के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी। दूसरी तरफ दलित समुदाय के लोगों ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए हंगामा किया था। दलित समुदाय का आरोप था कि पुलिस बेकसूर लोगों को मुकदमे में गिरफ्तार किया था। 
 
इसी विरोध में दलित समुदाय के लोग करनाल गए थे देर शाम को गिरफ्तारी के बाद शहजादपुर में सभी दलित समुदाय के लोगों को लाया गया था। जहां पर लोगों ने मुख्यमंत्री और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दलित समाज के लोगों को प्रशासन के निर्देश पर पुलिस ने पुलिस वैन से उनके गंतव्य स्थान पर छोड़ दिया। धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों के सामान को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। 
 
सिविल थाना प्रभारी मोहन लाल ने बताया कि सोमवार को पतरेहड़ी गांव के मामले में दलित समाज की 13 सदस्यीय कमेटी ने सीएम को मांग-पत्र सौंपा था। जिसपर सीएम ने समाज के लोगों को उचित कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है। अंबाला के एडीसी ने भी दलित समाज के लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। मंगलवार को दिनभर दलित समाज के लोग कर्ण पार्क में ही बैठे रहे। 

दोपहर बाद जैसे ही वे कर्ण पार्क में प्रदर्शन करने लगे, तो पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि शहर के बाहर नहीं जाने देंगे। अगर जाना है, तो बस में बैठो। पुलिस ने तीन बसों से धरने पर बैठे दलित समाज के लोगों को शहर से बाहर छोड़कर धरना खत्म कराया। 

(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)

Courtesy: National Dastak
 

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