किसानों का डेथ वारंट लाकर अब उनकी जान लेने के तरीके पर विचार कर रही है मोदी सरकार: पी. साईनाथ

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 19, 2020
नई दिल्ली। कृषि कानूनों की वापसी के लिए किसान आंदोलन की राह पर हैं। पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया में इनकी चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत अमित शाह कह रहे हैं कि नए कानूनों में किसानों का कोई नुकसान नहीं है बल्कि सारा ही फायदा है। इस बीच ग्रामीण जर्नलिज्म के तौर पर पहचान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में साईनाथ सरकार के झूठ की पोल खोल रहे हैं। 



साईनाथ का कहना है कि ये वक्त है कि जो लोग किसान नहीं हैं, उन्हें इन कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का समर्थन करना चाहिए। मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए उन्होंने 2014 के बीजेपी के मेनीफेस्टो की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने मेनीफेस्टो में लिखा था कि वे सरकार बनने के बाद 12 महीने में स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे। लेकिन बीजेपी सरकार अगले साल कोर्ट में एफिडेविट दिया कि ये हम नहीं कर सकते हैं, इससे बाजार खराब होता है। साईनाथ ने आगे कहा कि सरकार को बाजार खराब होने की फिक्र सता रही है जबकि किसान की दुनिया खराब हो रही है। 



पी साईनाथ के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बीच ऐसे कानून लाकर गलती की है और वो माहौल को समझ नहीं पाई है। सरकार को लगा कि अगर वो इस वक्त कानून लाएंगे, तो कोई विरोध नहीं कर सकेगा। लेकिन उन्होंने ये गलत अनुमान लगाया और आज हजारों की संख्या में किसान सड़कों पर हैं।  

एक कार्यक्रम में किसानों के बीच बोलते हुए कृषि कानून को लेकर पी. साईनाथ ने कहा कि APMC एक्ट का क्लॉज 18 और 19, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में दिक्कतें हैं जो किसानों को किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं देते हैं। 

पी. साईनाथ ने कहा कि भारत के संविधान का आर्टिकल 19 देश के लोगों को अपनी आवाज उठाने का अधिकार देता है। लेकिन कृषि कानून के ये एक्ट किसी भी तरह की कानूनी चुनौती देने से रोकते हैं। इसमें सिर्फ ये नहीं कि किसान नहीं कर सकते, बल्कि कोई भी नहीं कर पाएगा। 

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कुल तीन कानून पास किए हैं, जिनके तहत किसान मंडी के बाहर अपनी फसल बेच सकेंगे। प्राइवेट कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर किसानों से खेती करवा सकेंगी। हालांकि, कानून में MSP को लेकर कोई ठोस नियम नहीं है। 

अब किसानों की ओर से इसी का विरोध हो रहा है, किसानों का कहना है कि मंडी में MSP और पैसों की गारंटी मिलती है लेकिन बाहर नहीं होगी। ऐसे में सरकार को MSP से नीचे फसल खरीदने वालों पर एक्शन का प्रावधान शामिल करना चाहिए। हालांकि, सरकार इसपर नहीं मान रही है। 

नए कानून को लेकर किसानों ने कई तरह की चिंता व्यक्त की हैं, किसान संगठनों के मुताबिक, इससे APMC एक्ट कमजोर होगा, जो मंडियों को ताकत देता है। ऐसा होते ही MSP की गारंटी भी खत्म होने लगेगी जिसका सीधा नुकसान भविष्य में किसान को उठाना होगा। 

किसानों के मुताबिक, कानून लागू होने के बाद कॉरपोरेट खरीदार अधिक दाम पर फसल ले सकते हैं लेकिन एक-दो साल बाद उनपर MSP का जब कोई दबाव नहीं होगा तो वो मनचाहा दाम लेंगे। और तब किसान के पास कोई ऑप्शन नहीं होगा।

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