केरल, बंगाल, तमिलनाडु ही नहीं, 10 राज्यों के उपचुनावों के नतीजे भी भाजपा के अनुकूल नहीं

Written by Navnish Kumar | Published on: May 4, 2021
केरल व तमिलनाडु के साथ पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे, भाजपा के लिए झटका माने जा रहे हैं, तो सिर्फ इसलिए कि पार्टी ने जितनी ताकत झोंकी थी और अपनी प्रतिष्ठा जिस रूप में वहां दांव पर लगा दी थी, नतीजा उसके मुताबिक नहीं रहा। बल्कि उसने जो ध्रुवीकरण किया, उसका भी लाभ उल्टे तृणमूल कांग्रेस को मिला। तमाम भाजपा विरोधी वोट उसके खेमे में चले गए और उसने लगातार तीसरी बार बड़ी जीत दर्ज कर ली। इस बार की जीत इसलिए और ज्यादा बड़ी है, क्योंकि मुकाबले का धरातल समान नहीं था। यहां बात सिर्फ निर्वाचन आयोग की भाजपा समर्थक भूमिका की नहीं है। बल्कि पैसे और प्रचार के मामले में भी ममता का, मोदी-शाह की जोड़ी से कोई मुकाबला नहीं है।



इस सबके बावजूद भाजपा की करारी हार हुई है। आलम यह है कि भाजपा के तीन सांसद, विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। इनमें जाने-माने पत्रकार व राज्यसभा के मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता थे जिन्हें तारकेश्वर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया था। वे हार गए हैं। हालांकि उन्होंने चुनाव से पहले राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बावजूद भाजपा के लिए बड़ी शर्मिंदगी वाली बात है कि उसने अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए राज्यसभा के मनोनीत सांसद तक को चुनाव में कुदा दिया। वहीं, केंद्रीय मंत्री सांसद व गायक बाबुल सुप्रियो टॉलीगंज सीट, जो बांग्ला फिल्मों का केंद्र है, से चुनाव हार गए हैं। इसी तरह फिल्मों से जुड़ी एक और सांसद लॉकेट चटर्जी चुंचुरा सीट से चुनाव हार गई हैं। लेकिन सवाल इससे कहीं आगे 10 राज्यों में हुए उपचुनावों का भी है जिसके नतीजे भी भाजपा के अनुकूल नहीं आए हैं। 

केरल, बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ 10 राज्यों में हुए उपचुनावों में 4 लोकसभा सीटों में से भाजपा सिर्फ एक सीट ही जीत पाई है। विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को मध्य प्रदेश में करारा झटका लगा, जहां दमोह की प्रतिष्ठा वाली सीट पर भाजपा चुनाव नहीं जीत सकी। महाराष्ट्र में पंढरपुर सीट जीतने से जरूर भाजपा का मनोबल बढ़ेगा।

लोकसभा की 4 सीटों में आंध्रप्रदेश की तिरूपति सीट पर सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के मडिला गुरुमूर्ति ने तेलुगू देशम की पानाबाका लक्ष्मी को दो लाख 72 हजार वोट से हराया। कर्नाटक की बेलगाम सीट पर भाजपा अंगडी मंगल सुरेश, कांग्रेस के सतीश जरकिहोली से 5 हजार वोट से जीतीं। केरल की मल्लपुरम सीट सीपीएम को हराकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने जीती। तमिलनाडु कन्याकुमारी सीट पर कांग्रेस के विजय कुमारउर्फ विजय वसंत ने भाजपा के दिग्गज नेता पी राधाकृष्ण को हराया। राजस्थान में 3 विस सीटों पर हुए उपचुनाव में दो पर कांग्रेस व एक पर भाजपा जीती है। सुजानगढ़ और सहाड़ा सीट पर कांग्रेस और राजसमंद में भाजपा ने जीत दर्ज की। सहाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार गायत्री त्रिवेदी जीतीं जबकि राजसमंद से भाजपा उम्मीदवार दीप्ति माहेश्वरी को जीत मिली। सुजानगढ़ सीट से कांग्रेस उम्मीदवार मनोज मेघवाल चुनाव जीते।

गुजरात की मोरवा सीट पर भाजपा उम्मीदवार सुतार निमिषाबेन मनहरसिंह को बड़ी जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 46 हजार वोट से हराया। झारखंड में प्रतिष्ठा की सीट बनी मधुपुर में जेएमएम उम्मीदवार हफीजुल हसन ने भाजपा के गंगाचरण सिंह को पांच हजार वोट से हराया। कर्नाटक में दो सीटों पर चुनाव हुए थे। बासवकल्याण सीट पर भाजपा और मस्की सीट पर कांग्रेस जीती। मध्य प्रदेश में दमोह सीट पर कांग्रेस के अजय टंडन ने भाजपा के राहुल सिंह को 11 हजार वोट से हराया। महाराष्ट्र की पढंरपुर सीट पर भाजपा ने एनसीपी को छह हजार वोट से हराया। उत्तराखंड की साल्ट सीट पर भाजपा को जीत मिली। तेलंगाना की एकमात्र सीट सत्तारूढ़ टीआरएस ने जीती।

हालांकि हार-जीत से अलग होकर देखें तो पश्चिम बंगाल में भाजपा का प्रदर्शन बुरा नहीं है। देश के ज्यादातर हिस्सों की तरह पश्चिम बंगाल में एक तिहाई से ज्यादा मतदाता उसके पक्ष में गोलबंद रहे है। दूसरी बात यह कि पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार में भाजपा गठबंधन के वोटों में जितनी गिरावट आई थी, उतनी पश्चिम बंगाल में नहीं आई है।

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