मोदी सरकार ने बदले यूपीए शासनकाल के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 2, 2018
2019 चुनाव से पहले और पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी के असर को कम करने का नया ही तरीका ढूंढ निकाला है. सरकार ने अगस्त में जारी आंकड़ो को खारिज कर दिया और नए आंकड़े जारी कर बताया कि 2014 से 2018 के बच एनडीए के पहले चार साल में विकास की रफ्तार यूपीए के दौर से ज्यादा रही है.



नीति आयोग और सांख्यिकी मंत्रालय के जारी आंकड़ों की मानें तो यूपीए के दौर में जीडीपी वह नहीं थी जो बताई गई थी. बुधवार को जारी नए आंकड़ों के मुताबिक 2005-06 के बीच जिस विकास दर को 8 फ़ीसदी से ऊपर माना जा रहा था, वह दरअसल 6.7 फ़ीसदी रही है.

नए आंकड़ों के मुताबिक 2005-06 में 9.3 प्रतिशत जीडीपी थी जिसे घटाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया गया है. 2006-07 की 9.3 प्रतिशत जीडीपी को घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है. 2007-08 की 9.8 प्रतिशत जीडीपी को घटाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया गया है. 2008-09 की 3.9 प्रतिशत जीडीपी को घटाकर 3.1 कर दिया गया है. जबकि 2009-10 की 8.5 प्रतिशत जीडीपी को घटाकर 7.9 प्रतिशत दिखाया गया है. 2010-11 की 10.3 प्रतिशत जीडीपी को घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया है.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, हमने नई मेथोडोलोजी का इस्तेमाल किया है जो पुरानी मेथोडोलोजी से बेहतर है.

लेकिन सवाल है, महज 4 महीनों में ये अंतर कैसे आ गया? नए आंकड़े बताते हैं कि अगर यूपीए के दस सालों में विकास दर 6.7 फ़ीसदी सालाना रही तो मोदी सरकार के 4 साल में औसतन 7.3% रही. 

नीति आयोग का कहना है, कमेटी के पिछले आंकड़ों पर भरोसा न करें. राजीव कुमार ने कहा - इन आंकड़ों के राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की कमेटी के आंकड़ों के हिसाब से मत देखिए.

पिछली बार जब 2011-12 बेस इयर के आधार पर नेशनल स्टेटिस्टिकल कमिशन ने अगस्त में आंकड़े जारी किए थे तब कांग्रेस ने दावा किया था कि यूपीए के शासन काल में औसत आर्थिक विकास दर एनडीए से बेहतर रही. अब नीति आयोग और सांख्यिकी मंत्रालय ने जिस तरह से आंकड़ों को बदल दिया है उससे इस मसले पर राजनीति गर्म हो गई है.

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने नीति आयोग को बंद करने की मांग की है. 

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