वाराणसी कमिश्नरेट में 18 साल से कम उम्र के बच्चे-बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। साल 2022 में 91 बच्चों-बच्चियों के साथ यौन हिंसा से संबंधित मुकदमे कमिश्नरेट के थानों में दर्ज हुए। यानी हर चार दिन बाद एक नाबालिग बच्चा या बच्ची यौन हिंसा का शिकार हुआ। इस बीच बीते साल आठ बच्चों की हत्या की गई, ऐसा एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वाराणसी में वर्ष 2022 में 18 वर्ष से कम आयु के 46 बच्चे-बच्चियों के साथ दुष्कर्म हुआ। 41 नाबालिग बच्चियों के साथ छेड़खानी हुई। इसके अलावा चार नाबालिग के लैंगिक उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए।
वहीं, 18 साल से कम आयु के 86 बच्चों-बच्चियों के अपहरण के मुकदमे दर्ज हुए। आईटी एक्ट के तहत बच्चों-बच्चियों से जुड़े 31 मामले दर्ज किए गए। इस तरह वाराणसी कमिश्नरेट के थानों में वर्ष 2022 में बच्चों-बच्चियों से संबंधित भारतीय दंड संहिता और विशेष व स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 241 मुकदमे दर्ज किए गए।
वाराणसी में रोजाना घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं महिलाएं
अमर उजाला ने एनसीआरबी के आंकड़ों से उद्धत करते हुए बताया कि वाराणसी में रोजाना विवाहिताएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में वाराणसी की 485 महिलाओं ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए। साल भर में दहेज हत्या के 25 मुकदमे दर्ज किए गए और नौ महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसाया गया। 208 महिलाओं का अपहरण हुआ। इनमें 128 महिलाओं का अपहरण शादी के उद्देश्य से किया गया। वर्ष 2022 में वाराणसी में भारतीय दंड संहिता और विशेष व स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत महिलाओं से संबंधित 1011 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
जिले में हर तीन दिन बाद छेड़खानी, छठे दिन दुष्कर्म
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद भी वाराणसी में युवतियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, ऐसा एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं। वर्ष 2022 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 61 मुकदमे और दुष्कर्म के प्रयास के आरोप में एक मुकदमा दर्ज किया गया। इस तरह से औसतन हर छठे दिन एक महिला से दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। इसी तरह छेड़खानी के 113 मामले दर्ज हुए। यानी, हर तीन दिन बाद एक महिला से छेड़खानी का मामला दर्ज किया गया।
प्रत्येक आठ दिन बाद हत्या, हर एक दिन बाद सड़क हादसे में मौत
जिले में वर्ष 2022 में हर एक दिन बाद सड़क हादसे में मौत हुई। एक साल में 275 लोगों की जान सड़क हादसे में गई। वहीं, प्रत्येक आठ दिन बाद एक व्यक्ति की हत्या की गई। यानी, हत्या के 45 और हत्या के प्रयास के 14 मुकदमे दर्ज किए गए। इस तरह भारतीय दंड संहिता के तहत 8052 प्रकरण दर्ज किए गए।
2019 के बाद 2020-21 में घटा था अपराध, 2022 में फिर बढ़ा
एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार भारतीय दंड संहिता के तहत वर्ष 2019 में 6989 मामले दर्ज हुए थे। जबकि वर्ष 2020 में संख्या घटकर 5746 हो गई। वर्ष 2021 में भी 5720 मामले ही दर्ज हुए। जबकि वर्ष 2022 में अपराध का ग्राफ बढ़ गया और 8052 मामले दर्ज किए गए।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यौन उत्पीड़न के 38 मामले
युवतियों और महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी सुरक्षित नहीं है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में यौन उत्पीड़न के 38 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, अन्य स्थानों पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के 40 मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं की ताक-झांक के आरोप में आठ, उनका पीछा करने के आरोप में नौ और उन्हें डराने-धमकाने के इरादे से उन पर हमला या आपराधिक बल के प्रयोग के आरोप में 17 मामले दर्ज हैं।
जिले में साल भर रोजाना चोरी हुए दो से ज्यादा वाहन
2022 में चोरी और सेंधमारी के 1250 प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें 857 प्रकरण वाहन चोरी और 222 प्रकरण अन्य तरह की चोरी से संबंधित थे। 161 जगह रात में सेंधमारी की गई और 10 जगह दिन में सेंध लगाई गई। लूट के 26 मुकदमे और डकैती का एक मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी तरह से जबरन वसूली और ब्लैकमेल के 53 प्रकरण वर्ष 2022 में वाराणसी के थानों में दर्ज किए गए।
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वहीं, 18 साल से कम आयु के 86 बच्चों-बच्चियों के अपहरण के मुकदमे दर्ज हुए। आईटी एक्ट के तहत बच्चों-बच्चियों से जुड़े 31 मामले दर्ज किए गए। इस तरह वाराणसी कमिश्नरेट के थानों में वर्ष 2022 में बच्चों-बच्चियों से संबंधित भारतीय दंड संहिता और विशेष व स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 241 मुकदमे दर्ज किए गए।
वाराणसी में रोजाना घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं महिलाएं
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जिले में हर तीन दिन बाद छेड़खानी, छठे दिन दुष्कर्म
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प्रत्येक आठ दिन बाद हत्या, हर एक दिन बाद सड़क हादसे में मौत
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2019 के बाद 2020-21 में घटा था अपराध, 2022 में फिर बढ़ा
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पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यौन उत्पीड़न के 38 मामले
युवतियों और महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी सुरक्षित नहीं है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में यौन उत्पीड़न के 38 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, अन्य स्थानों पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के 40 मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं की ताक-झांक के आरोप में आठ, उनका पीछा करने के आरोप में नौ और उन्हें डराने-धमकाने के इरादे से उन पर हमला या आपराधिक बल के प्रयोग के आरोप में 17 मामले दर्ज हैं।
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