UP: महिला आयोग के आंकड़ों ने खोली उत्तर प्रदेश में योगी के महिला सुरक्षा के दावों की पोल

Written by Navnish Kumar | Published on: January 3, 2022
यूपी में महिला सुरक्षा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों की पोल खुद राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों ने ही खोल कर रख दी है। 2021 में देश मे महिलाओं के खिलाफ अपराध के रिकॉर्ड मामले दर्ज हुए हैं और सीएम योगी के दावे के उलट इनमें, आधे से ज्‍यादा केस यूपी से है। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों को देखने से यह भी पता चलता है कि न केवल उत्‍तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ आधे से ज्‍यादा केस दर्ज किए गए बल्कि यूपी और अन्‍य राज्‍यों से आए मामलों की संख्‍या में 4 गुना से ज्‍यादा का अंतर है।



मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 31 हजार मामले दर्ज किए गए हैं। 2014 के बाद इतने ज्‍यादा मामले कभी देखने नहीं मिले। इन 31000 केसों में से 50% से ज्यादा मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध करीब 30 प्रतिशत ज्‍यादा दर्ज किए गए। 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कुल 23,722 केस दर्ज किए गए, जबकि 2021 में यह संख्‍या बढ़कर 30,684 तक पहुंच गई। इनमें सबसे 11,013 केस महिलाओं के सम्मान ‘राइट लिव विद डिग्निटी’ से जुड़े हैं, वहीं 6633 घरेलू हिंसा और 4589 केस दहेज से जुड़े रहे। इन अपराधों की लिस्‍ट में उत्‍तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा। 2021 में दर्ज की गई कुल 30,684 शिकायतों में आधे से भी ज्‍यादा 15,828 उत्‍तर प्रदेश से सामने आईं। इसके बाद दिल्‍ली के नंबर आता है जहां पर 3336 शिकायतें आईं, महाराष्‍ट्र 1504, हरियाणा 1460 और बिहार में 1456 मामले सामने आए।

इन आंकड़ों को देखने पर यह भी पता चलता है कि न केवल उत्‍तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ आधे से ज्‍यादा केस दर्ज किए गए बल्कि यूपी और अन्‍य राज्‍यों से आए मामलों की संख्‍या की भी अंतर देखिए। जहां यूपी में 15,828 शिकायतें आईं तो वहीं दूसरे नंबर पर रही दिल्‍ली में 3336 मामले ही आए। तीसरे नंबर पर रहे महाराष्‍ट्र से 1504 मामले आए। इससे समझा जा सकता है कि यूपी में महिलाओं के खिलाफ मामले अन्‍य राज्‍यों की तुलना में कितने ज्‍यादा रहे। 2021 में जुलाई से सितंबर तक हर महीने करीब 3100 मामले सामने आए। इससे पहले एक महीने में 3000 शिकायतें नवंबर 2018 में सामने आई थीं। उस वक्‍त मीटू मूवमेंट अपने पीक पर था।

घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के 10 हजार से अधिक मामले
महिलाओं ने सबसे ज्यादा शिकायतें दीं कि उन्हें सम्मान के साथ रहने नहीं दिया जा रहा। इस दौरान उनका मानसिक शोषण बहुत हुआ। इसके बाद घरेलू हिंसा फिर दहेज उत्पीड़न की शिकायतों के मामले रहे। राष्ट्रीय महिला आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 30,864 शिकायतों में से, अधिकतम 11,013 महिलाओं के भावनात्मक शोषण को ध्यान में रखते हुए सम्मान के साथ जीने के अधिकार से संबंधित थीं, इसके बाद घरेलू हिंसा से संबंधित 6,633 और दहेज उत्पीड़न से संबंधित 4,589 शिकायतें थीं। 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के जो मामले सामने आए हैं, उनमें 1819 शिकायतें यौन शोषण, महिलाओं के सम्‍मान से जुड़े रहे, जबकि 1675 केस रेप या रेप की कोशिश के रहे, 1537 मामले ऐसे रहे जो महिलाओं के खिलाफ दर्ज कराए गए, जबकि 858 केस साइबर अपराध से जुड़े हैं।

2014 के बाद 2021 में आईं इतनी शिकायतें
2014 के बाद से राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलीं शिकायतों की संख्या सबसे ज्यादा है। 2014 में कुल 33,906 शिकायतें मिली थीं, जबकि बीते साल 31 हजार के करीब मिली हैं। साल 2020 में शिकायतों का यह आंकड़ा 23722 था।

जुलाई से सितंबर के बीच बढ़े अपराध
महीने के हिसाब से देखें तो जुलाई से सितंबर के बीच हर महीने 3,100 से ज्यादा शिकायतें मिलीं। आखिरी बार 3,000 से ज्यादा शिकायतें मिली थीं। उस वक्त 2018 में मी-टू आंदोलन चल रहा था।

यही नहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग से इतर, महिलाओं के खिलाफ हुए ओवरऑल अपराधों की बात करें तो योगी सरकार में, महिला अपराध के मामलों में भी यूपी, नंबर वन रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2020 के आंकड़ों के अनुसार, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट देंखे तो...।

2017 में 56,011 मामले दर्ज किए गए थे।
2018 में संख्या बढ़कर 59,445 हो गई।
2019 में यह संख्या 59,853 हो गई।

2017 में 4,246 बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट दर्ज हुई।
लगभग 1,560 मामलों में पीड़िता नाबालिग थी।
2017 में हर रोज 153 मामले दर्ज हुए।
2018 में महिलाओं के खिलाफ 162 मामले हर रोज दर्ज हुए।

2018 में 1411 नाबालिगों सहित 4, 322 पीड़ितों के साथ 3, 946 बलात्कार के मामले दर्ज हुए।
लगभग 12 हर दिन दर्ज किए गए।
2018 के दौरान POCSO के तहत 5,401 मामले दर्ज किए गए।
2018 की रिपोर्ट में दावा- यूपी पुलिस के पास हर दो घंटे में बलात्कार का मामला। (नोटः 2020 के आंकड़े एनसीआरबी से।)

2017 से पहले के आंकड़े देखें तो...
2016 में 49,262 मामले दर्ज किए गए थे।
2015 में 35,908 मामले दर्ज किए गए थे। (नोटः आंकड़े एनसीआरबी से।)

मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ लगातार ये दावा करते रहे हैं कि उन्‍होंने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू अपराध को कम किया और महिलाओं को सम्‍मान दिलाया है। लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े जो कहानी बता रहे हैं वो सीएम योगी के दावे से एकदम उलट है। वहीं, 2014 के बाद 2021 में सबसे ज्‍यादा शिकायतें दर्ज किए जाने के मामले पर महिला आयोग की अध्‍यक्ष रेखा शर्मा यह कहती हैं कि ऐसा हुआ, क्‍योंकि उन्‍होंने महिलाओं को ज्‍यादा जागरूक किया है, जिससे वे आवाज उठा सकें। रेखा शर्मा ने बताया कि आयोग ने महिलाओं के लिए ‘राउंड द क्‍लॉक हेल्‍पलाइन’ स्‍थापित कराई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने में भी सपोर्ट दे रहा है।

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