छत्तीसगढ़ : दंतेवाड़ा ज़िले के 6 आदिवासी ग्रामीणों का रविवार 11 अगस्त की रात नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था. पुलिस के लिए मुखबिरी करने को इस अपहरण का कारण बताया जा रहा था. सामजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने सम्बंधित गांव का दौरा किया और पुलिस को सूचना देकर इस मामले में कार्यवाही करने की अपील की थी. नक्सलियों ने अपहरण किए 6 ग्रामीणों को सोमवार रात बिना शर्त रिहा कर दिया है. सभी अपने गांव गुनियापाल पहुंच गए हैं. ग्रामीणों की रिहाई की पुष्टि एसपी अभिषेक पल्लव ने की है.
छोड़े गए बंधकों में 4 ग्रामीणों के साथ नक्सलियों ने कोई मारपीट नहीं की. वहीं 2 ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई है. साथ ही उन्हे एक साल तक गांव में नजरबंद रहने की सजा भी उनकी तरफ़ से सुनाई गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी के लगातार दबाव के कारण ही रिहाई संभव हो पाई है. उनके परिजनो ने सोनी की मदद का आभार व्यक्त किया है.
जानकारी के मुताबिक सभी ग्रामीणों के पास मोबाइल फोन मिले थे. इसके बाद नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीणों का अगवा कर लिया था. बस्तर क्षेत्र के पत्रकार लिंगाराम कोड़ोपी ने इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की है। उनके अनुसार, दंतेवाड़ा ज़िले के बैलाडीला क्षेत्र के ग्राम गुनियापाल, आलूपारा और बंडीपारा से पाँच आदिवासी पुरुष व एक महिला 11 अगस्त की रात से लापता थे.
लापता ग्रामीणों के नाम
1. किरण कुंजाम उर्फ़ बुधराम
2. हुंगा मिडियाम उर्फ़ भीमा
3. लालू मिडियाम उर्फ़ पाकलू
4. भीमा मिडियाम उर्फ़ पोदिया
5. हूंगा मण्डावी उर्फ़ पांडू
6. भीमा वंजामी उर्फ़ जोग
गांव वालों ने बताया कि इन अपहृत लोगों में से कुछ को पहले भी पुलिस की मुखबिरी न करने की चेतावनी नक्सलियों की जनअदालत में दी गई थी.
सोनी सोरी ने की पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात
घटना के तुरंत बाद सामजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी 12 और 14 अगस्त को ग्राम गुनियापाल में पीड़ित परिवारों और अन्य ग्रामीणों से बात करने पहुचीं. वहां से लौटकर उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी की. सोनी सोरी ने कहा है कि "मैंने 14 अगस्त 2019 को पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा अभिषेक पल्लव को फोन पर ग्रामीणों के अपहरण की सूचना दी थी. पुलिस अधीक्षक ने अपहरण के मामले में कहा था कि- मेरे पास कोई शिकायत करने नहीं आई है. तब मैंने एसपी से कहा कि गांव में रहने वाले पीड़ित परिवार शिकायत करने कैसे आयेंगे? क्योंकि आपकी फोर्स ने 9 एवं 10 तारीख को गुनियापाल गांव जाकर ग्रामीणों के साथ ही मारपीट की थी, ये जो घटना हो रही है इसके लिए आपका प्रशासन भी जिम्मेदार है".
सोनी ने कहा कि गाँव के सीधे-सादे लोगों को थोड़े से रुपयों का लालच देकर पुलिस अपने सूचना तंत्र की तरह इस्तेमाल तो कर लेती है पर उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतज़ाम नहीं करती. अपहरण की इस घटना के एक हफ़्ते बात तक भी पुलिस की तरफ़ से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई थी. सोनी का कहना है कि घटना की पूरी जानकारी उन्होंने पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा अभिषेक पल्लव को फ़ोन पर दी.
पुलिस ने नहीं उठाया कोई कदम
अपहरण के एक सप्ताह बाद भी जब पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाए तब सोनी सोरी ने 2012 में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी रिहाई के लिए पूरा प्रशासन जुट गया था परन्तु इन ग़रीब आदिवासियों की रिहाई के लिए कहीं कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
अपनी तारीफ़ के लिए बनाई शॉर्ट फिल्म का विमोचन करने में व्यस्त थी पुलिस
"नई सुबह का सूरज" इस नाम से बस्तर पुलिस ने एक शॉर्ट फिल्म बनवाई है जिसमें पुलिस के अच्छे कामों का बखान है. फ़िल्म की स्क्रिप्ट भी पुलिस के ही एक अफसर महोदय ने लिखी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस शॉर्ट फ़िल्म का विमोचन करने के लिए शुक्रवार को दंतेवाड़ा में मजूद थे. यहां अपहरण के मामले पर पूछे सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि ग्रामीणों को जल्द ही सुरक्षित वापस ले आया जाएगा. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी जब बिना कार्रवाई 3 दिन गुज़र गए तब सभी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए.
सोमवार रात छोड़ दिए गए ग्रामीण
मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात नक्सलियों ने सभी 6 ग्रामीणों को बिना किसी शर्त गांव में वापस छोड़ दिया है. सोनी सोरी ने बताया कि इसी गांव में कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा मारपीट की गई थी और अब नक्सलियों द्वारा किया ये अपहरण, यहां एक तरफ़ तो ग्रामीणों के घर वापस आने की खुशी है पर वहीं दूसरी तरफ़ गाँव में डर का माहौल भी है. पुलिस और नक्सली, इन दोनों की हिंसा में निर्दोष आदिवासी ग्रामीण पिस रहे हैं.
छोड़े गए बंधकों में 4 ग्रामीणों के साथ नक्सलियों ने कोई मारपीट नहीं की. वहीं 2 ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई है. साथ ही उन्हे एक साल तक गांव में नजरबंद रहने की सजा भी उनकी तरफ़ से सुनाई गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी के लगातार दबाव के कारण ही रिहाई संभव हो पाई है. उनके परिजनो ने सोनी की मदद का आभार व्यक्त किया है.
जानकारी के मुताबिक सभी ग्रामीणों के पास मोबाइल फोन मिले थे. इसके बाद नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीणों का अगवा कर लिया था. बस्तर क्षेत्र के पत्रकार लिंगाराम कोड़ोपी ने इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की है। उनके अनुसार, दंतेवाड़ा ज़िले के बैलाडीला क्षेत्र के ग्राम गुनियापाल, आलूपारा और बंडीपारा से पाँच आदिवासी पुरुष व एक महिला 11 अगस्त की रात से लापता थे.
लापता ग्रामीणों के नाम
1. किरण कुंजाम उर्फ़ बुधराम
2. हुंगा मिडियाम उर्फ़ भीमा
3. लालू मिडियाम उर्फ़ पाकलू
4. भीमा मिडियाम उर्फ़ पोदिया
5. हूंगा मण्डावी उर्फ़ पांडू
6. भीमा वंजामी उर्फ़ जोग
गांव वालों ने बताया कि इन अपहृत लोगों में से कुछ को पहले भी पुलिस की मुखबिरी न करने की चेतावनी नक्सलियों की जनअदालत में दी गई थी.
सोनी सोरी ने की पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात
घटना के तुरंत बाद सामजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी 12 और 14 अगस्त को ग्राम गुनियापाल में पीड़ित परिवारों और अन्य ग्रामीणों से बात करने पहुचीं. वहां से लौटकर उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी की. सोनी सोरी ने कहा है कि "मैंने 14 अगस्त 2019 को पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा अभिषेक पल्लव को फोन पर ग्रामीणों के अपहरण की सूचना दी थी. पुलिस अधीक्षक ने अपहरण के मामले में कहा था कि- मेरे पास कोई शिकायत करने नहीं आई है. तब मैंने एसपी से कहा कि गांव में रहने वाले पीड़ित परिवार शिकायत करने कैसे आयेंगे? क्योंकि आपकी फोर्स ने 9 एवं 10 तारीख को गुनियापाल गांव जाकर ग्रामीणों के साथ ही मारपीट की थी, ये जो घटना हो रही है इसके लिए आपका प्रशासन भी जिम्मेदार है".
सोनी ने कहा कि गाँव के सीधे-सादे लोगों को थोड़े से रुपयों का लालच देकर पुलिस अपने सूचना तंत्र की तरह इस्तेमाल तो कर लेती है पर उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतज़ाम नहीं करती. अपहरण की इस घटना के एक हफ़्ते बात तक भी पुलिस की तरफ़ से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई थी. सोनी का कहना है कि घटना की पूरी जानकारी उन्होंने पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा अभिषेक पल्लव को फ़ोन पर दी.
पुलिस ने नहीं उठाया कोई कदम
अपहरण के एक सप्ताह बाद भी जब पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाए तब सोनी सोरी ने 2012 में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी रिहाई के लिए पूरा प्रशासन जुट गया था परन्तु इन ग़रीब आदिवासियों की रिहाई के लिए कहीं कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
अपनी तारीफ़ के लिए बनाई शॉर्ट फिल्म का विमोचन करने में व्यस्त थी पुलिस
"नई सुबह का सूरज" इस नाम से बस्तर पुलिस ने एक शॉर्ट फिल्म बनवाई है जिसमें पुलिस के अच्छे कामों का बखान है. फ़िल्म की स्क्रिप्ट भी पुलिस के ही एक अफसर महोदय ने लिखी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस शॉर्ट फ़िल्म का विमोचन करने के लिए शुक्रवार को दंतेवाड़ा में मजूद थे. यहां अपहरण के मामले पर पूछे सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि ग्रामीणों को जल्द ही सुरक्षित वापस ले आया जाएगा. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी जब बिना कार्रवाई 3 दिन गुज़र गए तब सभी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए.
सोमवार रात छोड़ दिए गए ग्रामीण
मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात नक्सलियों ने सभी 6 ग्रामीणों को बिना किसी शर्त गांव में वापस छोड़ दिया है. सोनी सोरी ने बताया कि इसी गांव में कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा मारपीट की गई थी और अब नक्सलियों द्वारा किया ये अपहरण, यहां एक तरफ़ तो ग्रामीणों के घर वापस आने की खुशी है पर वहीं दूसरी तरफ़ गाँव में डर का माहौल भी है. पुलिस और नक्सली, इन दोनों की हिंसा में निर्दोष आदिवासी ग्रामीण पिस रहे हैं.