UP: गन्ना मूल्य घोषित न होने से निराशा, मुज़फ्फरनगर में किसानों ने सिर मुंडवाकर जलाई गन्ने की होली

Written by Navnish Kumar | Published on: January 16, 2024
"गन्ना मूल्य घोषित न होने को लेकर यूपी के किसानों में जबरदस्त निराशा है। चुनावी साल में किसानों को बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद है लेकिन आधे से ज्यादा पेराई सीजन गुजरने के बाद भी अभी तक गन्ना मूल्य (राज्य परामर्शित मूल्य SAP) घोषित नहीं किया गया है। गन्ना कोल्हुओं में 400 रुपए कुंतल तक भाव हो जाने से किसानों के बीच उहापोह की स्थिति है। इसी सब से परेशान मंसूरपुर, मुज्जफरनगर में योगी सरकार से कुंठित किसानों ने सिर मुंडा कर गन्ने की होली जलाई।"



जी हां, गन्ना मूल्य घोषित न होने से मुज्जफ्फरनगर में योगी सरकार से कुंठित किसानों ने रविवार को कड़कती ठंड में सिर मुंडा कर गन्ने की होली जलाई। साथ ही ऐलान किया कि 21 जनवरी तक हर रोज भगवान के मंदिर में दिया जलाकर भगवान से प्रार्थना की जाएगी कि भगवान इस सरकार को सद्बुद्धि दें, जिससे वह किसानों के मर्म को समझ कर गन्ना रेट की जल्द से जल्द घोषणा करें।

रविवार को हाडकंपा देने वाली सर्दी में गांव नावला के किसान विनीत त्यागी के नेतृत्व में अपना सिर मुंडवा कर बहुत कम वस्त्र पहनकर हाईवे पर नावला ओवरब्रिज के समीप पहुंचे। वहां पर उन्होंने गन्ने की होली जलाई। समस्त किसान योगी सरकार से कुंठित नजर आ रहे थे। किसानों का कहना था कि महाराज की सरकार में रामराज आया हुआ है, मगर इस रामराज में किसानों की क्या दुर्दशा हो रही है, यह शायद सरकार को नजर नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि गन्ना सीजन को 3 माह से ज्यादा बीत गए, लेकिन सरकार ने अभी तक गन्ने का कोई रेट घोषित नहीं किया। सरकार मिल मालिकों के दबाव में आती नजर आ रही है। किसान लगातार धरने दे रहे हैं आंदोलन कर रहे हैं, इतनी सर्दी में भी किसान पूरी रात धरनों पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा। किसान करें भी तो क्या करें। अब तो बस एक ही मार्ग बचा है कि भगवान से मांग की जाये कि भगवान ही कोई ऐसी सद्बुद्धि योगी सरकार को दे कि जिससे उन्हें किसानों की याद आए और वह गन्ना मूल्य घोषित करें।

उन्होंने बताया कि इसलिए अब हर रोज 21 जनवरी तक गांव से नंगे पैर पैदल चलकर हाईवे पर नावला कट के सामने भगवान के मंदिर में एक दीपक जलाया जाएगा और प्रार्थना की जाएगी कि भगवान कोई मेहर कर दे। अगर 21 जनवरी तक भी गन्ना मूल्य घोषित नहीं हुआ, तो फिर जैसा भगवान का आदेश होगा वैसा किसानों द्वारा किया जाएगा। इस दौरान जितेंद्र त्यागी, राजेंद्र त्यागी, प्रमोद त्यागी, मांगे त्यागी, बिट्टू त्यागी, विनीत त्यागी, विनय त्यागी, पवन त्यागी, काला, नाजिम त्यागी, जितेंद्र, राममुकुट धनगर, सचिन, ऋषिपाल त्यागी, श्याम त्यागी, तरुण त्यागी, तनवीर, प्रवेज त्यागी, चारु त्यागी सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।



*चुनावी साल में किसानों को गन्ना भाव में बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद* 

किसानों के अनुसार, गन्ना मूल्य की घोषणा अक्टूबर से पहले करनी चाहिए, जब चीनी मिलें नए गन्ने की पेराई शुरू करती है। लेकिन यह अब जनवरी है और हमें अभी भी नहीं पता है कि उनकी मौजूदा 2023-24 पेराई सत्र की गन्ना फसल के लिए मिलों से क्या भाव (कीमत) मिलेगी। 

वर्तमान में गन्ने का मूल्य अगैती प्रजाति के लिए 350 रुपये, सामान्य के लिए 340 रुपये और अस्वीकृत प्रजाति के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल है। सभी श्रेणियों में 20-30 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि के आसार हैं। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 में गन्ने का मूल्य 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया था। गत वर्ष किसानों की उम्मीदों के उलट योगी सरकार ने गन्ना मूल्य में शून्य बढ़ोत्तरी की थी। गत वर्ष किसान संगठनों की मांग के बाद भी प्रदेश सरकार ने मूल्य वृद्धि नहीं की गई थी। गन्ना किसान गत वर्ष से ही 50 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग प्रदेश सरकार से कर रहे हैं। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह के अनुसार, किसान संगठन गन्ने के एसएपी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं, जिसे आखिरी बार 2021-22 में बढ़ाकर "सामान्य" किस्मों के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल और "जल्दी पकने वाली" किस्मों के लिए 350 रुपये किया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंह ने कहा कि 2016-17 सीज़न (अक्टूबर-सितंबर) के बाद से, जब से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सत्ता में है, भारत के सबसे बड़े उत्पादक राज्य में गन्ने की कीमत केवल 35 रुपये बढ़े हैं जो अब 340- 350 रुपये/क्विंटल है। जबकि सपा के अखिलेश यादव के 5 साल के कार्यकाल में 65 रुपये की वृद्धि हुई थी। 2011-12 में 240-250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2016-17 में भाव 305-315 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। और बसपा की मायावती सरकार में गन्ना मूल्य में 115-120 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी। 2006-07 में 125-130 रुपये से बढ़कर 2011-12 में भाव 240-250 रुपये/क्विंटल) हो गया था। सपा व बसपा सरकार के मुकाबले योगी सरकार में गन्ना मूल्य में बहुत कम या कहे कि मामूली बढ़ोत्तरी ही हुई है। अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इस बार एसएपी में अच्छी खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है। 

सिंह के अनुसार, “किसान आज कटाई मजदूरी के रूप में केवल 45-50 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रहे हैं, जबकि दो साल पहले गन्ना छिलाई का रेट 30-35 रुपये कुंतल का था। उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य इनपुट की लागत भी बढ़ गई है। दूसरी ओर, देखें तो अब प्रति एकड़ गन्ने की पैदावार भी गिर गई है क्योंकि प्रमुख Co-0238 किस्म लाल सड़न कवक रोग के प्रति संवेदनशील हो गई है। हालांकि यह अकेले किसानों का ही मामला नहीं है। यहां तक ​​कि यूपी में मिलर्स भी गन्ना एसएपी की घोषणा में देरी से चिंतित हैं। कारण: गन्ने को गुड़ और खांडसारी (कुटीर चीनी) इकाइयों की ओर डायवर्जन होना। ये वैकल्पिक स्वीटनर निर्माता गन्ने के लिए उच्च कीमत 360-400 रुपये प्रति क्विंटल की पेशकश कर रहे हैं, जबकि मिलों द्वारा अब 340-350 रुपये एसएपी का भुगतान किया जा रहा है। खास है कि कम रिकवरी के बावजूद पड़ोसी हरियाणा में 386 रूपये तथा पंजाब में गन्ना मूल्य 391 रूपये कुंतल है।  

एक मिल मालिक के अनुसार, “वे यानी गन्ना कोल्हू अधिक भुगतान कर रहे हैं, वह भी तौल के तुरंत बाद नकद में। जबकि चीनी मिल में भुगतान चक्र गन्ना खरीद के 14 दिन बाद का है। हम न तो नकद भुगतान कर सकते हैं और न ही गन्ने की कीमतें ऐसे ही बढ़ा या घटा सकते हैं। सरकार हमारे इनपुट (गन्ना) और आउटपुट (चीनी) दोनों की कीमत पर नज़र रखती है, अनियमित गुड़ और खांडसारी निर्माताओं के विपरीत, जो पूरी तरह से मुक्त बाजार में काम करते हैं। यही नहीं, डायवर्जन को लेकर चिंता और भी अधिक है, क्योंकि इस साल गन्ने की फसल उतनी अच्छी नहीं होती दिख रही है, जितना शुरू में माना जा रहा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के उन्न में एक आधुनिक पूरी तरह से स्वचालित गुड़ संयंत्र संचालित करने वाले हंस हेरिटेज जैगरी एंड फार्म प्रोड्यूस के सीईओ केपी सिंह ने कहा, "लाल सड़न और टॉप बोरर (एक कीट) के हमले के कारण पैदावार कम हो गई है।"

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