गुजरात : मुसलमानों ने साफ़ किया 22 मंदिर, कर रहे हैं बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद



बनासकांठा : मुल्क में भले ही कुछ लोगों द्वारा नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा हो, लेकिन गुजरात में आए प्राकृतिक आपदा ने हिन्दू-मुस्लिम सबको एक कर दिया है.

यहां बाढ़ का पानी तो उतर गया लेकिन कीचड़ ने लोगों के लिए बड़ी समस्या पैदा कर दी है. लोगों के पीने व अन्य ज़रूरतों के लिए पानी नहीं है. लोगों की माने तो सरकारी मदद भी सब तक नहीं पहुंच सकी है. लेकिन गुजरात व देश के अन्य हिस्से से आए मुस्लिम नौजवान इन पीड़ितों की हर संभव मदद करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इस कोशिश में कई मुस्लिम जमाअते शामिल हैं.

धनेरा नगर पालिका के उपाध्यक्ष जगदीश ठक्कर ने बताया कि, जिस प्रकार से प्राकृतिक आपदा धर्म देखकर नहीं आई थी, उसी प्रकार से हिन्दू-मुस्लिम भी बिना धर्म-जाति देखे सेवा का काम कर रहे हैं.



जगदीश ठक्कर के मुताबिक़, धनेरा में 22 मंदिरों को मुस्लिम नौजवानों ने साफ़ किया जिसमें 115 वर्ष पुराना गणेश मंदिर भी शामिल है. तो वहीं 3 मस्जिदों को भी हिन्दू युवाओं ने मुसलमानों के साथ मिलकर साफ़ किया है.

धनेरा के लाला भाई ठाकोर बताते हैं कि, दाढ़ी वालों का काम काफ़ी अच्छा है. इन लोगों ने अपने हाथ से मंदिरों की सफ़ाई की है. लोगों में सहायता किट का बंटवारा भी जाति जाने बिना कर रहे हैं.

वो आगे बताते हैं कि, सरकारी लोग यहां काम ही नहीं कर पा रहे हैं. उनको समझ में ही नहीं आ रहा है क्या करें. दरअसल, इच्छाशक्ति की कमी है. आज से कलेक्टर ऑफिस की तरफ़ से प्रत्येक व्यक्ति 60 रुपये और बच्चों को 45 रुपये मिलने शुरू हुए हैं.



बताते चलें कि मुस्लिम तंज़ीमों में यहां ख़ास तौर पर जमीअत उलेमा हिन्द (अरशद मदनी ग्रुप), ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द हर जगह नज़र आती है. वहीं विश्व हिन्दू परिषद के साथ-साथ राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच और ठाकोर सेना की टीम रिलीफ़ कामों में लगी हुई हैं.

जमीअत उलेमा हिन्द के मुफ़्ती अब्दुल क़य्यूम मंसूरी बताते हैं कि, हमें इस प्रकार की ख़िदमत का तजुर्बा है. हम लोगों ने 2001 में 6 महीने लगातार कच्छ, भुज में भूकंप के समय काम किया था. 2002 के दंगों के समय भी रिलीफ़ काम में लगे थे. हमलोग अभी धनेरा में काम कर रहे हैं. लेकिन हमारी एक टीम राधनपुर और थराड के इलाक़ों में भी नुक़सान का सर्वे कर रही है. कल हम लोग राधनपुर और थराड को भी जाएंगे. वहां से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार उन इलाक़ों की हालत ज्यादा ख़राब है. दूर दराज़ के इलाक़े सोशल मीडिया या  मीडिया की नज़र से दूर होने के कारण वहां मदद भी नहीं पहुंच पा रही है.

ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के गुजरात अध्यक्ष मुफ़्ती रिज़वान तारापूरी बताते हैं कि, हमारे साथ 40-50 लोग हैं, जो सफ़ाई का काम कर रहे हैं. काउंसिल की तरफ़ से 2000 लोगों की किट लेकर आए हैं, जिसमें 10 दिन का राशन है. इससे पहले हम 600 परिवार को किट बांट चुके हैं.

वो आगे बताते हैं कि, बाढ़ के बाद हालात इतने ख़राब हो सकते हैं, इसका हमें भी अंदाज़ा नहीं था. यहां सारे सामाजिक संगठन दिल खोल कर काम कर रहे हैं, बावजूद इसके सभी पीड़ितों तक पहुंच पाना असंम्भव सा हो रहा है. हम कोशिश कर रहे हैं कि अन्य राज्यों से और लोग आ जाएं ताकि लोगों को जल्द से जल्द इस पीड़ा से निकाला जाए.



जमाते इस्लामी हिन्द के इक़बाल मिर्ज़ा बताते हैं कि, सबसे अधिक हमारा फोकस स्वास्थ्य पर है, क्योंकि वर्तमान परिस्थिति से लग रहा है कि आने वाले दिनों में बीमारियां फ़ैल सकती हैं. हमारी मेडिकल टीम लोगों की मदद के लिए लगी हुई है. इसके अलावा हमारी एक दूसरी टीम अधिकारियों से मिलकर लोगों की ज़मीनों, वाहनों, मकानों के साथ-साथ ज़रूरी डाक्यूमेंट्स जो बर्बाद हो गए हैं, उन पर काम कर रही है.

वहीं विश्व हिन्दू परिषद के सुरेन्द्र सिंह राजपूत बताते हैं कि, परिषद ने राहत कार्य के लिए पालनपुर को अपना केन्द्र बनाया है. राहत के तौर पर सूखे नाश्ते का पैकेट और 20 किलो राशन की किट भी दे रहे हैं. हमारे द्वारा 3600 फ़ूड पैकेट व किट बंट चुके हैं. 20000 किट हम जल्द ही बांटेंगे. इन सबके अलावा एक मेडिकल वैन जिसमें तीन डॉक्टरों की टीम है, जो गांव-गांव घूम बीमार लोगों की जांच कर दवाएं बांट रही है.

राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवानी बताते हैं कि, हम लोग यहां राशन बर्तन और कपड़े लेकर आए हुए हैं. मैं भी आज यहां आ गया हूं. अगले एक महीने तक यहां रह कर टीम के साथ सर्वे करेंगे, ताकि पता चले हानि कितने की हुई है. केंद्र ने 500 करोड़ का पैकेज दिया है, जो बहुत ही कम है. नुक़सान का अंदाज़ा हो जाने पर हमलोग सरकार पर दबाव बनायेंगे ताकि समय पर लोगों को कुछ राहत हो सके.

Courtesy: Two Circles
 

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