मुंबई। मुंबई के आरे में प्राधिकरण द्वारा 2702 पेड़ों की कटाई के मामले पर भारी बारिश और पर्याप्त सूचना न पहुंच पाने के बावजूद सोमवार को पांच सौ से ज्यादा लोग आपत्ति दर्ज कराने जन सुनवाई में एकत्र हुए। यहां प्राधिकरण द्वारा 2702 पेड़ों की कटाई कर दी गई थी जिसके बाद लोगों ने आक्रोश जताया था। इन पेड़ों की कटाई एक मेट्रो शेड के लिए की गई थी। जन सुनवाई के लिए पहुंचे लोगों में आदिवासी महिलाएं मुखर रूप से आगे थीं।
सुनवाई की अध्यक्षता ट्री अथॉरिटी के ट्री ऑफिसर ने की, जिन्होंने नागरिकों द्वारा 82,000 ईमेल आपत्तियों की प्राप्ति को स्वीकार करते हुए मीटिंग शुरू की। एक्टिविस्ट्स का कहना है कि ट्री अथॉरिटी के पास इतनी शिकायतें पहुंचना एक बड़ा रिकॉर्ड है।
यहां उपस्थित लोगों की प्रमुख मांग थी कि बीएमसी ने आरे में पेड़ काटने के लिए किसी की भी परमीशन नहीं ली और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने से इंकार कर दिया। आदिवासी निवासियों ने कहा कि जंगल उनकी विरासत और जीवन जीने का आधार थे। उन्हें किसी एसआरए स्कीम में धकेला जाना मंजूर नहीं है।
आशा भोये ने कहा, "हमने अपने पेड़ों की देखभाल अपने बच्चे की तरह की है। उन्होंने बीएमसी की तरफ सवाल दागते हुए कहा कि क्या आपने कभी अपने जीवन में एक पेड़ लगाया है?
अश्विनी भिडे ने एक ट्वीट के जरिए एमएमआरसीएल से कहा कि ये पेड़ संरक्षण के हकदार हैं, क्योंकि यह जंगल नहीं बल्कि ग्रीन जोन है।
एक आदिवासी महिला ने कहा कि "तेंदुए ने मेरे घर के बाहर हमला किया।" एक युवा कार्यकर्ता ने बताया कि "आरे में पक्षियों की 77 प्रजातियाँ, वाइल्डफ्लॉवर की 34 प्रजातियाँ, तितलियों की 86 प्रजातियाँ, 13 अन्य उभयचर प्रजातियाँ, 46 सरीसृप प्रजातियाँ और अंतिम नहीं बल्कि सबसे कम, 9 तेंदुए हैं!"
MMRCL के उच्चाधिकारियों के प्रति लोगों का गुस्सा तब प्रकट हुआ जब उन्हें पता चला कि उनके प्रतिनिधियों को ट्री अथॉरिटी के सदस्यों के साथ धरने पर बैठाया गया था।
रुबेन मस्कारस ने कहा, "एमएमआरसीएल किस प्रावधान या नियमों के तहत अपने सदस्यों को धरने पर बैठाने की अनुमति देता है? क्यों उन्हें एक समान तरीके से सुनवाई में शामिल नहीं किया जाता?" आम आदमी पार्टी और उस मामले में जिसके तहत हाई कोर्ट ने इस जन सुनवाई के लिए आदेश दिया।
इसी मामले में एक अन्य मुकदमे में आम आदमी पार्टी की प्रीति शर्मा मेनन ने पूछा कि हाई कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने के बावजूद ट्री अथॉरिटी कैसे सुनवाई कर सकती है। यहां मौजूद लोगों ने कहा कि मेट्रो शेड की सफाई में काफी जल खर्च किया जाएगा। जिससे भूजल का भी दोहन होगा और जंगल नष्ट होगा।
ज़ोरूबाथेना, जो शिकायत करने वाले पहले नागरिक थे, ने ट्री अथॉरिटी से आग्रह किया कि वे अपनी निहित शक्ति के आधार पर अंततः पेड़ कटाई की अनुमति देने से इनकार कर दें। उन्होंने इस पर ध्यान दिलाया पेड़ कटने से शहर को आने वाले दिनों में बाढ़ और पानी के संकट का सामना करना पड़ेगा।
आरे संरक्षण समूह की अमृता भटचार्जी ने कहा- "आरे जंगल मिथि नदी के बाढ़ क्षेत्र में है, इस संवेदनशील क्षेत्र को नुकसान होने से आगे अराजकता और बाढ़ आएगी।"
सुनवाई की अध्यक्षता ट्री अथॉरिटी के ट्री ऑफिसर ने की, जिन्होंने नागरिकों द्वारा 82,000 ईमेल आपत्तियों की प्राप्ति को स्वीकार करते हुए मीटिंग शुरू की। एक्टिविस्ट्स का कहना है कि ट्री अथॉरिटी के पास इतनी शिकायतें पहुंचना एक बड़ा रिकॉर्ड है।
यहां उपस्थित लोगों की प्रमुख मांग थी कि बीएमसी ने आरे में पेड़ काटने के लिए किसी की भी परमीशन नहीं ली और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने से इंकार कर दिया। आदिवासी निवासियों ने कहा कि जंगल उनकी विरासत और जीवन जीने का आधार थे। उन्हें किसी एसआरए स्कीम में धकेला जाना मंजूर नहीं है।
आशा भोये ने कहा, "हमने अपने पेड़ों की देखभाल अपने बच्चे की तरह की है। उन्होंने बीएमसी की तरफ सवाल दागते हुए कहा कि क्या आपने कभी अपने जीवन में एक पेड़ लगाया है?
अश्विनी भिडे ने एक ट्वीट के जरिए एमएमआरसीएल से कहा कि ये पेड़ संरक्षण के हकदार हैं, क्योंकि यह जंगल नहीं बल्कि ग्रीन जोन है।
एक आदिवासी महिला ने कहा कि "तेंदुए ने मेरे घर के बाहर हमला किया।" एक युवा कार्यकर्ता ने बताया कि "आरे में पक्षियों की 77 प्रजातियाँ, वाइल्डफ्लॉवर की 34 प्रजातियाँ, तितलियों की 86 प्रजातियाँ, 13 अन्य उभयचर प्रजातियाँ, 46 सरीसृप प्रजातियाँ और अंतिम नहीं बल्कि सबसे कम, 9 तेंदुए हैं!"
MMRCL के उच्चाधिकारियों के प्रति लोगों का गुस्सा तब प्रकट हुआ जब उन्हें पता चला कि उनके प्रतिनिधियों को ट्री अथॉरिटी के सदस्यों के साथ धरने पर बैठाया गया था।
रुबेन मस्कारस ने कहा, "एमएमआरसीएल किस प्रावधान या नियमों के तहत अपने सदस्यों को धरने पर बैठाने की अनुमति देता है? क्यों उन्हें एक समान तरीके से सुनवाई में शामिल नहीं किया जाता?" आम आदमी पार्टी और उस मामले में जिसके तहत हाई कोर्ट ने इस जन सुनवाई के लिए आदेश दिया।
इसी मामले में एक अन्य मुकदमे में आम आदमी पार्टी की प्रीति शर्मा मेनन ने पूछा कि हाई कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने के बावजूद ट्री अथॉरिटी कैसे सुनवाई कर सकती है। यहां मौजूद लोगों ने कहा कि मेट्रो शेड की सफाई में काफी जल खर्च किया जाएगा। जिससे भूजल का भी दोहन होगा और जंगल नष्ट होगा।
ज़ोरूबाथेना, जो शिकायत करने वाले पहले नागरिक थे, ने ट्री अथॉरिटी से आग्रह किया कि वे अपनी निहित शक्ति के आधार पर अंततः पेड़ कटाई की अनुमति देने से इनकार कर दें। उन्होंने इस पर ध्यान दिलाया पेड़ कटने से शहर को आने वाले दिनों में बाढ़ और पानी के संकट का सामना करना पड़ेगा।
आरे संरक्षण समूह की अमृता भटचार्जी ने कहा- "आरे जंगल मिथि नदी के बाढ़ क्षेत्र में है, इस संवेदनशील क्षेत्र को नुकसान होने से आगे अराजकता और बाढ़ आएगी।"