NPA बनने के कगार पर मुद्रा का कर्ज, योजना बनी मोदी सरकार का सिरदर्द

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 29, 2019
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि मुद्रा योजना के लिए निर्धारित फंड में 40 फीसदी पैसा जस का तस बना हुआ है क्योंकि देश में कोई इस कर्ज को लेने के लिए आगे नहीं आया। मुद्रा योजना की वार्षिक रिपोर्ट 2016-17 और 2017-18 के मुताबिक वर्ष के लिए मौजूद कुल फंड का 60 फीसदी और 61 फीसदी क्रमश: दिया गया और दोनों ही साल लगभग 40 फीसदी फंड धरा का धरा रह गया।

इसके अलावा केन्द्रीय रिजर्व बैंक के कर्ज आंकड़ों को देखें तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों (एमएसएमई) को दिया गया कर्ज दोनों गैर-खाद्य और प्राथमिक सेक्टर्स को दिए गए कर्ज की तुलना में बहुत कम है। गौरतलब है कि गैर-खाद्य सेक्टर में कृषि और संबंधित इकाइयों, इंडस्ट्री, सर्विस और पर्सनल सेक्टर शामिल हैं जबकि प्राथमिक सेक्टर में कृषि और संबंधित इकाइयां, एमएसएमई, हाउसिंग, माइक्रो-क्रेडिट, शिक्षा और पिछड़े वर्ग के लिए अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

वहीं इस सेक्टर को दिए गए कर्ज की तुलना मुद्रा योजना लागू होने से एक महीने पहले मार्च 2015 और मार्च 2018 से करते हैं तो आंकड़ों के मुताबिक गैर-खाद्य और प्राथमिक सेक्टर में क्रमश: 28 फीसदी और 27 फीसदी कर्ज दिया गया वहीं एमएसएमई (दोनों उत्पादन और सर्विस) को महज 24 फीसदी कर्ज दिया गया दिया गया।

वहीं नवंबर 2014 से नवंबर 2018 के रिजर्व बैंक आंकड़ों के मुताबिक गैर-खाद्य और प्राथमिक सेक्टर को कर्ज में 41 फीसदी और 36 फीसदी की ग्रोथ दर्ज हुई है। वहीं इस दौरान एमएसएमई (दोनों उत्पादन और सर्विस सेक्टर) को दिए गए कर्ज में महज 33 फीसदी का ग्रोथ है।

वहीं सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एमएसएमई को दिए गए कर्ज के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2014 से मार्च 2018 के बीच कर्ज में -2 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ दर्ज हुई है। वहीं नवंबर 2014 से नवंबर 2018 के बीच में महज 1 फीसदी की कर्ज में ग्रोथ दर्ज की गई है।

खासबात है कि यह आंकड़े ऐसी स्थिति में मिल रहे हैं जब मौजूदा केन्द्र सरकार मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में मेक इन इंडिया को अपना फ्लैगशिप प्रोजेक्ट बनाकर चल रही है।

क्या एनपीए बनने के लिए तैयार है मुद्रा कर्ज?
बिना किसी गारंटी के दिए गए मुद्रा कर्ज पर एनपीए बनने का खतरा मंडरा रहा है। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने सितंबर 2018 में मुद्रा योजना को खतरा बताते हुए कहा कि इस योजना से बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा संकट आ सकता है। राजन ने यह बात लोकसभा सी प्राक्कलन समिति के सामने कही थी। इसी खतरे का संकेत अहम सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नैशनल बैंक के प्रमुख भी संसद की वित्त समिति के सामने दे चुके हैं। हाल ही में जनवरी 2019 में आरबीआई एक बार फिर सरकार को मुद्रा कर्ज के एनपीए बनने के खतरे के  लिए अगाह कर चुकी है। आरबीआई के मुताबिक मुद्रा कर्ज 11,000 करोड़ रुपये के पार है।

लिहाजा, यह दावा कि मुद्रा कर्ज से बड़ी संख्या में रोजगार पैदा किया जा रहा है के पक्ष में केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के आंकड़े नहीं है। वहीं मुद्रा योजना एमएसएमई सेक्टर को कर्ज मुहैया कराने की दिशा में पूरी तरह विफल साबित हुआ है और इसी के चलते मुद्रा फंड का बड़ा हिस्सा अभी भी बैंकों के पास पड़ा है। इसके साथ ही मुद्रा पर छाया एनपीए का खतरा बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा संकट बनने के लिए तैयार है।

साभार- आजतक

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