मध्यप्रदेश में हर साल बढ़ता जा रहा है बेटियों पर खतरा

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: July 2, 2018
मंदसौर में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म ने एक बार फिर मध्यप्रदेश सरकार को बेटियों की सुरक्षा न कर पाने का आरोप साबित कर दिया है।


 
दरअसल, मंदसौर में जो हुआ है, उस तरह की घटनाएं आए दिन शिवराज के राज में हो रही हैं, और स्थिति यहां तक है कि मीडिया में छोटे स्तर पर उन्हें कवरेज मिलने के बाद भी उन पर ध्यान नहीं दिया जाता।
 
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, एक जनवरी से 30 अप्रैल की चार माह की ही अवधि में महिलाओं और नाबालिगों के साथ प्रताड़ना के 1554 मामले दर्ज हो चुके हैं। इस तरह से केवल 120 दिनों के अंदर हर दिन करीब 13 बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। कई मामले तो ऐसे भी हैं जिनमें खुद भाजपा से जुड़े नेता ही शामिल रहे हैं, और पुलिस ने भी आरोपियों को बचाने की ही कोशिश की है।
 
उक्त चार माह की अवधि में सबसे ज्यादा 105 मामले भोपाल में सामने आए। इसके बाद इंदौर का नंबर है जहां 82 मामले दर्ज हुए। जबलपुर में 72 और ग्वालियर में 69 मामले दर्ज हुए।
 
केवल 4 माह में ही इतनी बड़ी संख्या में बलात्कार के मामले सामने आने के बाद सरकार के बेटी बचाओ अभियान की नाकामी पूरी तरह से सामने आ जाती है। कहने के लिए राज्य में डायल 100, मैत्री मोबाइल, शक्ति स्क्वॉड, महिला पीसीआर, वी केयर फॉर यू जैसे कई उपाय किए गए हैं, लेकिन उनका नतीजों पर कोई फर्क देखने को नहीं मिल रहा है।
 
रेप स्टेट के रूप में पहचान बनाते जा रहे मध्यप्रदेश में बलात्कार के मामले देश भर में सबसे ज्यादा हो रहे हैं जबकि पिछले 15 साल से भाजपा ही सरकार में बनी हुई है।
 
दैनिक भास्कर के अनुसार, 2016 में मध्यप्रदेश में बलात्कार के 4789 मामले दर्ज हुए थे, तो 2017 में ये संख्या 5310 हो गई। 5 हजार का आंकड़ा छूने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। पिछले साल हर दिन बलात्कार की करीब 15 घटनाएं हुईं। 2016 की तुलना में 2017 में बलात्कार की घटनाओं में 8.76 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2015 के मुकाबले 2016 में तो ये बढ़ोतरी 11.18 प्रतिशत थी।
 
2018 के शुरू के 4 महीनों के हिसाब से अनुमान लगाएं तो ऐसी आशंका होती है कि इस साल मध्यप्रदेश बलात्कार के मामलों में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
 

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