मोदी सरकार ने बाल श्रमिकों के बजट में की कटौती

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 28, 2019
जनगणना के मुताबिक साल 2011 में  10.1 मिलियन (करीब 1 करोड़ 1 लाख) बाल श्रमिक थे। अब अनुमान है कि उचित शिक्षा नहीं पहुंच पाने के कारण इनकी संख्या बढ़कर  12.7 मिलियन (करीब एक करोड़ बीस लाख) हो गई है।



गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने बच्चों के लिए 2019 के बजट में 90,594 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जो कि पिछले वर्ष के कुल बजट के 3.25 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 0.01 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई।

विश्लेषकों के मुताबिक, बच्चे भारत की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा हैं, फिर भी उनकी शिक्षा, विकास, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए आवंटित धन लगभग स्थिर है।

सबसे बड़ा हिस्सा (68 प्रतिशत) शिक्षा की ओर गया, उसके बाद विकास (26 प्रतिशत), स्वास्थ्य (3 प्रतिशत) और संरक्षण (2 प्रतिशत)। जबकि शिक्षा के लिए आवंटन 1.1 प्रतिशत अंक गिर गया, संरक्षण के लिए आवंटन पिछले वर्ष से 0.6 प्रतिशत अंक बढ़ गया।

जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 तक 5-14 उम्र के बाल श्रमिकों की संख्या 10.1 मिलियन थी। अब यह अनुमान है कि उचित शिक्षा नहीं पहुंच पाने के कारण यह संख्या 12.7 तक पहुंच गई है।

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