मित्र तुम्हारी एक बात बड़ी अच्छी लगती है- हथियार सप्लाई का बजट बढ़ाकर जब कहते हो, "हम दुनिया से आतंकवाद खत्म करने में सब के साथ हैं"

Written by Mithun Prajapati | Published on: March 29, 2018
प्रिय मित्र
दूधनाथ त्रिपाठी( D trump)
 
Donald Trump

मित्र, अत्र कुशलं ,तत्रास्तु। इधर चुनाव में व्यस्त होने के कारण कुछ दिन से आप से संपर्क नहीं हो पाया लेकिन यह जानकर बेहद खुशी है कि यहाँ की तरह वहां भी राष्ट्रवाद चरम पर है। आपके यहाँ 'indian go back' का नारे लगे थे और हमारे यहाँ  'पाकिस्तानी भारत छोड़ो' नारा आये दिनों लगते रहता है। 
 
मित्र, खबर है कि आपके देश में एयरपोर्ट पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कपड़े उतारकर चेकिंग हुई। हमारे यहां लोग खूब मजे ले रहे हैं। शायद वो भूल रहे हैं कि  सुरक्षा के नाम पर कभी  आपने 'अब्दुल कलाम' को भी परेशान किया था।
 
 मैं आपके काम से खुश हूँ। इस बात को लेकर की आपकी तारीफ करता हूँ कि आप पूरे विश्व को अपने हिसाब से नचा रहे हैं। राष्ट्रपति बनते ही आपने जिस तरह से मैक्सिको और अमेरिका के बीच दीवार खड़ी करने की बात की और उसपर अड़े रहे वह तारीफ के काबिल है। कभी-कभी किम जोंग की हरकतें आपको नीचा दिखाने वाली होती हैं, जो मुझे भी अच्छी नहीं लगती। आखिर आप मेरे प्रिय मित्र जो हो। 
 
आपकी एक बात सबसे प्रिय लगती है, जब आप हथियारों के धंधे का बजट बढ़ाते हुए कहते हैं- हम चाहते हैं विश्व से आतंकवाद खत्म हो। 
 
कैसे कर लेते हो ऐसा ? 
 
मित्र, इन दिनों मैंने भारत में बहुत सी चीजों को समझा है। कुछ नया सीखा है। जनता की नब्ज़ को पकड़ा है। जनता क्या है, उसे किस चीज की जरूरत है और क्या चाहिए , यह जाना है। जिनके रहने को घर नहीं है, वे ज्यादा जोर से चिल्लाते हैं- हिंदुस्तान हमारा है। 
 
मित्र दूधनाथ, एक दिन सोशल मीडिया पर मैंने एक पोस्ट पढ़ी, जिसमें लिखा था-  मोदी जी, स्कूल और अस्पताल के लिए जमीन चाहिए तो दस बीघा मुझसे ले लीजिए, लेकिन मंदिर अयोध्या में ही बनना चाहिए। मैंने उस पोस्ट को लिखने वाले का खाका निकलवाया तो पता चला वह चौराहे पर पान बेचता है और माँ सरकारी स्कूल में खाना बनाती है। मुंह से बस इतना निकला- जियो मेरे लाल। 
 
भारत में भक्ति की चरम सीमा का दौर है। 

हमनें वर्षों से जो बीज बोए थे, वे अब फल दे रहे हैं। कोई रोजगार नहीं मांगता, कोई विकास की बात नहीं करता। कोई करता भी है तो  जनता के बीच से ही उठकर कोई कह देता है- तब तुम कहाँ थे, जब...........
 
सब तो ठीक है ,कभी- कभी चिंता होने लगती है।भारत लगभग कांग्रेस मुक्त हो चुका है। आधे कांग्रेसियों को तो हमनें भाजपाई बना दिया बाकी जो बचे ,चैत के गेंहूँ की तरह सूख गए। देश लगभग भगवामाय हो चूका है। वह दिन भी आएगा जब सिर्फ भगवा ही दिखेगा लेकिन चिंता यह है कि फिर हम और अमित क्या करेंगे !! करने के लिए तो कुछ होगा ही नहीं ! खैर छोड़ो यार... यह तो तब की बात है ...आओ अभी का देखें।
 
मुझे यह देखकर हैरानी होती है कि तुम्हारे द्वारा लिए गए हर फैसले पर वहाँ की कोर्ट रोक क्यों लगा देती है !! तुम ही तो सर्वेसर्वा हो। शांत कैसे बैठ जाते हो कोर्ट के फैसले पर ? 
 
तुमने पाकिस्तानियों की अमेरिका में एंट्री पर बैन लगाने की बात की पर आपके यहां की कोर्ट ने उसे अस्थगित कर दिया। 
 
हमारे यहां भी सुप्रीम कोर्ट है पर कहने भर का। हमने हालात ऐसे बनाये की जज खुद ही मीडिया में आकर न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं।
 
मौसम बड़ा दर्दीला है। भारत मे लीक की लहर चल पड़ी है। हमारे अपने लोग ही इतने नशे में हैं कि कब क्या कर बैठेंगे कुछ ठिकाना नहीं। अभी हमारे एक विश्वसनीय  जनाब ने चुनाव आयोग के पहले ही एक राज्य में होने वाले चुनाव  की तारीख लीक कर दी। क्या कहें, सत्ता का नशा ही ऐसा है। कोई कह रहा था कि इस लीक की जांच होनी चाहिए। अब कौन बताए- चोर-चोर मौसेरे भाई ही होता है।
 
पिछले कुछ दिनों से अलग तरह का मूड बना है। पीले कबूतर का हलवा खाने का दिल हो रहा है और शुतुरमुर्ग के अंडे पर खड़े होकर दुनिया देखने को जी चाह रहा है। जैसे नोटबंदी सफल हुई वैसे ये इच्छाएं भी पूरी हो जाएं तो क्या कहना ! बाकी आने वाले दिनों में व्यस्तता बढ़ जायेगी। आम चुनाव जो आने वाला है। तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कुछ राज्य दंगे की आग में जल रहे हैं। बाकी का नम्बर भी वक्त रहते आ जायेगा। क्या करें डियर, जनता विकास के नाम पर वोट ही नहीं देती। 
 
हो सकता है अगला पत्र विलम्ब से लिखूँ ..हाँ , भाभी जी  को प्यार कहना ....बच्चों को आशीष ..... और पत्र का जवाब शीघ्र देना।
       
                                                 तुम्हारा प्रिय मित्र
                                                 X X●मोदी

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