कोरोना और राजतिलक वालों की भूमिका

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: April 14, 2020
आज द टेलीग्राफ ने अपने पहले पन्ने पर अन्य खबरों के अलावा दो खबरें एक साथ बहुत अच्छी छापी है। दोनों खबरें हिन्दी अखबार तो छोड़िए अंग्रेजी में भी पहले पन्ने पर नहीं हैं और ऐसे तो शायद कहीं नहीं। दोनों खबरों का साझा शीर्षक है, जब कोरोना का हमला हुआ तो राजतिलक लगाए लोगों ने क्या किया। इसके लिए अंग्रेजी का शब्द कोरोनेटेड कोरोना के साथ अच्छा बैठता है। हिन्दी में कुछ ऐसा ही सोचना चाहिए लेकिन वह सब फिर कभी। इसके तहत टेलीग्राफ ने दो खबरें छापी है। पहली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की है और दूसरी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की। दोनों खबरों के साथ दोनों नेताओं की फोटो है और आप देखकर भी समझ जाएंगे कि दोनों नेताओं ने अपनी जनता के लिए क्या किया उससे संबंधित खबर है। पहली का शीर्षक है, भारत से वापस जाते समय विमान में ट्रम्प अपनी टीम पर खूब भड़के। न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से द टेलीग्राफ ने लिखा है कि ट्रम्प 24 फरवरी को भारत आए थे और अगले दिन वापस चले गए।



इस दौरान भारत में ट्रम्प का जोरदार स्वागत हुआ और इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुए। इस दौरे के दौरान ट्रम्प ताजमहल देखने आगरा भी गए। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि ट्रम्प को संभावित महामारी की चेतावनी दी गई थी पर आंतरिक मतभेद, योजना बनाने की कमी और अपनी समझ पर उनके भरोसे ने ढीली-ढाली प्रतिक्रिया दी। इसका नतीजा यह हुआ कि शनिवार को कोरोना से मौत के मामले में अमेरिका इटली से आगे निकल गया। और यह महामारी शुरू होने के बाद से देश में 20,000 से ज्यादा मौतें हों चुकी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी के आखिरी दिनों में ट्रम्प ने चेतावनियों को सुनने या उसपर कार्रवाई करने की अनिच्छा सबसे ज्यादा दिखाई। जनस्वास्थ्य से संबंधित आपदा के दौरान वे अपनी परंपरागत राजनीति करते रहे और कोरोना वायरस देश भर के लोगों में चुपचाप फैलता रहा।

दूसरी ओर, भारत में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि उनकी सरकार गिराने के लिए जानबूझकर कार्रवाई देर से की गई। (देश में यह सब सीधे प्रधानमंत्री देख रहे थे।) इस अभियान के तहत भाजपा के मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद ही भाजपा के लिए कोरोना गंभीर हुआ। दुनिया के कई दूसरे देश जब इस महामारी से जूझ रहे थे तो भारत में भाजपा के नेता इसपर हंस रहे थे। संसद को 23 मार्च तक चलने दिया गया ताकि मध्य प्रदेश में राजनीतिक अभियान को जायज बनाया जा सकते। (बेशक इस मामले में लोकसभा और राज्य सभा के अध्यक्ष समेत दूसरे लोग समय रहते निर्णय लेने से चूक गए।) स्थिति अब काफी गंभीर हो चुकी है और इसका पता सरकाड़ी आंकड़ों से नहीं चलता है क्योंकि जांच का काम असामान्य ढंग से ढीला है।

पत्रकारों को वीडियो पर संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना के खतरे का उल्लेख करते हुए जब 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित कर दी तो भाजपा नेताओं ने उनका मजाक बनाया। वे कहते रहे क्या कोरोना, कैसा कोरोना। 23 मार्च की रात भाजपा के मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई गई और इसके बाद ही कोरोना भाजपा के लिए गंभीर हुआ। (निश्चित रूप से यह सब केंद्र के इशारे पर हुआ होगा पर केंद्र को राज्य की प्राथमिकता राज्यापाल भी बता सकते थे। खतरा मोल लेकर शपथ दिलाना जरूरी नहीं था। नौकरी बचाने के लिए हो तो मैं नहीं कह सकता।) कमलनाथ ने कहा कि उन दिनों उड़ीशा और छत्तीसगढ की विधानसभा भी स्थगित की जा चुकी थी। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने खुद संसद को स्थगित किए जाने से मना किया। मंत्री समेत भाजपा नेताओं ने यह मानने से मना कर दिया था कि कोरोनावायरस भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट होने जा रहा है। कोष्ठक वाला हिस्सा मेरा हैं।

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