पहले वे गुंडे थे अब राष्ट्रवादी हो गए हैं उन्हें कुछ मत कहिए। वे बलात्कारी हैं पर अब किसानों को धन देते हैं उन्हें कुछ मत कहिए। अरे वे तो अब ईश्वर जैसे हैं, क्या हुआ चार बलात्कार कर चुके हैं तो। वह तो पहले की बात थी अब वे समाज सेवक हो गए हैं।
अक्सर ऊपर के वाक्य सुनने में मिल जाया करते हैं। कुछ साल पहले एक साहब बहुत बड़े गुंडे हुआ करते थे। उनके ऊपर हत्या , बलात्कार, दलित उत्पीड़न से लेकर तमाम तरह के मामले हैं पर अब वे नेता हो गए हैं ये सब काम नहीं करते(दूसरों से करवाते हैं)। उनका संबंध कई पोलिटिकल पार्टियों से है। अब वे सज्जन हो गए हैं। इस देश की यही खासियत है। जब आदमी तमाम तरह के गैर कानूनी काम करके पवित्र होना चाहता है तो या तो वह बाबा बन जाता है या फिर किसी पोलिटिकल पार्टी से संबंध स्थापित कर नेता बन जाता है।
इसके अलावा और भी चीजें हैं पाप धुलने के लिए उपयुक्त समझी जाती हैं जैसे जिसका जुगाड़ न बैठे वह गौ रक्षक बन जाता है या फिर संस्कृति का पहरेदार बन जाता है। मैंने कई ऐसे लोगों को भी देखा है जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाकर अपने को दोषमुक्त कर लेते हैं। हाल ही में कुछ लोग आरडीएक्स के साथ धराये थे पर पुलिस ने उनके साथ नरमी बरती, बोले- ये तो राष्ट्रवादी के सिद्धांत वाली पार्टी से बिलांग करते हैं, ये सज्जन लोग हैं भारत माता की जय के नारे लगाते हैं। जो देश से प्रेम करता हो वह आरडीएक्स का इस्तेमाल दीवाली की फुलझड़ी बनाने में ही कर सकता है किसी देशविरोधी गतिविधि में नहीं।
एक अलग तरह की बात भी है। देश की जनता बड़ी भावुक है। जब बात किसान और सैनिक की आती है तो भावुकता आंख से आंसू के रूप में बाहर आ जाती है। एक दिन बात-बात में बात छत्तीसगढ़ के हालात पर होने लगी। बात महिलाओं की उठी तो मैंने कहा- वहां सलवा जुडूम से लेकर सेना ने महिलाओं का बहुत शोषण किया है। कई बार बलात्कार, अत्याचार की खबर पढ़कर रूह कांप जाती है।
एक साहब भड़क गए। कहने लगे- आप सैनिकों पर इस तरह के इल्जाम कैसे लगा सकते हैं !
मैंने कहा- यह मैं नहीं कह रहा। यह अखबार( कुछ ही अखबार इस तरह की खबर छापने की हिम्मत कर पाते)कहते हैं। कई तरह की वेबसाइट पर भी ये खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं।
वह नहीं माने। पर मैं उन्हें मनाना भी नहीं चाहता था। भक्ति में सिर्फ समर्पण होता है, ज्ञान और जानकारी की जरूरत नहीं होती।
हाल ही में मैंने तनु श्री दत्ता का सोशल मीडिया के एक चैनल के लिए दिया गया इंटरव्यू देखा। उन्होंने दस साल पहले फ़िल्म के सेट पर अपने साथ हुए यौन शोषण की बात दोहराई। उन्होंने नाना पाटेकर के ऊपर आरोप लगाते हुए अपनी आपबीती बताई।
मैंने उस वीडियो के नीचे आये हुए लोगों की प्रतिक्रियाएं पढ़ी। ज्यादातर लोगों का कहना था कि नाना पाटेकर अच्छे आदमी हैं। वह किसानों की मदद करते हैं। मैं पूछता हूँ- क्या किसानों की मदद करने वाला किसी का यौन शोषण नहीं कर सकता ?
उनके द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का उनके किसान प्रेम से क्या लेना देना ?
किसी ने यहां तक कह दिया - नाना पाटेकर तो देव मानुष है।
बेशक वह देव मानुष हो सकते हैं पर देव तो इंद्र भी थे! इंद्र की कथाएँ तो जग विख्यात हैं।
न जाने कितने तो उलटे तनु श्री को ही दोषी ठहरा रहे हैं। कितने तो गंदी गालियों से नवाज रहे हैं, कितने उन्हें वैश्या बोल रहे हैं। अब सोचकर देखिए, महज अपने साथ हुई घटना का जिक्र करने भर से जो लोग आहत हो जा रहे हैं और अभद्र टिप्पणियाँ कर रहे वो किस मानसिकता के परिचायक हैं। ऊपर से बचाव करने उतरे हैं।
यदि आप महानायक की तरह सही या गलत का निर्णय नहीं ले सकते, सही के साथ खड़े नहीं हो सकते तो शांत तो रह सकते हैं ! तंज करके , गालियां देकर कौन सा भला होता है ?
अक्सर ऊपर के वाक्य सुनने में मिल जाया करते हैं। कुछ साल पहले एक साहब बहुत बड़े गुंडे हुआ करते थे। उनके ऊपर हत्या , बलात्कार, दलित उत्पीड़न से लेकर तमाम तरह के मामले हैं पर अब वे नेता हो गए हैं ये सब काम नहीं करते(दूसरों से करवाते हैं)। उनका संबंध कई पोलिटिकल पार्टियों से है। अब वे सज्जन हो गए हैं। इस देश की यही खासियत है। जब आदमी तमाम तरह के गैर कानूनी काम करके पवित्र होना चाहता है तो या तो वह बाबा बन जाता है या फिर किसी पोलिटिकल पार्टी से संबंध स्थापित कर नेता बन जाता है।
इसके अलावा और भी चीजें हैं पाप धुलने के लिए उपयुक्त समझी जाती हैं जैसे जिसका जुगाड़ न बैठे वह गौ रक्षक बन जाता है या फिर संस्कृति का पहरेदार बन जाता है। मैंने कई ऐसे लोगों को भी देखा है जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाकर अपने को दोषमुक्त कर लेते हैं। हाल ही में कुछ लोग आरडीएक्स के साथ धराये थे पर पुलिस ने उनके साथ नरमी बरती, बोले- ये तो राष्ट्रवादी के सिद्धांत वाली पार्टी से बिलांग करते हैं, ये सज्जन लोग हैं भारत माता की जय के नारे लगाते हैं। जो देश से प्रेम करता हो वह आरडीएक्स का इस्तेमाल दीवाली की फुलझड़ी बनाने में ही कर सकता है किसी देशविरोधी गतिविधि में नहीं।
एक अलग तरह की बात भी है। देश की जनता बड़ी भावुक है। जब बात किसान और सैनिक की आती है तो भावुकता आंख से आंसू के रूप में बाहर आ जाती है। एक दिन बात-बात में बात छत्तीसगढ़ के हालात पर होने लगी। बात महिलाओं की उठी तो मैंने कहा- वहां सलवा जुडूम से लेकर सेना ने महिलाओं का बहुत शोषण किया है। कई बार बलात्कार, अत्याचार की खबर पढ़कर रूह कांप जाती है।
एक साहब भड़क गए। कहने लगे- आप सैनिकों पर इस तरह के इल्जाम कैसे लगा सकते हैं !
मैंने कहा- यह मैं नहीं कह रहा। यह अखबार( कुछ ही अखबार इस तरह की खबर छापने की हिम्मत कर पाते)कहते हैं। कई तरह की वेबसाइट पर भी ये खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं।
वह नहीं माने। पर मैं उन्हें मनाना भी नहीं चाहता था। भक्ति में सिर्फ समर्पण होता है, ज्ञान और जानकारी की जरूरत नहीं होती।
हाल ही में मैंने तनु श्री दत्ता का सोशल मीडिया के एक चैनल के लिए दिया गया इंटरव्यू देखा। उन्होंने दस साल पहले फ़िल्म के सेट पर अपने साथ हुए यौन शोषण की बात दोहराई। उन्होंने नाना पाटेकर के ऊपर आरोप लगाते हुए अपनी आपबीती बताई।
मैंने उस वीडियो के नीचे आये हुए लोगों की प्रतिक्रियाएं पढ़ी। ज्यादातर लोगों का कहना था कि नाना पाटेकर अच्छे आदमी हैं। वह किसानों की मदद करते हैं। मैं पूछता हूँ- क्या किसानों की मदद करने वाला किसी का यौन शोषण नहीं कर सकता ?
उनके द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का उनके किसान प्रेम से क्या लेना देना ?
किसी ने यहां तक कह दिया - नाना पाटेकर तो देव मानुष है।
बेशक वह देव मानुष हो सकते हैं पर देव तो इंद्र भी थे! इंद्र की कथाएँ तो जग विख्यात हैं।
न जाने कितने तो उलटे तनु श्री को ही दोषी ठहरा रहे हैं। कितने तो गंदी गालियों से नवाज रहे हैं, कितने उन्हें वैश्या बोल रहे हैं। अब सोचकर देखिए, महज अपने साथ हुई घटना का जिक्र करने भर से जो लोग आहत हो जा रहे हैं और अभद्र टिप्पणियाँ कर रहे वो किस मानसिकता के परिचायक हैं। ऊपर से बचाव करने उतरे हैं।
यदि आप महानायक की तरह सही या गलत का निर्णय नहीं ले सकते, सही के साथ खड़े नहीं हो सकते तो शांत तो रह सकते हैं ! तंज करके , गालियां देकर कौन सा भला होता है ?