मायावती की मुस्लिमों से अपीलः कांग्रेस के झांसे में न आएं, बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन को करें वोट

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 8, 2019
रविवार को सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की पहली सामूहिक रैली सहारनपुर के देवबंद में की। पहली बार सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और आरएलडी प्रमुख चौधरी अजित सिंह एक मंच पर दिखाई दिए। सभी विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर जमकर  हमले किए। 



बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि भाजपा की सरकार जाने वाली है और गठबंधन आने वाला है। उन्होंने वेस्‍ट यूपी के मुसलमानों से अपील की कि वे कांग्रेस के झांसे में न आएं और बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन के उम्‍मीदवारों को वोट दें।  मायावती ने एक बार फिर ईवीएम का मसला उठाते हुए कहा कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हुई गठबंधन जरूर जीतेगा।

उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम समुदाय को आगाह करती हूं कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा से लड़ने में सक्षम नहीं है। केवल गठबंधन भाजपा से लड़ सकता है। कांग्रेस ये बात जानती है लेकिन उनका मंत्र है कि हम जीते या ना जीते गठबंधन नहीं जीतना चाहिए। उन्होंने ऐसी जाति और धर्म के लोगों को उतारा है जिससे भाजपा को फायदा हो।

बीजेपी सरकार को दलित व अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए मायावती ने कहा कि चौकीदारी की नाटकबाजी भी मोदी सरकार को अब नहीं बचा पाएगी। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अच्छे दिन दिखाने के लिए जो वादे किए थे, उनका एक चौथाई हिस्सा भी पूरा नहीं किया गया है। जिसके चलते ध्यान बांटने के लिए चुनाव घोषणा से पहले नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने फिर से किस्म-किस्म के हथकंडे अपनाकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है।

मायावती ने कहा कि आज की भीड़ की जानकारी जैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी को मिलेगी तो वह इस गठबंधन से घबराकर जरूर पगला जाएंगे। कभी भी वो गठबंधन के बारे में शराब के साथ-साथ और भी न जाने क्या क्या बोलने लग जाएंगे। अब इनकी इस घबराहट से आपको ये जरूर मानकर चलना चाहिए कि इस चुनाव में और खासकर यूपी से बीजेपी जा रही है और गठबंधन आ रहा है।

मायावती ने कहा कि विरोधी पार्टियों के हवा-हवाई चुनावी वादों के बहकावे में नहीं आना है। चुनाव खत्म होने के बाद अपने वादों को ये पार्टियां दरकिनार कर देती हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने देश में पिछले चुनाव में देश की जनता को अच्छे दिन दिखाने के जो प्रलोभन भरे वादे किए थे, कांग्रेस सरकार की तरह ही खोखले साबित हुए हैं। गरीबों को 15-20 लाख व सबका साथ सबका विकास भी जुमला बन कर रह गया है।

मायावती ने कहा कि अब कांग्रेस भी ऐसे वादे कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मुखिया ने देश के अति गरीब लोगों के मतों को लुभाने के लिए हर महीने 6 हजार रुपये देने की जो बात कही है, उससे गरीबी का कोई स्थायी हल निकलने वाला नहीं है। अगर केंद्र में हमें सरकार बनाने का मौका मिलता है तो हमारी सरकार हर महीने सरकारी व गैर-सरकार क्षेत्रों में स्थायी रोजगार देने की व्यवस्था करेगी।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी के उस बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें उन्होंने सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन की तुलना 'सराब' से की थी। इसका जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा कि 'सराब' बोलने वाले लोग सत्ता के नशे में हैं।

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में ज्यादा अंतर नहीं है। अगर आप उनकी नीतियां देखें तो दोनों एक ही हैं। यह महागठबंधन देश में परिवर्तन लाने के लिए हुआ है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती। वह यूपी में सरकार बनाना चाहती है।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने कहा कि आज की भीड़ ने तय कर दिया है कि भाजपा का सफाया हो गया है। भाजपा सिर्फ हारेगी नहीं, उसका सूपड़ा साफ हो जाएगा। संविधान ने ताकत दी है कि हर पांच साल में सरकार बदली जा सकती है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। 

बीजेपी के नेता कहते हैं कि 50 साल मोदी राज करेगा और बीजेपी सांसद साक्षी महाराज कहते हैं कि ये आखिरी चुनाव है इसलिए संविधान ने जो ताकत दी है कि हर पांच साल में सरकार बदली जा सकती है उसका इस्तेमाल कीजिए।

उत्तरप्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों पर हो रहे आमचुनाव में बसपा-सपा और रालोद पहली बार गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रही हैं। अब पहले चरण के चुनाव में कुछ ही दिन बच गए हैं और इससे ठीक पहले इन दोनों नेताओं की चुनावी सभा होगी। ऐसे में इन नेताओं की पहली संयुक्त चुनावी सभा आज देवबंद सहारनपुर में होगी, जहां पहले चरण में चुनाव होना है।

इस संयुक्त रैली के साथ ही महागठबंधन के नेताओं के चुनावी दौरे की शुरुआत हो जाएगी। बताया जा रहा है कि ऐसी 10 से ज्यादा साझा रैलियां होंगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर बीजेपी और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है।

90 के दशक के बाद दोनों दल के बार फिर साथ आ रहे हैं। उस दौरान सपा-बसपा भाजपा के खिलाफएक साथ आए थे। साल 1993 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए तब सपा को 110 सीटें और बसपा को 67 सीटें मिलीं। इस दौरान चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 

मुलायम सिंह यादव ने इसके बाद बीएसपी और अन्य कुछ दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। बसपा बाहर से सरकार का समर्थन कर रही थी लेकिन 2 साल बाद ही यानी 1995 में गठबंधन टूट गया। लेकिन इतने सालों बाद अब मायावती और अखिलेश साथ हैं। इसलिए लोगों की निगाहें इस गठबंधन पर टिकी हुई है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 संसदीय सीटों पर 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इनमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर की सीटें शामिल हैं। सूबे की ये सभी 8 लोकसभा सीटें पश्चिम उत्तर प्रदेश की हैं। पिछले चुनाव में यह सभी सीटें भाजपा ने जीती थीं। 

इस बार बागपत से रालोद के जयंत चौधरी, कैराना से सपा की तबस्सुम हसन, मुजफ्फरनगर से रालोद प्रमुख अजित सिंह, सहारनपुर से बसपा के हाजी फजलुर्रहमान, बिजनौर से बसपा के मलूक नागर, मेरठ से बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब, गाजियाबाद से सपा के सुरेश बंसल, गौतम बुद्ध नगर से बसपा के सतबीर नागर के प्रत्याशी हैं।
 

बाकी ख़बरें