UP निकाय चुनाव: निराशाजनक प्रदर्शन से बसपा की उम्मीदें धराशाई, D-M फॉर्मूला भी फेल

Written by Navnish Kumar | Published on: May 17, 2023
"बसपा को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में करारा झटका लगा है। वह मेयर की एक भी सीट जीतने में विफल रही। उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन से बसपा की उम्मीदें भी धराशाई होती दिख रही हैं। दरअसल मेयर पद की 17 सीटों में से 11 पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने वाली बसपा का D-M (दलित-मुस्लिम) समीकरण फॉर्मूला फेल हो गया है।"



उत्तर प्रदेश में नगरपालिका चुनाव के नतीजों ने बहुजन समाज पार्टी के पुनरुत्थान की उम्मीदों को धराशायी कर दिया है। बसपा को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में करारा झटका लगा। वह मेयर की एक भी सीट जीतने में विफल रही।

नगर पालिका परिषद (एनपीपी) और नगर पंचायत (एनपी) अध्यक्ष पदों पर भी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 2017 के निकाय चुनावों में, बसपा ने मेरठ और अलीगढ़ मेयर की सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2023 के चुनाव में दोनों सीटों पर वह तीसरे स्थान पर रही। पार्टी के लिए एकमात्र राहत की बात यह रही कि उसके उम्मीदवार आगरा, सहारनपुर और गाजियाबाद मेयर की सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे।

खास यह है कि बसपा ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में दलित-मुस्लिम कार्ड खेला था। मेयर पद की 17 सीटों में से बसपा ने 11 पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। बसपा प्रमुख मायावती ने ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर निकाय चुनाव में मुस्लिम समुदाय का समर्थन हासिल करने और 2024 के लोकसभा चुनाव में इस रुझान को जारी रखने की योजना बनाई थी। जबकि 2022 के उप्र विस चुनाव में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के लिए मायावती ने मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराया था।

उन्होंने कहा था, बसपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 12 फीसदी वोट हासिल किया था, जो उसके मुख्य दलित समर्थक हैं। अगर मुस्लिम समुदाय ने चुनाव में बसपा का समर्थन किया होता, तो वह भाजपा को हरा सकती थी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इन चुनावों में बसपा को जिस तरह के नतीजे मिले हैं, उसके लिए मुख्य रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं का नेतृत्व से मोहभंग होना कारण है।

पार्टी ने विचारधारा के संदर्भ में दिशा खो दी है और कोई दूसरी पंक्ति का नेतृत्व नहीं है जो जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ कनेक्ट कर सके। ऐसे में कैडर राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने से इनकार कर रहे हैं और अपने घरों में बैठ रहे हैं। 

उधर, देर से ही सही, बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव परिणामों को लेकर बीजेपी पर गम्भीर आरोप लगाया है। मायावती ने ट्वीट कर भाजपा पर साम, दाम, दंड, भेद से चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। जबकि चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद अखिलेश यादव ने गोरखपुर में वोटों की गिनती में धांधली का आरोप लगाया था।

हालांकि सोमवार सुबह मायावती ने चुप्पी तोडी और एक के बाद एक कई ट्वीट कर भाजपा पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा, ”यूपी निकाय चुनाव में भाजपा के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों के इस्तेमाल के साथ ही साथ इनके द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से बीएसपी चुप होकर बैठने वाली नहीं है, बल्कि वक्त आने पर इसका जवाब बीजेपी को ज़रूर मिलेगा।” 

उन्होंने बसपा पर भरोसा कर वोट देने वालों के लिए लिखा है कि, “साथ ही, तमाम विपरीत हालात का सामना करते हुए बीएसपी पर भरोसा करके पार्टी उम्मीदवारों को वोट करने के लिए लोगों का तहेदिल से आभार व शुक्रिया। अगर यह चुनाव भी फ्री एण्ड फेयर होता तो नतीजों की तस्वीर कुछ और होती। इसी में आगे उन्होंने कहा कि, बैलेट पेपर से चुनाव होने पर बीएसपी मेयर चुनाव भी ज़रूर जीतता।

एक अगले ट्वीट में उन्होंने भाजपा के साथ ही सपा को भी टारगेट किया और कहा कि, “वैसे चाहे भाजपा हो या सपा दोनों ही पार्टियाँ सत्ता का दुरुपयोग करके ऐसे चुनाव जीतने में एक-दूसरे से कम नहीं हैं, जिस कारण सत्ताधारी पार्टी ही धांधली से अधिकतर सीट जीत जाती है और इस बार भी इस चुनाव में ऐसा ही हुआ, यह अति-चिन्तनीय”


 
किस दल का क्या रहा जीत का आंकड़ा

यूपी नगरीय निकाय चुनाव 17 मेयर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के लिये चुनाव हुआ था। चुनाव में 17 महापौरों और 1,401 पार्षदों के चुनाव के लिए मतदान हुआ था जबकि 19 पार्षद निर्विरोध चुने गए। राज्य में नगर पालिका परिषदों के 198 अध्यक्षों और 5,260 सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान हुआ। मतदाताओं ने नगर पंचायतों के 542 अध्यक्षों और नगर पंचायतों के 7,104 सदस्यों के भाग्य का फैसला करने के लिए भी मतदान किया। कुल मिलाकर, 162 जनप्रतिनिधि निर्विरोध चुने गए, जबकि 14,522 पदों के लिए 83,378 उम्मीदवार मैदान में थे।

इनमें मेयर के सभी 17 पदों पर भाजपा ही जीत दर्ज करने में सफल रही है। सपा, बसपा व कांग्रेस पूरी तरह से खाली हाथ रही। जबकि नगर पालिका में 199 सीटों में से 94 सीटें बीजेपी व उसके सहयोगियों के दलों के खाते में गई हैं। सपा ने 39, कांग्रेस ने 4, बसपा ने 16 और अन्य ने 46 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं नगर पंचायत सीटों की बात करें तो बीजेपी ने 196, सपा ने 91, कांग्रेस ने 14, बसपा ने 38 और अन्य ने 205 सीटों पर जीत दर्ज की है।

हर हथकंडे अपनाकर भी बुरी तरह हारी भाजपा: अखिलेश 

निकाय चुनाव के आए परिणाम को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नगर निकाय चुनावों में जीते सपा के सभी प्रत्याशियों व भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ लड़कर जीते सभी अन्य प्रत्याशियों को हार्दिक बधाई देते हुए बीजेपी पर हमला बोला। सपा प्रमुख ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, नगरों से थोड़ा बाहर आते ही, हर हथकंडे अपनाकर भी भाजपा बुरी तरह हारी है।

AAP और AIMIM का भी खाता खुला

उत्तर प्रदेश में हाल में संपन्न नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महापौर की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल कर और 50 प्रतिशत से अधिक पार्षदों की सीट पर कब्जा कर भले ही शानदार विजय हासिल किया हो, लेकिन इस चुनाव में राज्य की राजनीति में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे नए खिलाड़ियों ने भी कहीं-न-कहीं अपनी मौजूदगी दर्ज करायी है। आप और एआईएमआईएम दोनों ने महापौर की कोई सीट नहीं जीती, लेकिन एआईएमआईएम के 19 उम्मीदवारों ने पार्षद की सीट (राज्य के विभिन्न नगर निगमों में) जीती, जबकि आप के आठ उम्मीदवार भी पार्षद बने।

राज्य में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए आप और एआईएमआईएम ने तीन-तीन सीटें जीती हैं। एआईएमआईएम के 33 उम्मीदवार नगर पालिका परिषद के सदस्य चुने गए, जबकि आप के 30 उम्मीदवारों ने भी इसी पद पर जीत दर्ज की। नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में आप के छह और एआईएमआईएम के एक उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। नगर पंचायत सदस्य पद के लिए हुए चुनाव में आप के 61 उम्मीदवार विजयी हुए और एआईएमआईएम के 23 उम्मीदवारों ने सफलता का स्वाद चखा।

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