नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान रविवार को होगा। चुनाव प्रचार थम चुका है और अब राजनैतिक पार्टियां अगली सरकार के गठन में जुट गई हैं। अगली सरकार के गठन के मकसद से नयी दिल्ली में विपक्ष के नेताओं से मिलने के बाद तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू शनिवार शाम बसपा और सपा नेताओं से मिलने लखनऊ पहुंचे।
सूत्रों ने बताया कि नायडू मायावती से उनके माल एवेन्यू स्थित आवास पर मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वह अखिलेश यादव के साथ भी मुलाकात करेंगे। नायडू तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से कई दौर की बैठकें पहले ही कर चुके हैं।
इसके अलावा सोनिया गांधी भी काफी एक्टिव नजर आ रही हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री पद नहीं दिया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर ऐसा हुआ तो फिर कांग्रेस को गैर-एनडीए पार्टी से हाथ मिलाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
बीजेपी की ताकत ही उनकी कमज़ोरी है, क्योंकि पीएम पद के लिए वो किसी के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं। इतना ही नहीं बड़े मंत्रालय जैसे कि गृह, रक्षा, रेलवे भी किसी दल के लिए बीजेपी से लेना आसान नहीं होगा।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार भी राहुल गांधी का नाम पीएम पद के लिए आगे नहीं बढ़ाया। इतना ही नहीं राहुल ने भी पीएम पद के लिए खुद को कभी प्रोजेक्ट नहीं किया। तमिलनाडु में डीएमके के सुप्रीमो एमके स्टालिन ने एक बार राहुल का नाम पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया था।
अगर किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो फिर मायावती और ममता बनर्जी को स्टालिन, नवीन पटनायक, अखिलेश यादव, केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी से समर्थन मिल सकता है। ममता के लिए दिल्ली आना आसान नहीं होगा, क्योंकि पश्चिम बंगाल में कोई और मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि नायडू मायावती से उनके माल एवेन्यू स्थित आवास पर मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वह अखिलेश यादव के साथ भी मुलाकात करेंगे। नायडू तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से कई दौर की बैठकें पहले ही कर चुके हैं।
इसके अलावा सोनिया गांधी भी काफी एक्टिव नजर आ रही हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री पद नहीं दिया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर ऐसा हुआ तो फिर कांग्रेस को गैर-एनडीए पार्टी से हाथ मिलाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
बीजेपी की ताकत ही उनकी कमज़ोरी है, क्योंकि पीएम पद के लिए वो किसी के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं। इतना ही नहीं बड़े मंत्रालय जैसे कि गृह, रक्षा, रेलवे भी किसी दल के लिए बीजेपी से लेना आसान नहीं होगा।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार भी राहुल गांधी का नाम पीएम पद के लिए आगे नहीं बढ़ाया। इतना ही नहीं राहुल ने भी पीएम पद के लिए खुद को कभी प्रोजेक्ट नहीं किया। तमिलनाडु में डीएमके के सुप्रीमो एमके स्टालिन ने एक बार राहुल का नाम पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया था।
अगर किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो फिर मायावती और ममता बनर्जी को स्टालिन, नवीन पटनायक, अखिलेश यादव, केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी से समर्थन मिल सकता है। ममता के लिए दिल्ली आना आसान नहीं होगा, क्योंकि पश्चिम बंगाल में कोई और मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार नहीं है।