लेखकों, फिल्मकारों के बाद 600 थिएटर हस्तियों ने की मोदी के खिलाफ वोट की अपील, बताया संविधान को खतरा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 5, 2019
अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड और उषा गांगुली सहित 600 से अधिक थिएटर हस्तियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर करके लोगों को “भाजपा और उसके सहयोगियों” को सत्ता से बाहर करने के लिए कहा है, पत्र में कहा गया है कि भारत और उसके संविधान का विचार खतरे में है। आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया वेबसाइट पर गुरुवार शाम 12 भाषाओं में यह जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि आगामी लोकसभा चुनाव देश के "इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण" हैं।



पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शांता गोखले, महेश एलकुंचवार, महेश दत्तानी, अरुंधति नाग, कीर्ति जैन, अभिषेक मजुमदार, कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, लिलेट दुबे, मीता वशिष्ठ, एम के रैना, मकरंद देशपांडे और अनुराग कश्यप शामिल हैं।

एक संयुक्त बयान में इन कलाकारों ने कहा, "आज, भारत का विचार खतरे में है। आज, गीत, नृत्य, हंसी खतरे में है। आज, हमारा प्रिय संविधान खतरे में है।" सरकार ने उन संस्थानों का "दम घोंट" दिया है जहां तर्क, बहस और असंतोष पर बात हो सकती थी। लोकतंत्र को अपने सबसे कमजोर व्यक्ति जो हाशिए पर है को सशक्त चाहिए।

पत्र में कहा गया है कि "किसी भी लोकतंत्र में सवाल, बहस होना चाहिए। लोकतंत्र जीवंत विपक्ष के बिना काम नहीं कर सकता। लेकिन मौजूदा सरकार इस सब को नष्ट कर रही है।”

उन्होंने कहा कि विकास के वादे के साथ पांच साल पहले सत्ता में आई बीजेपी ने हिंदुत्व के गुंडों को नफरत और हिंसा की राजनीति करने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। हालांकि पत्र में कहीं भी प्रधानमंत्री के नाम का उल्लेख नहीं है। पत्र में कहा गया है कि यही वजह है कि हम अपनी करते हैं कि लोग "संविधान, धर्मनिरपेक्ष लोकाचार" की रक्षा करने और "कट्टरता, घृणा और सत्ता से बाहर कुछ न सोचने वालों’’ के खिलाफ वोट करें।

उन्होंने कहा, "सबसे कमजोर लोगों को सशक्त बनाने, स्वतंत्रता की रक्षा करने, पर्यावरण की रक्षा करने और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए वोट करें। धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक, समावेशी भारत के लिए वोट करें। स्वप्न देखने की आजादी के लिए वोट करें। बुद्धिमानी से वोट दें।"

पिछले हफ्ते, आनंद पटवर्धन, सनल कुमार शशिधरन और देवाशीष मखीजा जैसे प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं द्वारा एक ऐसी अपील जारी की गई थी, जिसमें मतदाताओं से "फासीवाद को हराने" के लिए कहा गया था।

इससे पहले देश के 200 से ज्यादा लेखकों ने लोगों से नफरत की राजनीति के खिलाफ मतदान करने की अपील की थी। इस अपील में लेखकों ने लोगों से भारत की विविधता और समानता के लिए मतदान करने को कहा है। लेखकों ने कहा है कि इससे भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्यों को बचाने में मदद मिलेगी। यह अपील इंडियन राइटर्स फोरम की ओर से विभिन्न भाषाओं में जारी की गई थी।

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