"उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा (किसानों की हत्या) मामले में अब मुख्य गवाह के भाई पर तलवार से हमला करने का मामला सामने आया है। किसानों की हत्या के चश्मदीद के भाई ने आशीष मिश्रा टेनी के करीबियों पर हमले का आरोप लगाया है।"
लखीमपुर खीरी हिंसा आपको याद होगी। वही मामला, जिसमें केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप लगा कि उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी थी। इसके बाद वहां जो हिंसा हुई उसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। अब इस हिंसा मामले में मुख्य गवाह प्रभजोत सिंह और उनके छोटे भाई सर्वजीत सिंह पर तलवार से हमला किया गया है। प्रभजोत ने इस हमले का आरोप आशीष मिश्रा टेनी के करीबियों पर लगाया है। आरोप है कि 9 दिसंबर को तिकुनिया कांड का मुख्य गवाह प्रभुजोत सिंह अपने छोटे भाई के साथ एक मुंडन समारोह में गया था। जहां उसके भाई पर तलवार से जानलेवा हमला किया गया, जिसमें उसका भाई सर्वजीत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल सर्वजीत को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आरोप ये भी है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं। बल्कि उल्टे कंप्लेन से आशीष टेनी का नाम हटाने को दबाव बना रही है"
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्षेत्र के कल्होरी गांव के रहने वाले 25 वर्षीय सर्वजीत सिंह पुत्र अंग्रेज सिंह ने शनिवार पुलिस को लिखित तहरीर देकर बताया कि 9 दिसंबर रात 10 बजे के आसपास वे अपने मित्र के यहां मुंडन संस्कार में शामिल होने गये थे। जहां शिवा पैलेस में उन पर हमला कर दिया गया। आरोप है कि मुंडन पार्टी में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा टेनी का खास विकास चावला पहले ही से मौजूद था। वह भी उन लोगों से रंजिश रखता है। आरोप है कि विकास ने जैसे ही पीड़ित को पार्टी में देखा तभी उसने अपने अन्य साथियों के साथ तलवार लेकर गाली-गलौज करते हुए उस पर हमला कर दिया।
मामले में घायल सर्वजीत सिंह के भाई प्रभजोत सिंह जो कि तिकुनिया हिंसा में गवाह भी है, ने बताया कि शनिवार को थाने में तहरीर देकर शिकायत की लेकिन थाना प्रभारी राजू राव ने न तो तहरीर ली और ना ही मुकदमा दर्ज करवाया। यहां तक की पीड़ित का मेडिकल तक नहीं करवाया गया। मजबूरन गंभीर हालत में उन्हें घायल भाई को लखीमपुर के निजी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। वहीं, थाना प्रभारी राजू राव का कहना है कि उन्हें कोई तहरीर नहीं मिली।
लल्लनटॉप ने इंडिया टुडे के अभिषेक वर्मा की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि, प्रभजोत ने बताया कि वो अपने भाई सर्वजीत के साथ एक कार्यक्रम में गए थे। वहीं तीन लोगों ने पीछे से आकर सर्वजीत पर तलवार से हमला कर दिया। हमले में सर्वजीत गंभीर रूप से घायल हो गया। प्रभजोत के मुताबिक, "इस हमले में विकास चावला भी शामिल था जो आशीष मिश्रा का खास आदमी है। उसने कार्यक्रम में आकर पहले मेरे साथ जानबूझकर विवाद किया, फिर जाकर मेरे भाई पर हमला कर दिया। मैं तिकुनिया हिंसा का मुख्य गवाह हूं। मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है।"
‘पुलिस दबाव बना रही’
हमले के बाद का एक वीडियो भी सामने आया है। जिस में सर्वजीत के सिर से खून बहता दिख रहा है। प्रभजोत ने बताया कि उन्होंने घटना की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस उन पर दबाव बना रही है कि शिकायत से लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा नाम हटा लें। उन्होंने कहा कि शिकायत से आशीष मिश्रा का नाम नहीं हटाऊंगा, जो सच है वही लिखेंगे। प्रभजोत ने आगे कहा, "मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। पहले भी एक कांड हो चुका है। मेरे भाई को फंसाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि वो दबाव में हैं। मेरी शिकायत लेने से पुलिस मना कर रही है। वो कह रही है कि दबाव में है। जो भी घटना हो रही है, गवाहों के साथ क्यों हो रही है। पहले भी दो लोग चोटिल हो चुके हैं। कहा मुझे भी खतरा है।" वहीं, लखीमपुर खीरी के एसपी संजीव सुमन ने इस हमले को दो गुटों में आपसी लड़ाई का मामला बताया। उन्होंने कहा कि इसका तिकुनिया हिंसा मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
पहले भी गवाहों पर हुए हमले
ये पहली बार नहीं है जब लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों पर हमले हुए हो। 31 मई को भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह की कार पर फायरिंग हुई थी। हालांकि, इस हमले में दिलबाग सिंह बाल-बाल बच गए। दिलबाग भी हिंसा के चश्मदीद गवाह हैं। 10 अप्रैल को भी एक गवाह हरदीप सिंह पर रामपुर के विलासपुर में हमला हुआ था। उन्होंने बताया था कि जब वे अपने घर आ रहे थे उसी दौरान रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें रोककर जमकर पीटा और जान से मार देने की धमकी देकर छोड़ दिया।
आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोप तय
हिंसा मामले में 6 दिसंबर को आशीष मिश्रा सहित 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार पाए गए। दरअसल, 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। ये गाड़ी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की थी। इसके बाद वहां हुई हिंसा में चार किसानों और उसके बाद हुई हिंसा में चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी। अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा फिलहाल जेल में बंद हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्षेत्र के कल्होरी गांव के रहने वाले 25 वर्षीय सर्वजीत सिंह पुत्र अंग्रेज सिंह ने शनिवार पुलिस को लिखित तहरीर देकर बताया कि 9 दिसंबर रात 10 बजे के आसपास वे अपने मित्र के यहां मुंडन संस्कार में शामिल होने गये थे। जहां शिवा पैलेस में उन पर हमला कर दिया गया। आरोप है कि मुंडन पार्टी में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा टेनी का खास विकास चावला पहले ही से मौजूद था। वह भी उन लोगों से रंजिश रखता है। आरोप है कि विकास ने जैसे ही पीड़ित को पार्टी में देखा तभी उसने अपने अन्य साथियों के साथ तलवार लेकर गाली-गलौज करते हुए उस पर हमला कर दिया।
मामले में घायल सर्वजीत सिंह के भाई प्रभजोत सिंह जो कि तिकुनिया हिंसा में गवाह भी है, ने बताया कि शनिवार को थाने में तहरीर देकर शिकायत की लेकिन थाना प्रभारी राजू राव ने न तो तहरीर ली और ना ही मुकदमा दर्ज करवाया। यहां तक की पीड़ित का मेडिकल तक नहीं करवाया गया। मजबूरन गंभीर हालत में उन्हें घायल भाई को लखीमपुर के निजी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। वहीं, थाना प्रभारी राजू राव का कहना है कि उन्हें कोई तहरीर नहीं मिली।
लल्लनटॉप ने इंडिया टुडे के अभिषेक वर्मा की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि, प्रभजोत ने बताया कि वो अपने भाई सर्वजीत के साथ एक कार्यक्रम में गए थे। वहीं तीन लोगों ने पीछे से आकर सर्वजीत पर तलवार से हमला कर दिया। हमले में सर्वजीत गंभीर रूप से घायल हो गया। प्रभजोत के मुताबिक, "इस हमले में विकास चावला भी शामिल था जो आशीष मिश्रा का खास आदमी है। उसने कार्यक्रम में आकर पहले मेरे साथ जानबूझकर विवाद किया, फिर जाकर मेरे भाई पर हमला कर दिया। मैं तिकुनिया हिंसा का मुख्य गवाह हूं। मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है।"
‘पुलिस दबाव बना रही’
हमले के बाद का एक वीडियो भी सामने आया है। जिस में सर्वजीत के सिर से खून बहता दिख रहा है। प्रभजोत ने बताया कि उन्होंने घटना की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस उन पर दबाव बना रही है कि शिकायत से लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा नाम हटा लें। उन्होंने कहा कि शिकायत से आशीष मिश्रा का नाम नहीं हटाऊंगा, जो सच है वही लिखेंगे। प्रभजोत ने आगे कहा, "मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। पहले भी एक कांड हो चुका है। मेरे भाई को फंसाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि वो दबाव में हैं। मेरी शिकायत लेने से पुलिस मना कर रही है। वो कह रही है कि दबाव में है। जो भी घटना हो रही है, गवाहों के साथ क्यों हो रही है। पहले भी दो लोग चोटिल हो चुके हैं। कहा मुझे भी खतरा है।" वहीं, लखीमपुर खीरी के एसपी संजीव सुमन ने इस हमले को दो गुटों में आपसी लड़ाई का मामला बताया। उन्होंने कहा कि इसका तिकुनिया हिंसा मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
पहले भी गवाहों पर हुए हमले
ये पहली बार नहीं है जब लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों पर हमले हुए हो। 31 मई को भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह की कार पर फायरिंग हुई थी। हालांकि, इस हमले में दिलबाग सिंह बाल-बाल बच गए। दिलबाग भी हिंसा के चश्मदीद गवाह हैं। 10 अप्रैल को भी एक गवाह हरदीप सिंह पर रामपुर के विलासपुर में हमला हुआ था। उन्होंने बताया था कि जब वे अपने घर आ रहे थे उसी दौरान रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें रोककर जमकर पीटा और जान से मार देने की धमकी देकर छोड़ दिया।
आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोप तय
हिंसा मामले में 6 दिसंबर को आशीष मिश्रा सहित 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार पाए गए। दरअसल, 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। ये गाड़ी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की थी। इसके बाद वहां हुई हिंसा में चार किसानों और उसके बाद हुई हिंसा में चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी। अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा फिलहाल जेल में बंद हैं।
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