किसान आंदोलन: क्या सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठा शपथ पत्र दाखिल किया?

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: January 12, 2021
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके कहा है कि कृषि कानून के संबंध में प्रदर्शनकारी किसान गलत धारणा फैला रहे हैं कि सरकार और संसद ने विवादास्पद कृषि कानून को किसी से भी सलाह या चर्चा किए बगैर पास कर दिया है। द हिन्दू में आज पहले पन्ने पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से शपथ पत्र अदालत की इस नाराजगी के बाद दाखिल किया गया कि सरकार इस मामले को निपटाने में नाकाम रही है। सरकार ने कहा है कि विरोध देश के एक ही भाग में सीमित है इससे पता चलता है कि ज्यादातर किसान समुदाय इस कानून से खुश है। 



अव्वल तो खुश होने और शिकायत नहीं होने तथा शिकायत होने के बावजूद विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने में काफी अंतर है पर विरोध नहीं करने वालों के बारे में यह मान लेना कि वे खुश हैं वैसे ही जैसे नोटबंदी की चर्चा की गई थी (फिर भी कोई तैयारी नहीं थी, जो दुनिया देख चुकी है) या फिर सरकार जैसा अब दावा कर रही है कृषि कानूनों पर भी चर्चा हुई थी। फिर भी अव्यावहारिक है।

सरकार के समर्थक दल नाराजगी जता चुके हैं। हरियाणा में भाजपा की सरकार होने के बावजूद मुख्यमंत्री इस कानून के समर्थन में सभा नहीं कर पाए भले समर्थक अखबारों ने गलत खबर दी। वैसे भी, क्या सरकार जनमत कराए बगैर यह कह सकती है कि लोग खुश हैं? 
  
कहने की जरूरत नहीं है कि डेढ़ महीने तक विरोध और प्रदर्शन करना साधारण नहीं है और अब जो आंदोलन में शामिल नहीं है उसके बार में यह प्रचारित किया जा रहा है कि उसे शिकायत नहीं है। बहुत संभव है कि वे आंदोलन में शामिल होने या आंदोलन करने में समर्थ न हों और इसके कई कारण हो सकते हैं। यह वैसे ही है कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शन को रोकने के तमाम उपाय किए गए हैं और अब कहा जाए कि किसी को कोई शिकायत नहीं है।

किसान आंदोलन पर पहले सरकार समर्थकों की ओर से तरह-तरह के आरोप लगाए गए। अब जब मामला नहीं निपटा तो यह कहा जा रहा है कि जो शामिल नहीं हैं उन्हें शिकायत नहीं है। नोटबंदी का विरोध नहीं हुआ तो क्या कोई शिकायत नहीं है? जीएसटी के खिलाफ ऐसा आंदोलन नहीं हुआ तो क्या शिकायत नहीं है?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
 

बाकी ख़बरें