अंदोला मठ के सिद्धलिंग स्वामी नफ़रत फैलाने वाले बयानों की कथित घटनाओं के चलते लंबे समय से क़ानूनी पेचीदगियों का सामना करते रहे हैं।
कालाबुरागी के जेवारगी तालुका में अंदोला मठ के श्री सिद्धलिंग स्वामी के ख़िलाफ़ शाहपुर पुलिस ने भड़काऊ बयान के मद्देनज़र केस दर्ज किया है। कथित तौर पर पुलिस ने अपराधी का स्वत: संज्ञान लिया है जो कि दक्षिणपंथी संगठन श्री राम सेने का स्टेट प्रेसीडेंट भी है।
न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ स्वामी ने 3 अक्टूबर को हिंदुओं के महागणपति विसर्जन समारोह के दौरान नफ़रत फैलाने वाला बयान दिया था। न्यूज़ कर्नाटक के मुताबिक़ उन्होंने कथित चेतावनी दी कि - ‘अगर हिंदुओं का अपमान किया गया तो कर्नाटक दूसरा गोधरा बन जाएगा।’
स्वामी पर शाहपुर पुलिस स्टेशन में इंडियन पीनल कोड के सेक्शन नं 295 के तहत केस दायर किया गया है। यह कोई पहली बार नहीं है जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है। हिंदुत्व प्रोफ़ाइल्स वेबसाइट के मुताबिक़ वो लंबे समय से सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने में सक्रिय रहे हैं। कर्नाटक पुलिस द्वारा केस दर्ज होने के बाद मार्च, 2023 में कर्नाटक की एक लोकल कोर्ट ने स्वामी को कर्नाटक के याद्गिर में गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज के मैदान में विश्व हिंदू परिषद के 2015 के नफ़रती बयान के लिए दोषी क़रार दिया था।
इसी तरह 2017 की हिंदुत्व प्रोफ़ाइल्स के अनुसार उन्हें एक मुस्लिम व्यक्ति को असाल्ट करने लिए भी गिरफ़्तार किया गया था। उन्हें कर्नाटक पुलिस ने कर्नाटक के अंदोला में एक होटल-विध्वंस की घटना में कथित रूप से शामिल होने के कारण बेल से रिहा होने से पहले 10 दिन की न्यायिक हिरासत में लिया गया था। स्वामी को कर्नाटक में मुसलमानों द्वारा संचालित व्यापार और इंटरप्राइज़ेज़ का बहिष्कार करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों की दुकानों का बहिष्कार करने का संदेश भी दिया था। इसके अलावा 2020 में श्री राम सेने के इस नेता ने युवा आंदोलनकारियों को कहा कि उन्हें भी गौरी लंकेश की तरह किस्मत नसीब होगी। इसी तरह कर्नाटक में एक सार्वजनिक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि प्रो-पाकिस्तानी नारे देने वाले 3 कश्मीरी विद्यार्थियों की ज़बान काटने वाले को 3 लाख का इनाम दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री राम सेने की ओर से एक की ज़बान काटने पर 1 लाख की रक़म दी जाएगी और इस तरह कुल मिलाकर 3 लाख रूपए दिए जाएंगे। मुसलमान आबादी की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि देश का विरोध करने वालों को इस राज्य में रहने का कोई हक़ नहीं है।
इसी तरह 2021 में स्वामी राज्य में धर्मांतरण विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई से मिलने वाले डेलीगेशन का भी हिस्सा रहे हैं। सितंबर 2022 में कर्नाटक एसेंबली ने एंटी कर्नवर्ज़न लॉ पास किया था जिसके बारे में आशंका जताई जा रही थी कि इसे जबरन धर्मांतरण के नाम पर मुसलमानों और ईसाइयों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वामी कर्नाटक में अज़ान पर बैन के लिए जारी कैंपेन में भी शामिल रहे हैं और उन्होंने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के दक्षिणपंथी प्रयासों में भी बेहद अहम भूमिका अदा की है। उनके नेतृत्व में उनके संगठन ने हलाल गोश्त के ख़िलाफ़ हिंदू भावनाओं को भड़काने के अलावा हिंदू आबादी का हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों के ख़िलाफ़ ध्रुवीकरण भी किया है।
फ़िलहाल स्वामी अपने हालिया बयान के कारण क़ानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इन नफ़रती बयानों का आकलन करने के लिए लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियों का सहारा लिया जा सकता है। कांग्रेस सरकार के बाद कर्नाटक सरकार ने इंन्फ़ार्मेशन डिसआर्डर टैकलिंग यूनिट के ज़रिए नफ़रती बयानों को ट्रैक करने के मक़सद से विस्तृत योजना तैयार की है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, IT मंत्री प्रियांक खड़गे नफ़रती बयान की इन घटनाओं पर नज़र रखने को कार्यरत यूनिट को लीड कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट ने 10 करोड़ का बजट भी पेश किया है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
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कालाबुरागी के जेवारगी तालुका में अंदोला मठ के श्री सिद्धलिंग स्वामी के ख़िलाफ़ शाहपुर पुलिस ने भड़काऊ बयान के मद्देनज़र केस दर्ज किया है। कथित तौर पर पुलिस ने अपराधी का स्वत: संज्ञान लिया है जो कि दक्षिणपंथी संगठन श्री राम सेने का स्टेट प्रेसीडेंट भी है।
न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ स्वामी ने 3 अक्टूबर को हिंदुओं के महागणपति विसर्जन समारोह के दौरान नफ़रत फैलाने वाला बयान दिया था। न्यूज़ कर्नाटक के मुताबिक़ उन्होंने कथित चेतावनी दी कि - ‘अगर हिंदुओं का अपमान किया गया तो कर्नाटक दूसरा गोधरा बन जाएगा।’
स्वामी पर शाहपुर पुलिस स्टेशन में इंडियन पीनल कोड के सेक्शन नं 295 के तहत केस दायर किया गया है। यह कोई पहली बार नहीं है जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है। हिंदुत्व प्रोफ़ाइल्स वेबसाइट के मुताबिक़ वो लंबे समय से सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने में सक्रिय रहे हैं। कर्नाटक पुलिस द्वारा केस दर्ज होने के बाद मार्च, 2023 में कर्नाटक की एक लोकल कोर्ट ने स्वामी को कर्नाटक के याद्गिर में गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज के मैदान में विश्व हिंदू परिषद के 2015 के नफ़रती बयान के लिए दोषी क़रार दिया था।
इसी तरह 2017 की हिंदुत्व प्रोफ़ाइल्स के अनुसार उन्हें एक मुस्लिम व्यक्ति को असाल्ट करने लिए भी गिरफ़्तार किया गया था। उन्हें कर्नाटक पुलिस ने कर्नाटक के अंदोला में एक होटल-विध्वंस की घटना में कथित रूप से शामिल होने के कारण बेल से रिहा होने से पहले 10 दिन की न्यायिक हिरासत में लिया गया था। स्वामी को कर्नाटक में मुसलमानों द्वारा संचालित व्यापार और इंटरप्राइज़ेज़ का बहिष्कार करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों की दुकानों का बहिष्कार करने का संदेश भी दिया था। इसके अलावा 2020 में श्री राम सेने के इस नेता ने युवा आंदोलनकारियों को कहा कि उन्हें भी गौरी लंकेश की तरह किस्मत नसीब होगी। इसी तरह कर्नाटक में एक सार्वजनिक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि प्रो-पाकिस्तानी नारे देने वाले 3 कश्मीरी विद्यार्थियों की ज़बान काटने वाले को 3 लाख का इनाम दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री राम सेने की ओर से एक की ज़बान काटने पर 1 लाख की रक़म दी जाएगी और इस तरह कुल मिलाकर 3 लाख रूपए दिए जाएंगे। मुसलमान आबादी की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि देश का विरोध करने वालों को इस राज्य में रहने का कोई हक़ नहीं है।
इसी तरह 2021 में स्वामी राज्य में धर्मांतरण विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई से मिलने वाले डेलीगेशन का भी हिस्सा रहे हैं। सितंबर 2022 में कर्नाटक एसेंबली ने एंटी कर्नवर्ज़न लॉ पास किया था जिसके बारे में आशंका जताई जा रही थी कि इसे जबरन धर्मांतरण के नाम पर मुसलमानों और ईसाइयों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वामी कर्नाटक में अज़ान पर बैन के लिए जारी कैंपेन में भी शामिल रहे हैं और उन्होंने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के दक्षिणपंथी प्रयासों में भी बेहद अहम भूमिका अदा की है। उनके नेतृत्व में उनके संगठन ने हलाल गोश्त के ख़िलाफ़ हिंदू भावनाओं को भड़काने के अलावा हिंदू आबादी का हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों के ख़िलाफ़ ध्रुवीकरण भी किया है।
फ़िलहाल स्वामी अपने हालिया बयान के कारण क़ानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इन नफ़रती बयानों का आकलन करने के लिए लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियों का सहारा लिया जा सकता है। कांग्रेस सरकार के बाद कर्नाटक सरकार ने इंन्फ़ार्मेशन डिसआर्डर टैकलिंग यूनिट के ज़रिए नफ़रती बयानों को ट्रैक करने के मक़सद से विस्तृत योजना तैयार की है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, IT मंत्री प्रियांक खड़गे नफ़रती बयान की इन घटनाओं पर नज़र रखने को कार्यरत यूनिट को लीड कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट ने 10 करोड़ का बजट भी पेश किया है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
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