कर्नाटक के 13,000 स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो स्कूल प्रबंधन संघों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य शिक्षा विभाग से जुड़ीं विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए रिश्वत मांगी जा रही है। हर साल स्कूलों की मान्यता को नवीनीकृत करने वाली कोई भी फाइल बिना कमीशन या रिश्वत के आगे नहीं बढ़ती।
Representational Image. Image Courtesy: NDTV
नई दिल्ली: दो स्कूल प्रबंधन संघों के प्रतिनिधित्व वाले 13,000 स्कूलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
इस संबंध में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में स्कूल प्रबंधन निकायों, एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइमरी एंड सेकंडरी स्कूल्स और रजिस्टर्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स मैनेजमेंट (आरयूपीएसए) ने आरोप लगाया है कि विभाग से जुड़ीं विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए राज्य शिक्षा विभाग रिश्वत की मांग कर रहा है, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रमाण-पत्र जारी करना शामिल है।
उन्होंने सारा दोष राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश पर मढ़ा है।
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, आरयूपीएसए के अध्यक्ष लोकेश तालीकटे ने बीते 26 अगस्त को कहा, ‘शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय मंत्री बीसी नागेश लालची बन गए हैं और उनके लालच के कारण कई निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।’
पत्र में कहा गया कि उनकी कई अपीलों को नागेश और मुख्यमंत्री बोम्मई द्वारा अनसुना कर दिया गया, इसने उन्हें प्रधानमंत्री से संपर्क करने के लिए मजबूर किया।
तालीकटे ने दावा किया कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों और सार्वजनिक निर्देश के उप-निदेशक (डीडीपीआई) ने किसी भी आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए ‘कट’ के रूप में प्रतिशत निर्धारित किया है।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘शिक्षा विभाग हर साल स्कूलों की मान्यता को नवीनीकृत करता है और कोई भी फाइल बिना कमीशन या रिश्वत के आगे नहीं बढ़ती।’
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में भाजपा के ‘दो अलग-अलग मंत्रियों’ पर राज्य में स्कूलों के लिए परेशानी खड़ी करने का आरोप लगाया है।
एनडीटीवी के मुताबिक पत्र में कहा गया है, ‘शिक्षा मंत्रालय पूरी व्यवस्था की वास्तविक दयनीय स्थिति को सुनने व समझने और मुद्दों को हल करने को लेकर असहिष्णु बना हुआ है। भाजपा के दो अलग-अलग मंत्रियों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वाले स्कूलों के बजाय ‘बजट स्कूलों’ को अधिक नुकसान पहुंचाया है।’
पत्र में आगे कहा गया है, ‘शिक्षा मंत्री को कठोर मापदंडों को उदार बनाने और ऐसे नियम व कानून बनाने की कोई चिंता नहीं है, जिन्हें सार्वजनिक और निजी स्कूल माता-पिता और छात्रों पर बिना बोझ डाले व्यावहारिक और भौतिक तौर पर लागू कर सकें।’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि कर्नाटक के शिक्षा मंत्रालय के कामकाज की जांच कराएं।
इस बीच, शिक्षा मंत्री नागेश ने आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है कि वे ऐसे आरोप लगा रहे हैं। अगर उनके पास प्रमाण हैं तो वे लोकायुक्त के पास जाएं।’
गौरतलब है कि स्कूल प्रबंधन संघों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा यह पत्र, 25 अगस्त को राज्य के ठेकेदारों के संघ द्वारा लिखे उस पत्र के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने बोम्मई सरकार पर 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाया था।
Courtesy: The Wire
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नई दिल्ली: दो स्कूल प्रबंधन संघों के प्रतिनिधित्व वाले 13,000 स्कूलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
इस संबंध में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में स्कूल प्रबंधन निकायों, एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइमरी एंड सेकंडरी स्कूल्स और रजिस्टर्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स मैनेजमेंट (आरयूपीएसए) ने आरोप लगाया है कि विभाग से जुड़ीं विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए राज्य शिक्षा विभाग रिश्वत की मांग कर रहा है, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रमाण-पत्र जारी करना शामिल है।
उन्होंने सारा दोष राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश पर मढ़ा है।
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, आरयूपीएसए के अध्यक्ष लोकेश तालीकटे ने बीते 26 अगस्त को कहा, ‘शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय मंत्री बीसी नागेश लालची बन गए हैं और उनके लालच के कारण कई निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।’
पत्र में कहा गया कि उनकी कई अपीलों को नागेश और मुख्यमंत्री बोम्मई द्वारा अनसुना कर दिया गया, इसने उन्हें प्रधानमंत्री से संपर्क करने के लिए मजबूर किया।
तालीकटे ने दावा किया कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों और सार्वजनिक निर्देश के उप-निदेशक (डीडीपीआई) ने किसी भी आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए ‘कट’ के रूप में प्रतिशत निर्धारित किया है।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘शिक्षा विभाग हर साल स्कूलों की मान्यता को नवीनीकृत करता है और कोई भी फाइल बिना कमीशन या रिश्वत के आगे नहीं बढ़ती।’
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में भाजपा के ‘दो अलग-अलग मंत्रियों’ पर राज्य में स्कूलों के लिए परेशानी खड़ी करने का आरोप लगाया है।
एनडीटीवी के मुताबिक पत्र में कहा गया है, ‘शिक्षा मंत्रालय पूरी व्यवस्था की वास्तविक दयनीय स्थिति को सुनने व समझने और मुद्दों को हल करने को लेकर असहिष्णु बना हुआ है। भाजपा के दो अलग-अलग मंत्रियों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वाले स्कूलों के बजाय ‘बजट स्कूलों’ को अधिक नुकसान पहुंचाया है।’
पत्र में आगे कहा गया है, ‘शिक्षा मंत्री को कठोर मापदंडों को उदार बनाने और ऐसे नियम व कानून बनाने की कोई चिंता नहीं है, जिन्हें सार्वजनिक और निजी स्कूल माता-पिता और छात्रों पर बिना बोझ डाले व्यावहारिक और भौतिक तौर पर लागू कर सकें।’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि कर्नाटक के शिक्षा मंत्रालय के कामकाज की जांच कराएं।
इस बीच, शिक्षा मंत्री नागेश ने आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है कि वे ऐसे आरोप लगा रहे हैं। अगर उनके पास प्रमाण हैं तो वे लोकायुक्त के पास जाएं।’
गौरतलब है कि स्कूल प्रबंधन संघों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा यह पत्र, 25 अगस्त को राज्य के ठेकेदारों के संघ द्वारा लिखे उस पत्र के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने बोम्मई सरकार पर 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाया था।
Courtesy: The Wire