क्या सीएम योगी की खबरें शेयर करना अपराध है? सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पत्रकार की गिरफ्तारी का मामला

Written by sabrang india | Published on: June 10, 2019
साल 2016 में एक महिला ने दावा किया था कि राहुल गांधी उसके सपने में आते हैं और वह राहुल गांधी से शादी करना चाहती है। महिला ने न्यूज चैनलों को बाइट दी और जमकर खबरें चलीं। अब ऐसा ही एक मामला यूपी से सामने आया है। एक महिला लखनऊ पहुंची और उसने यूपी सीएम के बारे में भी इसी तरह की बातें कहीं। इस महिला ने भी पत्रकारों को बाइट दी है। यह बाइट एक पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने कैप्शन के साथ शेयर कर दी जिसपर लिखा है, 'इश्क छुपाए नहीं छुपता योगी जी'. 

यूपी में कानून व्यवस्था बुरी तरह लचर है। आए दिन रेप और मर्डर की घटनाएं हो रही हैं। हर किसी मामले में पुलिस की लचर कार्यप्रणाली नजर आती है लेकिन सीएम योगी का वीडियो शेयर करने पर पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और एक एसआई ने खुद रिपोर्ट दर्ज करा दी और लखनऊ से दिल्ली जाकर पत्रकार को गिरफ्तार कर लाई। 

प्रशांत कनौजिया भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद द वायर के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। वर्तमान में फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें लखनऊ पुलिस गिरफ्तार कर ले गई। द से बात करते हुए प्रशांत कनौजिया की पत्नी जागीशा अरोड़ा ने बताया, “शनिवार को मंडावली में हमारे घर से पुलिस ने प्रशांत को गिरफ्तार किया है। पुलिसवालों ने मुझे ना प्राथमिकी की कॉपी दी, ना ही कोई वॉरंट या आधिकारिक दस्तावेज़ दिया। हमारे घर का पता पुलिस ने हमारे एक दोस्त से लिया था।”

सोचिए सिर्फ एक ट्वीट के लिए पुलिस गिरफ्तार करने उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ गई और वह भी बिना किसी दस्तावेज़ के। प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार करने पुलिस लखनऊ के हज़रतगंज थाने से आई थी। गिरफ्तारी के तुरंत बाद विभिन्न मीडिया वालों ने हज़रतगंज थाने से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। यह गिरफ्तारी अगर वैध थी, तो पुलिस इस बारे में तथ्यों को छुपा क्यों रही थी?

जिस ट्वीट के लिए प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार किया गया है, उस ट्वीट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था। एक महिला ने दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ उनसे प्रेम करते हैं और वह उन्हें लव लेटर देना चाहती है। मामला सीएम से जुड़ा हुआ था तो खबरें भी चलनी चाहिए थीं लेकिन क्या योगी आदित्यनाथ के बारे में कुछ गलत खबर आती है तो वह नहीं चलनी चाहिए?



अब बीजेपी की रणनीति देख लीजिए
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया के लिए एक टीम बनाई थी। यह टीम बीजेपी के विरोध में लिखने वालों को ट्रोल करने के लिए मशहूर है। हजारों लोग सिर्फ ट्वीट-रीट्वीट का काम करने के लिए बीजेपी द्वारा लगाए गए हैं। पिछले साल सितंबर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान के कोटा में अपने सोशल मीडिया वॉलंटियर्स को संबोधित करते हुए एक झूठी घटना का जिक्र किया था। यह घटना अखिलेश औऱ मुलायम सिंह यादव के बारे में थी। उन्होंने कहा था कि उनके एक कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर लिख दिया था कि अखिलेश ने मुलायम को चांटा मारा, यह खबर गलत थी लेकिन वायरल हो गई। इस घटना के जरिए शाह बीजेपी की सोशल मीडिया टीम की ताकत बता रहे थे लेकिन उन्होंने इसे कवरअप करने के बारे में कुछ नहीं मिला और एक तरह से फेक न्यूज को बढ़ावा दिया। अब सवाल यह है कि बीजेपी दूसरों के बारे में फेक न्यूज से जितना खुश होती है, अपनी सही खबरों पर भी किस तरह से तिलमिला जाती है। 

योगी आदित्यनाथ वाले प्रकरण में सिर्फ प्रशांत कनौजिया ही नहीं बल्कि तीन पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। प्रशांत कनौजिया मामले पर डिबेट कराने के चलते एक न्यूज चैनल के संपादक और हेड को भी गिरफ्तार किया गया है। इस कार्यक्रम में वे मुख्यमंत्री की कितनी मानहानि पर चर्चा कर रहे थे।

अब कानूनी पक्ष जान लीजिए
प्रशांत की गिरफ्तारी में पुलिस ने हड़बड़ी में जो धाराएं लगाई हैं उनपर यूपी पुलिस खुद ही घिर गई है। सबसे पहले जो एफआईआर की कॉपी सामने आई, उसमें प्रशांत पर दो धाराओं के लगने का ज़िक्र था। पहली, सेक्शन 500 यानि योगी आदित्यनाथ की छवि धूमिल करने की कोशिश। दूसरी, सेक्शन 66 आईटी एक्ट।

इन दो धाराओं के आधार पर प्रशांत को गिरफ्तार करना गैर कानूनी है। सेक्शन 500 ‘नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस’ और निजी शिकायत के आधार पर दर्ज होती है। यानि इस मामले में बिना किसी कोर्ट के आदेश के गिरफ्तारी नहीं हो सकती है और ना ही कोई पुलिस वाला खुद शिकायत दर्ज कर सकता है। यह बेलेबल ऑफेंस भी है। इस मामले को लेकर प्रशांत कनौजिया की पत्नी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। 

सेक्शन 66 आईटी एक्ट इस मामले में लागू ही नहीं होता। यह सेक्शन तब लागू होता है जब आप गलत तरीके से किसी दूसरे के कंप्यूटर से डाटा या जानकारी चुराए। प्रशांत कनौजिया पर यह धारा लगाना कानून की धज्जियां उड़ाने के बराबर है। उन्होंने किसके कंप्यूटर से जानकारी चुराई है?

शायद उत्तर प्रदेश पुलिस को यह एहसास हो गया था कि प्रशांत पर लगी दोनों धाराएं उनको गिरफ्तार करने के लिए काफी नहीं हैं, इसलिए देर रात पुलिस ने एक स्टेटमेंट जारी किया। इसमें पुलिस ने धाराओं को बदल दिया। पुलिस ने स्टेटमेंट में बताया कि प्रशांत पर सेक्शन 500, सेक्शन 67 आईटी एक्ट और सेक्शन 505 लगा है। 

अब प्रशांत की पत्नी जगीशा कनौजिया ने सुप्रीम कोर्ट में 'हैबियस कॉरपस' याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि प्रशांत की गिरफ्तारी गैरकानूनी है और यूपी पुलिस ने इस संबंध में ना तो FIR के बारे में जानकारी दी है ना ही गिरफ्तारी के लिए कोई गाइडलाइन का पालन किया है। उन्हें दिल्ली में ट्रांजिट रिमांड के लिए किसी मजिस्ट्रेट के पास भी पेश नहीं किया गया।  साथ में इस बात की भी दलील दी गई है कि FIR में IPC की धारा 500 लगाई गई है जो पुलिस नहीं लगा सकती ये मजिस्ट्रेट ही लगा सकता है। दो धाराएं जमानती हैं।

ऐसे में अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या योगी आदित्यनाथ के बारे में लिखना, बोलना अपराध हो गया है। क्या योगी आदित्यनाथ सेक्शन 19 को बाईपास कर अभिव्यक्ति की आजादी पर एकतरफा कार्रवाई कराने पर तुले हैं? पत्रकार की गिरफ्तारी मीडिया डिबेट का हिस्सा क्यों नहीं है?

बाकी ख़बरें