उत्तर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार को एक रिपोर्ट से हिला देने वाले बहुचर्चित पत्रकार पवन जायसवाल अब नहीं रहे। उनका निधन हो गया है। वह कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन की सूचना सामने आने के बाद से शोक की लहर है। मिर्जापुर मिड डे मील में नमक रोटी प्रकरण से चर्चित हुए पत्रकार पवन कैंसर से पीड़ित थे।
पवन जायसवाल दुखद घटना के बीच एक बार फिर नमक रोटी प्रकरण की लोग चर्चा कर रहे हैं। नमक रोटी कांड के बाद पवन जायसवाल डिजीटल मीडिया प्लेटफॉर्म जनज्वार डॉट कॉम से जुड़ गए थे। पवन जायसवाल ने आज 5 मई की सुबह 5.45 बजे अंतिम सांस ली।
उनकी मौत की सूचना सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शिवदास ने लिखा है, 'सरकारी स्कूल में नमक-रोटी परोसे जाने की खबर करने वाले क्षेत्रीय पत्रकार पवन जायसवाल आखिरकार कैंसर से जंग हार ही गये। सत्ता और उसका पूरा कुनबा अपने मंसूबे में कामयाब रहा। मिर्जापुर के अहरौरा निवासी पत्रकार पवन जायसवाल को बचाने की हम सभी की पूरी कोशिश बेकार गई। उन्हें नमन और उनकी साहसिक पत्रकारिता को क्रांतिकारी सलाम!'
फेफड़े के संक्रमण से दोबारा संक्रमित होने के बाद पवन जायसवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। अंतिम समय पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और आज 5 मई की सुबह उनकी मौत हो गयी।
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर अहरौरा कस्बे के निवासी करीब 38 वर्षीय पवन जायसवाल फ्रीलांसर के तौर पर अपनी सेवा देते रहे हैं। उनकी गिनती तेजतर्रार पत्रकार के रूप में होती थी। पवन के मां, भाई, के साथ पत्नी और 2 छोटे छोटे बच्चे भी हैं।
अगस्त 2019 में नमक रोटी कांड का पर्दाफाश करने के बाद पवन उस समय देश-विदेश की मीडिया में चर्चा में आए थे, जब उन्होंने प्राथमिक स्कूलों में दिए जाने वाले मिड डे मील में नमक से रोटी खिलाने की तस्वीरों को सामने लेकर आए थे। तस्वीरों के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने पवन के ऊपर मुकदमा भी दर्ज कराया था। जिसको लेकर देश-विदेश की मीडिया में प्रदेश सरकार की आलोचना भी हुई थी। बड़े पत्रकारों के साथ पत्रकार संगठन तक पवन की मदद को लेकर आगे आए थे और मामले की जांच भी हुई थी लेकिन आखिरकार पवन ने वह लड़ाई जीत ली थी।
प्रेस काउंसलिंग ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने इस मामले को स्वत: सज्ञान में लिया था। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के हस्तक्षेप के बाद मिर्जापुर पुलिस ने केस से पत्रकार का नाम हटा दिया था। पवन जायसवाल के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार और अधिकारियों के कामकाज पर भी सवाल उठे थे। इस खबर को कवर करने लिए पवन को कमलापति पत्रकारिता सम्मान प्रदान किया गया था।
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उनकी मौत की सूचना सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शिवदास ने लिखा है, 'सरकारी स्कूल में नमक-रोटी परोसे जाने की खबर करने वाले क्षेत्रीय पत्रकार पवन जायसवाल आखिरकार कैंसर से जंग हार ही गये। सत्ता और उसका पूरा कुनबा अपने मंसूबे में कामयाब रहा। मिर्जापुर के अहरौरा निवासी पत्रकार पवन जायसवाल को बचाने की हम सभी की पूरी कोशिश बेकार गई। उन्हें नमन और उनकी साहसिक पत्रकारिता को क्रांतिकारी सलाम!'
फेफड़े के संक्रमण से दोबारा संक्रमित होने के बाद पवन जायसवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। अंतिम समय पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और आज 5 मई की सुबह उनकी मौत हो गयी।
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर अहरौरा कस्बे के निवासी करीब 38 वर्षीय पवन जायसवाल फ्रीलांसर के तौर पर अपनी सेवा देते रहे हैं। उनकी गिनती तेजतर्रार पत्रकार के रूप में होती थी। पवन के मां, भाई, के साथ पत्नी और 2 छोटे छोटे बच्चे भी हैं।
अगस्त 2019 में नमक रोटी कांड का पर्दाफाश करने के बाद पवन उस समय देश-विदेश की मीडिया में चर्चा में आए थे, जब उन्होंने प्राथमिक स्कूलों में दिए जाने वाले मिड डे मील में नमक से रोटी खिलाने की तस्वीरों को सामने लेकर आए थे। तस्वीरों के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने पवन के ऊपर मुकदमा भी दर्ज कराया था। जिसको लेकर देश-विदेश की मीडिया में प्रदेश सरकार की आलोचना भी हुई थी। बड़े पत्रकारों के साथ पत्रकार संगठन तक पवन की मदद को लेकर आगे आए थे और मामले की जांच भी हुई थी लेकिन आखिरकार पवन ने वह लड़ाई जीत ली थी।
प्रेस काउंसलिंग ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने इस मामले को स्वत: सज्ञान में लिया था। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के हस्तक्षेप के बाद मिर्जापुर पुलिस ने केस से पत्रकार का नाम हटा दिया था। पवन जायसवाल के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार और अधिकारियों के कामकाज पर भी सवाल उठे थे। इस खबर को कवर करने लिए पवन को कमलापति पत्रकारिता सम्मान प्रदान किया गया था।
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