JNU प्रशासन ने धरने पर 'पहरे' वाला नोटिफिकेशन वापस लिया

Written by sabrang india | Published on: March 3, 2023
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए 'अनुशासन और उचित आचरण' के लिए जारी किया गया 10 पन्नों का नोटिफिकेशन वापस ले लिया गया है। 



विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने गुरुवार को पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी। मैं किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं।मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली। मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है। मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला। इसलिए, मैंने इसे वापस ले लिया है।''

विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने नये नियम की निंदा की थी और इन्हें क्रूरतापूर्ण बताया था। जेएनयू छात्र संघ ने नये नियमों पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को सभी छात्र संगठनों की बैठक बुलाई थी। 

'जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम' शीर्षक वाले 10 पन्नों के दस्तावेज में प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान था। इसमें प्रॉक्टर स्तर की जांच की प्रक्रिया और बयान दर्ज करने का भी प्रावधान था। इसमें 5000 रुपये से लेकर 50000 रुपये तक जुर्माने या विश्वविद्यालय से निष्कासित करने और प्रवेश निरस्त करने का भी प्रावधान था। 
 
भाजपा की छात्र इकाई ABVP ने भी इस नोटिफिकेशन का विरोध किया था। ABVP के सेक्रेटरी विकास पटेल ने इसे 'तुगलकी फ़रमान' बताते हुए वापस लेने की मांग की थी।
 
नोटिफिकेशन के प्रावधान 
नए नियम और उससे जुड़ी सज़ा की एक लंबी लिस्ट है जिसमें 17 गतिविधियों को 'क्राइम' में शामिल किया गया है। नए नियमों के मुताबिक़ जहां कैम्पस में धरना देने पर 20 हज़ार रुपये का जुर्माना लगेगा, वहीं हिंसा में शामिल पाए जाने पर 30 हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर दाखिला रद्द हो सकता है।

इसके अलावा कोई छात्र अगर किसी दूसरे छात्र, फैकल्टी, या फिर स्टाफ के साथ बुरा व्यवहार करते हुए पाया गया तो उस पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगेगा।

नोटिफिकेशन के मुताबिक़ और भी कई ऐसे नियम बनाए गए जिनका उल्लंघन करने पर 5 हज़ार रुपये से लेकर 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा जुआ खेलना, होस्टल के कमरों पर अनधिकृत तरीक़े से क़ब्ज़ा करने पर भी कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाएगा।
 
अनुशासन और आचरण से जुड़े ये नियम 3 फरवरी से लागू होने थे। और ये नियम सभी छात्रों पर लागू होते जिनमें पार्ट-टाइम कोर्स करने वाले छात्र भी शामिल थे। नियमों का उल्लंघन करने पर छात्रों पर होने वाली कार्रवाई की एक कॉपी माता-पिता को भी भेजने का प्रावधान था।

नोटिफिकेशन के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद ने नए नियमों को मंजूरी दे दी थी। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने PTI-भाषा को बताया कि एक एजेंडे के तहत यह मुद्दा सामने रखा गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मामले को अदालत में ले जाने की नीयत से ये नियम तैयार किए गए हैं।

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