क्या चुनाव आयोग मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी कर लोकसभा चुनाव में बड़ा घोटाला करने जा रहा है?

Written by Girish Malviya | Published on: May 1, 2019
मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी की आशंका फोन पर मित्र Apurva Bharadwaj ने आज दोपहर में जाहिर की तो मैं भी एकबारगी चौंक गया. अपूर्व डेटा एनिलिसिस के पुराने खिलाड़ी रह चुके हैं इसलिए उनकी बात वजन रखती है. उन्होंने बताया कि इस बार चुनाव आयोग ने एक एप्प बनाई है जिसका नाम हैं 'वोटर टर्नआउट ऐप' इस ऐप के माध्यम से मतदान के दौरान रियल टाइम में यह जाना जा सकता है कि वोटरों की संख्या कितनी रही, किस चरण में कहां-कितने प्रतिशत मतदान हुआ. इस एप के माध्यम से ही उन्हें यह पता लगा कि चुनाव आयोग द्वारा कल शाम को रिलीज किये गए मतदान के आंकड़ों और आज दोपहर को जारी आंकड़ों में बहुत परिवर्तन आ गया है जिससे यह महसूस हो रहा है कि वाकई 'कुछ बड़ा होने वाला है'.

इसे जब मैंने क्रॉस चेक किया तो यह बात बिल्कुल सच पाई गई. खुद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों से यह बात सही सिद्ध हो रही है. 

29 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में नौ राज्यों की 72 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए और रात 9:39 तक 63.16 फ़ीसदी मतदान दर्ज किया गया. नीचे इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट से लिया गया स्क्रीन शॉट संलग्न है इसके अनुसार चौथे चरण में निम्न प्रदेशों में इतने प्रतिशत मतदान देखा गया.

बिहार 58.02%
जम्मू कश्मीर 9.79%
मध्यप्रदेश 69.39%
महाराष्ट्र 55.86%
ओडिशा 64.24%
राजस्थान 67.91%
उत्तर प्रदेश 58.84%
पश्चिम बंगाल 76.72%
झारखंड 64.38%


इलेक्शन के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

चुनाव के अगले दिन का स्क्रीनशॉट




लेकिन जब आज यह इलेक्शन कमीशन की वोटर टर्नआउट ऐप' पर डेटा अपडेट हुआ तो सिर्फ 2 राज्यों में तस्वीरें पूरी तरह से बदल चुकी थीं. ये 2 राज्य हैं ओडीशा और पश्चिम बंगाल.

इन दोनों राज्यों में मतदान का प्रतिशत अचानक से लगभग 7 से 8 प्रतिशत बढ़ गया. अब ओडिशा में यह 64.24%से बढ़कर सीधे 72.89% हो गया और पश्चिम बंगाल में 76.72% से सीधा बढ़कर 82.77% हो गया.

बाकी राज्यों में भी थोड़ी घट बढ़ हुई है, जैसे महाराष्ट्र में 55.86% से 56.61% हुआ है. राजस्थान में 67.91% से 68.16% हुआ है.

लेकिन इन दो राज्यों में जहाँ बीजेपी की स्थिति सबसे कमजोर है और सारी ताकत उसने इन्ही 2 राज्यों पर लगा रखी है उन्हीं 2 राज्यों के मतदान के आंकड़ों में इतना बड़ा मेजर चेंज कैसे आ गया यह बात हैरान कर देती है.

डाटा एनिलिसिस को बहुत नजदीक से समझने वाले मित्र अपूर्व इस बारे में विस्तार से बतलाते हैं, 'डाटा विश्लेषण में डाटा क्लीनिंग एक टर्म होता है सब विश्लेषक जानते हैं कि डाटा में त्रुटि हो होती है. को-रिलेशन मैट्रिक्स और स्टैंडर्ड डिवीएशन की थ्योरी को जानने वाले इसकी महत्ता को जानते है चुनावों में प्रतिशत त्रुटि की स्वीकार्यता उसकी सटीकता पर निर्भर करती है. कुछ मामलों में यह इतना मुश्किल हो सकता है कि 3% त्रुटि या इससे अधिक स्वीकार्य नहीं हो सकता है. कुछ मामलों में 1% त्रुटि बहुत अधिक हो सकती है. अधिकांश डाटा विश्लेषक 3% त्रुटि स्वीकार करेंगे. लेकिन यह केवल एक दिशानिर्देश है. विश्लेषण के उच्च स्तर पर, आमतौर पर उच्च सटीकता की आशा करते हैं. आपको में यूपी 2014 लोकसभा का उदाहरण देता हूँ, वहां त्रिकोणीय संघर्ष था और केवल 42℅ वोट पाकर बीजेपी ने 73 से ज्यादा सीट प्राप्त कर लिया था. अगर इस हिसाब से देखें तो ओडिशा और बंगाल में त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय संघर्ष है. अगर वहां 6-8 प्रतिशत वोट बीजेपी के प्रति स्विंग होता है तो परिणाम बिलकुल चौंका सकते हैं. मेरे लिए अब ओडिशा और बंगाल के चुनाव और अधिक दिलचस्प हो गए हैं शायद इस चुनाव की असली कहानी वहीं बन रही है'.

(लेखक पत्रकार हैं, यह आर्टिकल उनके फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित किया गया है।)
 

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