मीरापुर : सहारनपुर से 110 किमी दूर मुज़फ़्फ़रनगर जनपद के थाना क्षेत्र मीरापुर में कैथोड़ा ग्राम पंचायत के अधीन एक गांव है दायमपूरा. दायमपूरा के प्रवेश पर अम्बेडकर धर्मशाला है, इसके बाहर एक प्रवेश बोर्ड लगा है. बोर्ड पर लिखा है ‘द ग्रेट चमार’, जाटव नगर में आपका स्वागत है.
इस गांव से 4 किमी आगे पुट्ठी इब्राहिमपुर नाम के एक दूसरे गांव में भी इसी तरह का एक बोर्ड लगा है. कई गांव में दलितों की बस्ती में खुद के चमार होने पर नाज़ जताते इन हर एक बोर्ड की एक ही कहानी है और इस कहानी के पीछे भीम आर्मी है.
पिछले तीन महीने से दलितों के अधिकतर गांवो में भीम आर्मी की और रुझान बढ़ गया है. चन्द्रशेखर आज़ाद के ख़िलाफ़ ज़मानत मिलने के तुरंत बाद रासुका लगाए जाने के बाद इन गांवों में नौजवान गुस्से में है.
एक साल पहले तक दलितों के किसी गांव में खुद के चमार होने पर गर्व व्यक्त करता ऐसा कोई बोर्ड अस्तित्व में नहीं आया था. लेकिन अब दलित बहुल अधिकतर गांवो में यह बोर्ड नज़र आ रहा है.
बोर्ड के पीछे की कहानी को युवा दलित नेता और पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य सोहनलाल चांदना बताते हैं, पिछले साल सहारनपुर के घड़कौली गांव में द ग्रेट राजपुताना नाम का बोर्ड लगा था इसे देखकर यहां अरुण जाटव के नाम एक दलित लड़के ने “द ग्रेट चमार” नामक बोर्ड लगा दिया. ठाकुर लड़कों ने उस पर कालिख पोत दी. विरोध पर अरुण की पिटाई की. तब भीम आर्मी के लड़कों ने उस बोर्ड को वहीं ठीक करवाया और ठाकुरों को ज़ोरदार जवाब दिया.
भीम आर्मी का यह पहला क़दम था, जिससे उसे शोहरत मिली. अब भीम आर्मी सुप्रीमों के विरुद्ध दमन कार्रवाई चल रही है तो समाज के लड़के यह बोर्ड लगाकर सन्देश दे रहे हैं कि चन्द्रशेखर का दमन किया जा सकता है, मगर विचारों का नहीं. अब हर एक युवक चन्द्रशेखर बन जाएगा और हर गांव घड़कौली.
दायमपुरा के इस गांव में लगभग 200 परिवार रहते हैं, जिनमें 180 परिवार दलित हैं. यहां भीम आर्मी से जुड़े हुए दलित समाज के कई लड़के हैं. हर रविवार को यहां दलित नौजवानों की पंचायत होती है. लेकिन अब चन्द्रशेखर पर रासुका लगने के बाद से यहां रोज़ दलित नौजवान जुट रहे हैं.
रवि (23) कहते हैं, खुला अत्याचार हो रहा है. चन्द्रशेखर की कोई ग़लती नहीं है. उसने समाज के लिए आवाज़ उठाई. दलितों को एकजुट होना चाहिए. हम आपस में लड़ते रहते हैं. सबको चन्द्रशेखर के साथ खड़ा होना चाहिए.
एक और युवा अमरजीत (20) कहते हैं, चन्द्रशेखर पहली बार द ग्रेट चमार बोर्ड लगाने से आंख में खटके थे. अब हम वहीं से शुरू कर रहे हैं. हर गांव में दलित होने का गर्व दीवारों पर लिखकर बताया जाएगा. हम सब चंद्रशेखर हो जाएंगे.
खास बात यह है कि चन्द्रशेखर की हिमायत में दलित नौजवान मायावती के भी ख़िलाफ़ बोलने से गुरेज़ नहीं कर रहे हैं.
कपिल बताते हैं कि, बसपा सुप्रीमो को चंद्रशेखर की हिमायत में उतर जाना चाहिए. एक बात साफ़ है कि वो जो कुछ भी कर रहा था, वो सब दलितों के लिए था या अब उसे सज़ा मिल रही है तो वो भी दलित होने की वजह से ही है. उसका कोई स्वार्थ भी नज़र नहीं आता. वो राजनीति करने से भी इंकार कर चुका है तो फिर उससे किनारा कर लेना का बहन जी का फैसला सही नहीं है. इससे दलित बहन जी का साथ छोड़ देगा.
बुधन्ना (71) अपनी पत्नी पीरो (65) के साथ उदास चेहरे के साथ बैठे हैं. वो कहते हैं, गांव के बच्चों ने पैसे इकठ्ठा करके यह बोर्ड लगवाया है. इन्हें चमार होने का गर्व है. मगर हम कभी चमार नहीं होना चाहते, क्योंकि चमार होकर कितनी मुसीबत झेलनी पड़ती है, यह बस हम जानते हैं. हम नहीं जानते इस बोर्ड पर क्या लिखा है. मगर यह दिखता है हमारे लड़के भी अब बड़ी-बड़ी बात करते हैं.
Courtesy: Two Circles
इस गांव से 4 किमी आगे पुट्ठी इब्राहिमपुर नाम के एक दूसरे गांव में भी इसी तरह का एक बोर्ड लगा है. कई गांव में दलितों की बस्ती में खुद के चमार होने पर नाज़ जताते इन हर एक बोर्ड की एक ही कहानी है और इस कहानी के पीछे भीम आर्मी है.
पिछले तीन महीने से दलितों के अधिकतर गांवो में भीम आर्मी की और रुझान बढ़ गया है. चन्द्रशेखर आज़ाद के ख़िलाफ़ ज़मानत मिलने के तुरंत बाद रासुका लगाए जाने के बाद इन गांवों में नौजवान गुस्से में है.
एक साल पहले तक दलितों के किसी गांव में खुद के चमार होने पर गर्व व्यक्त करता ऐसा कोई बोर्ड अस्तित्व में नहीं आया था. लेकिन अब दलित बहुल अधिकतर गांवो में यह बोर्ड नज़र आ रहा है.
बोर्ड के पीछे की कहानी को युवा दलित नेता और पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य सोहनलाल चांदना बताते हैं, पिछले साल सहारनपुर के घड़कौली गांव में द ग्रेट राजपुताना नाम का बोर्ड लगा था इसे देखकर यहां अरुण जाटव के नाम एक दलित लड़के ने “द ग्रेट चमार” नामक बोर्ड लगा दिया. ठाकुर लड़कों ने उस पर कालिख पोत दी. विरोध पर अरुण की पिटाई की. तब भीम आर्मी के लड़कों ने उस बोर्ड को वहीं ठीक करवाया और ठाकुरों को ज़ोरदार जवाब दिया.
भीम आर्मी का यह पहला क़दम था, जिससे उसे शोहरत मिली. अब भीम आर्मी सुप्रीमों के विरुद्ध दमन कार्रवाई चल रही है तो समाज के लड़के यह बोर्ड लगाकर सन्देश दे रहे हैं कि चन्द्रशेखर का दमन किया जा सकता है, मगर विचारों का नहीं. अब हर एक युवक चन्द्रशेखर बन जाएगा और हर गांव घड़कौली.
दायमपुरा के इस गांव में लगभग 200 परिवार रहते हैं, जिनमें 180 परिवार दलित हैं. यहां भीम आर्मी से जुड़े हुए दलित समाज के कई लड़के हैं. हर रविवार को यहां दलित नौजवानों की पंचायत होती है. लेकिन अब चन्द्रशेखर पर रासुका लगने के बाद से यहां रोज़ दलित नौजवान जुट रहे हैं.
रवि (23) कहते हैं, खुला अत्याचार हो रहा है. चन्द्रशेखर की कोई ग़लती नहीं है. उसने समाज के लिए आवाज़ उठाई. दलितों को एकजुट होना चाहिए. हम आपस में लड़ते रहते हैं. सबको चन्द्रशेखर के साथ खड़ा होना चाहिए.
एक और युवा अमरजीत (20) कहते हैं, चन्द्रशेखर पहली बार द ग्रेट चमार बोर्ड लगाने से आंख में खटके थे. अब हम वहीं से शुरू कर रहे हैं. हर गांव में दलित होने का गर्व दीवारों पर लिखकर बताया जाएगा. हम सब चंद्रशेखर हो जाएंगे.
खास बात यह है कि चन्द्रशेखर की हिमायत में दलित नौजवान मायावती के भी ख़िलाफ़ बोलने से गुरेज़ नहीं कर रहे हैं.
कपिल बताते हैं कि, बसपा सुप्रीमो को चंद्रशेखर की हिमायत में उतर जाना चाहिए. एक बात साफ़ है कि वो जो कुछ भी कर रहा था, वो सब दलितों के लिए था या अब उसे सज़ा मिल रही है तो वो भी दलित होने की वजह से ही है. उसका कोई स्वार्थ भी नज़र नहीं आता. वो राजनीति करने से भी इंकार कर चुका है तो फिर उससे किनारा कर लेना का बहन जी का फैसला सही नहीं है. इससे दलित बहन जी का साथ छोड़ देगा.
बुधन्ना (71) अपनी पत्नी पीरो (65) के साथ उदास चेहरे के साथ बैठे हैं. वो कहते हैं, गांव के बच्चों ने पैसे इकठ्ठा करके यह बोर्ड लगवाया है. इन्हें चमार होने का गर्व है. मगर हम कभी चमार नहीं होना चाहते, क्योंकि चमार होकर कितनी मुसीबत झेलनी पड़ती है, यह बस हम जानते हैं. हम नहीं जानते इस बोर्ड पर क्या लिखा है. मगर यह दिखता है हमारे लड़के भी अब बड़ी-बड़ी बात करते हैं.
Courtesy: Two Circles