इलाहाबाद में BLO ने डर, दबाव और लोगों के गुस्से के बीच SIR ड्यूटी करने से मना कर दिया

Written by sabrang india | Published on: November 24, 2025
सात BLO की सैलरी रोक दी गई है और उनमें से एक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। फाफामऊ के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर हीरालाल सैनी ने कहा, “उनके तय एरिया से गायब रहने पर उनके खिलाफ एक्शन लिया गया।” BLO में आंगनवाड़ी वर्कर, शिक्षा मित्र, पंचायत असिस्टेंट और PWD कर्मचारी शामिल हैं।


प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार : ईसीआई

इलाहाबाद जिले में बूथ-लेवल ऑफिसर सैलरी में कटौती और पुलिस केस जैसी कार्रवाई के बावजूद वोटर लिस्ट के चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में अपनी ड्यूटी करने से मना कर रहे हैं या बच रहे हैं। कई BLO का कहना है कि उन्हें उन लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है जो SIR फॉर्म नहीं लेना चाहते हैं।

फाफामऊ चुनाव क्षेत्र के एक BLO ने द टेलीग्राफ को बताया, “लोग हमें फॉर्म देने के लिए नाराज़ हैं। वे हमें शक की नजर से देखते हैं और अक्सर उन्हें लेने से मना कर देते हैं। हममें से कई स्थानीय लोग हैं, जिससे हम कमजोर महसूस करते हैं। इसी वजह से कई लोगों ने SIR का काम करना बंद कर दिया है।”

ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, फाफामऊ ग्रामीण इलाका है जो कभी जवाहरलाल नेहरू की फूलपुर लोकसभा सीट के अधीन था, जहां सबसे अधिक विरोध हो रहा है। लोगों और अधिकारियों ने अलग-अलग वजहें बताईं कि लोग फॉर्म क्यों नहीं ले रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर सहमत थे कि बंगाल के वोटरों के उलट, उत्तर प्रदेश के लोगों को “बांग्लादेशी” कहे जाने का डर नहीं है। कई लोगों का मानना है कि अगर वे यह काम छोड़ भी दें, तब भी वे वोटर लिस्ट में बने रहने का कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लेंगे।

अधिकारियों का कहना है कि एक वजह यह हो सकती है कि कई वोटरों के नाम कई पोलिंग बूथ पर हैं। इलाहाबाद के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मनीष कुमार वर्मा ने कहा, “बहुत सारे लोगों के नाम दो जगहों पर हैं। कुछ के नाम चार जगहों पर हैं।” उन्होंने फॉर्म लेने से मना करने पर कोई टिप्पणी नहीं की।

लेकिन कुछ वोटर BLO को दोषी मानते हैं। फाफामऊ के 24 वर्षीय स्टूडेंट संकेत शुक्ला ने कहा, “एक BLO ने कुछ लोगों से भरे हुए फॉर्म लेने से मना कर दिया और आधार नंबर पर ज़ोर दिया, जबकि फॉर्म में लिखा था कि यह ऑप्शनल है। अधिकारियों ने हमें यह भी बताया कि कई असेंबली एरिया में 2.5 लाख वोटर रजिस्टर्ड हैं, जो अजीब लगता है। उन्हें उन नामों को बाद में अचानक हटाने के बजाय शुरुआत से ही दिखाना चाहिए।”

सरकारी सूत्रों का कहना है कि फाफामऊ में 46.92 लाख वोटरों में से अब तक सिर्फ 1.5 लाख ही कवर हुए हैं। एक अधिकारी ने कहा, “9 दिसंबर तक टारगेट पूरा करना नामुमकिन है।”

राज्य सरकार ने दो असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर और चार सुपरवाइज़र से पूछा है कि वे काम में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे हैं। सात BLO की सैलरी रोक दी गई है और उनमें से एक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। फाफामऊ के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर हीरालाल सैनी ने कहा, “उनके तय एरिया से गायब रहने पर उनके खिलाफ एक्शन लिया गया।” BLO में आंगनवाड़ी वर्कर, शिक्षा मित्र, पंचायत असिस्टेंट और PWD कर्मचारी शामिल हैं।

इनमें होलागढ़ की आंगनवाड़ी वर्कर शकुंतला यादव भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ फॉर्म बांटने से मना करने पर FIR दर्ज की गई थी। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अपने सीनियर्स से कहा था कि वह “हर गांव वाले की दुश्मन” नहीं बनना चाहतीं।

रीता पांडे, सुनीता मौर्य, सुमन तिवारी और सुनीता भारतीय समेत कई अन्य लोगों की सैलरी रोक दी गई है। इलाहाबाद साउथ के चार BLO ने भी चेतावनी के बावजूद काम करने से मना कर दिया है। खबर है कि उन्होंने कहा कि PWD की ड्यूटी की वजह से उनके पास SIR के काम के लिए समय नहीं है।

फाफामऊ 2017 से BJP के पास है, वहीं फूलपुर 2014 से BJP के पास है, सिवाय 2018–19 के थोड़े समय के लिए जब समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव जीता था। BJP पिछले साल इलाहाबाद लोकसभा सीट कांग्रेस से हार गई थी।

ज्ञात हो कि हाल ही में कथित तौर पर काम के दबाव में कई BLO की मौत और आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। गुजरात के वडोदरा स्थित एक स्कूल में शनिवार 22 नवंबर को ड्यूटी पर तैनात एक महिला बीएलओ सहायक की अचानक गिरने से मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बढ़ते कार्यभार और दबाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में चार दिनों में यह बीएलओ कर्मचारियों की चौथी मौत है। इससे पहले दो बीएलओ कर्मचारियों की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई थी, जबकि एक कर्मचारी की कथित तौर पर काम के दबाव के कारण आत्महत्या की खबर सामने आई थी।

गुजरात का यह ताज़ा मामला वडोदरा के कड़क बाजार स्थित प्रताप स्कूल का है, जहां ड्यूटी के दौरान बीएलओ सहायक उषाबेन इंद्रसिंह सोलंकी अचानक गिर पड़ीं और उनकी मौत हो गई। कुछ ही मिनटों में हुई इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया और उससे जुड़े बढ़ते कार्यभार के पैटर्न पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस मामले में पुलिस का कहना है कि गोरवा महिला आईटीआई में कार्यरत उषाबेन को स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद बीएलओ ड्यूटी पर भेजा गया था। उषाबेन के पति, इंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि परिवार ने पहले ही अधिकारियों को उनकी हालत के बारे में अवगत करा दिया था।

उन्होंने बताया, “मेरी पत्नी की तबीयत पहले से ठीक नहीं थी। हम सुभानपुरा के पीडब्ल्यू क्वार्टर में रहते हैं और वह गोरवा आईटीआई में कार्यरत थीं। हमने अधिकारियों से अनुरोध किया था कि उन्हें बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखा जाए, लेकिन हमारी अपील के बावजूद उन्हें ड्यूटी पर भेज दिया गया।”

क्षेत्रीय कार्य के दौरान अपने पर्यवेक्षक का इंतजार करते हुए उषाबेन अचानक बेहोश हो गईं।

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