Representational image. Photo credit: Ulli Maier and Nisa Maier
सबरंगइंडिया ने कल यूपी के संभल जिले में दलितों पर पिछले सत्तर साल से हो रहे अत्याचार की रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक जिले के फतेहपुर शमसोई गांव के ठाकुर और ब्राह्मण बाल्मीकियों को गांव के नाइयों से बाल-दाढ़ी कटाने नहीं देते थे। एक-दो नाइयों ने यह कोशिश की तो उनके साथ मारपीट की गई। दहशत में वे अपनी दुकानें बंद कर भाग गए थे।
इसके खिलाफ बाल्मीकि धर्म समाज के नेता लल्ला बाबू द्रविड़ ने आवाज उठाई और चेतावनी दी कि अगर दबंग जातियों ने अत्याचार जारी रखे तो दलित मुसलमान बन जाएंगे। लगता है कि यह चेतावनी काम कर गई और अब प्रशासन ने पहल कर मुसलमान नाइयों को दलितों के बाल काटने को कहा है।
मंगलवार को पहली बार गांव के छह नाइयों की दुकानें खुली और बाल्मीकियों को बाल-दाढ़ी कटाने दिए गए। दरअसल दो महीने पहले गांव के नाई आसिफ महबूब ने ऐलान किया था कि वह दलितों समेत हर किसी के बाल-दाढ़ी काटेगा। इसके बाद गांव के कुछ बाल्मिकी युवकों ने उससे बाल कटवाए। लेकिन बाद में आसिफ इससे मुकर गया। दरअसल उसके साथ ठाकुरों ने मारपीट की थी।
डर और ठाकुर ग्राहकों की नाराजगी से उसने दलितों के बाल काटने बंद कर दिए। इसके बाद वीरेश बाल्मिकी ने प्रशासन से शिकायत की थी कि ठाकुरों-ब्राह्मणों की धमकी वजह से मुसलमान नाई उनके बाल दाढ़ी नहीं काट रहे हैं। प्रशासन में शिकायत के बाद नाइयों ने अपनी दुकानें बंद कर दी थीं और कुछ गांव से फरार हो गए थे।
इसके बाद बाल्मिकी धर्म समाज के प्रमुख लल्ला बाबू द्रविड़ ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू किया और चेतावनी दी कि अगर दलितों का अपमान जारी तो वे मुसलमान बन जाएंगे। चेतावनी ने काम किया किया और अब प्रशासन नाइयों के पुलिस सुरक्षा देने को तैयार है।
सबरंगइंडिया ने मंगलवार को ही इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। मीडिया में मामला आने के बाद भजोई के एसएचओ रंजन शर्मा ने नाइयों को पुलिस सुरक्षा देने का वादा किया और कहा कि अब फतेहपुर शमसोई गांव के नाई बाल्मीकियों के बाल-दाढ़ी काटने से इनकार नहीं करेंगे। ठाकुर और ब्राह्मण उन्हें अब उन्हें धमका नहीं सकेंगे। उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
फतेहपुर शमसोई में ठाकुरों और ब्राह्मणों की आबादी 15000 के करीब है। दलितों की आबादी एक हजार के लगभग है। आजादी के बाद से ही दबंग जातियां दलितों को गांव के नाइयों से बाल-दाढ़ी कटाने नहीं देती थी। ठाकुरों का कहना था कि एक ही नाई से उन्होंने बाल—दाढ़ी कटवाए तो वे अशुद्ध हो जाएंगे। दलितों को 15-20 किलोमीटर दूर शहरों में जाकर बाल कटाने पड़ते थे।