भारत में हिंदू विदेशी नहीं हैं, लेकिन असम के हिरासत शिविरों में 'हिंदू' भी मर रहे हैं

Written by sabrang india | Published on: October 16, 2019
भाजपा शासित असम के हिरासत शिविर में दिलीप पॉल 25 वां शिकार बने।



गुवाहाटी: 'भारत में हिंदू विदेशी नहीं हैं', 'हिंदुओं के नागरिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी', 'डिटेंशन कैंप हिंदुओं के लिए नहीं हैं।' आरएसएस और सरसंघचालक, मोहन भागवत से लेकर अमित शाह, भारतीय केंद्रीय गृह मंत्री, हिमंत बिस्वा शर्मा, सिलादित्य देव, आदि बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा हाल ही में ऐसे भड़काऊ और उन्मादी बयान दिए गए। बीजेपी और संघ के नेता लगातार हिंदू हित सुरक्षित रखने के वादे कर अल्पसंख्यमों में सिर्फ मुस्लिमों को बाहर करने का अप्रत्यक्ष इशारा कर रहे हैं लेकिन उनके बयान असम के हिरासत शिविरों में बंद हिंदुओँ की जान नहीं बचा पा रहे। एनआरसी की अंतिम सूची में बाहर किए गए सोनितपुर जिले के ढेकियाजुली पुलिस थाने के अंतर्गत ग्राम अलिसिंगा के दुलाल पॉल की तेजपुर स्थित हिरासत शिविर में मृत्यु हो गई। दुलाल पॉल करीब दो साल से तेजपुर हिरासत शिविर में बंद थे, जहां 13 अक्टूबर, 2019 को सुबह 9:32 बजे उनकी मृत्यु हो गई।

सोनितपुर जिले के ढेकियाजुली पुलिस थाने के तहत अलिसिंगा गांव निवासी दुलाल पॉल (64) को विदेशी घोषित किया गया था। हालांकि, उनके पास उनके पिता राजेंद्र चंद्र पॉल के नाम से 1960 के जमीन के कुछ दस्तावेज उपलब्ध थे। इन्हें दिखाए जाने के बावजूद राज्य के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने उन्हें ‘विदेशी’ घोषित कर दिया। विदेशी करार दिए जाने के बाद दो साल पहले 11 अक्टूबर, 2017 को दुलाल पॉल को तेजपुर हिरासत शिविर में भेज दिया गया था। जब वह तेजपुर हिरासत शिविर में थे, तब उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति बिगड़ गई थी। इस विकट स्थिति में दुलाल पॉल को 28 सितंबर, 2019 को तेजपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। गंभीर रूप से बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण अगले दिन उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में भेजा गया, जहाँ उन्होंने 13 अक्टूबर की सुबह अंतिम सांस ली। 

सबरंग इंडिया से बात करते हुए, दुलाल पॉल के भतीजे, साधन पॉल ने कहा, 'हमारे पास हमारी जमीन के सभी दस्तावेज हैं जो आज से दशकों पहले, 1960 तक के हैं। इन जमीन के दस्तावेजों में दुलाल पॉल के सभी भाई बहनों के नाम हैं जिसके आधार पर उन सभी को 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित अंतिम एनआरसी में शामिल किया गया है। लेकिन यह हमारे लिए गहरी पीड़ा की बात है कि हमारे चाचा, दुलाल पॉल ने 2 साल हिरासत शिविर में बिताने के बाद दम तोड़ दिया।'

असम में छह हिरासत शिविर हैं जहां गरीब और हाशिए पर रहने वाले व्यक्ति विदेशी घोषित कर ठूंस दिए जाते हैं। गृह विभाग द्वारा असम विधान सभा में दो महीने पहले प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन निरोध शिविरों में 1,133 व्यक्ति हैं। असम विधानसभा के उसी सत्र में, गृह मंत्रालय, असम सरकार ने घोषणा की कि इन हिरासत शिविरों में 25 बंदियों की मौत हो गई है, जिनमें से 24 लोग वर्तमान भाजपा राज में मारे गए हैं। भाजपा यहां 2016 से सत्ता में है। अब दुलाल पॉल की मृत्यु के बाद, निरोध शिविर में होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है। वर्तमान भाजपा राज में हिरासत शिविरों में 25 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 12 हिंदू व्यक्ति थे, जो तीन साल और छह महीने के भीतर हिरासत में शिविरों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

इसके बावजूद बीजेपी-आरएसएस का दावा है कि वे बंगाली हिंदुओं के हितों की रक्षा कर रहे हैं?

ऑल असम बंगाली यूथ स्टूडेंट फेडरेशन के अध्यक्ष दीपक डे ने हिरासत में जान गंवाने वाले लोगों की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'कुछ राजनीतिक दल, उसके नेता और उनके अनुयायी बार-बार कह रहे हैं कि हिंदुस्तान में हिंदू विदेशी नहीं हैं। लेकिन, हिरासत में मारे गए दुलाल पॉल एक हिंदू हैं। यह एक सामान्य मौत नहीं बल्कि एक प्रणालीगत हत्या है। वर्तमान सरकार की साजिश के कारण दुलाल पॉल की मृत्यु हो गई। सभी बंगाली हिंदुओं का स्वाभिमान इस पार्टी द्वारा बनाए गए भ्रम से बाहर आना चाहिए, उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश को समझना चाहिए और सभी भारतीय नागरिकों के नागरिक अधिकारों के संरक्षण के लिए खड़ा होना चाहिए।'
 

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