स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा संकलित रिपोर्ट पिछले वर्ष की तुलना में संबंधित सांप्रदायिक घटनाओं में भारी वृद्धि को दर्शाती है।
कर्नाटक के तटीय जिलों में सांप्रदायिक घटनाओं का एक संकलन क्रॉनिकल नाम से प्रकाशित हुआ है। इस संकलन में यहां स्थानीय प्रेस में दर्ज की गई घटनाओं के आधार पर वार्षिक आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े कार्यकर्ता सुरेश बी. भट द्वारा संकलित किए गए हैं जिसमें उन्होंने पाया है कि राज्य के तटीय जिलों में हेट स्पीच के मामलों में चार गुना वृद्धि हुए है जबकि पशु सतर्कता के मामले दो गुना बढ़े हैं।
भट, कर्नाटक सांप्रदायिक सद्भाव फोरम और पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (PUCL) के सदस्य हैं। इन्होंने अपनी रिसर्च में पता लगाया है कि 2020 में इस क्षेत्र में नफरत फैलाने वाले भाषणों की 47 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2019 में 12 घटनाएं हुईं। रिपोर्ट में पाया गया कि 2019 में पशु सतर्कता के 11 मामलों को विपरीत 2020 में 25 मामले सामने आए। रिपोर्ट में मोरल पोलिसिंग और धर्म परिवर्तन के उदाहरण भी देखे गए हैं।
संपूर्ण संकलन यहां देखा जा सकता है:
एक तुलनात्मक तालिका यहां देखी जा सकती है:
कर्नाटक के तटीय जिलों में सांप्रदायिक घटनाओं का एक संकलन क्रॉनिकल नाम से प्रकाशित हुआ है। इस संकलन में यहां स्थानीय प्रेस में दर्ज की गई घटनाओं के आधार पर वार्षिक आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े कार्यकर्ता सुरेश बी. भट द्वारा संकलित किए गए हैं जिसमें उन्होंने पाया है कि राज्य के तटीय जिलों में हेट स्पीच के मामलों में चार गुना वृद्धि हुए है जबकि पशु सतर्कता के मामले दो गुना बढ़े हैं।
भट, कर्नाटक सांप्रदायिक सद्भाव फोरम और पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (PUCL) के सदस्य हैं। इन्होंने अपनी रिसर्च में पता लगाया है कि 2020 में इस क्षेत्र में नफरत फैलाने वाले भाषणों की 47 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2019 में 12 घटनाएं हुईं। रिपोर्ट में पाया गया कि 2019 में पशु सतर्कता के 11 मामलों को विपरीत 2020 में 25 मामले सामने आए। रिपोर्ट में मोरल पोलिसिंग और धर्म परिवर्तन के उदाहरण भी देखे गए हैं।
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