हरियाणा ने माना, राज्य में महिलाएं महफूज नहीं, डीजीपी ने सच्चाई की कुबूल

Written by सबरंगइंडिया स्टाफ | Published on: May 15, 2017

हरियाणा में बेटियों को सुरक्षा देने और लिंगानुपात बढ़ाने के खट्टर सरकार के दावों की पोल खुलती जा रही है रोहतक में निर्भया जैसे एक कांड ने जता दिया है कि महिला सुरक्षा के मामले में बीजेपी शासित यह राज्य कहां खड़ा है


Image courtesy: Daily Mail

बीजेपी शासित राज्य महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से लगातार बदतर होते जा रहे हैं। हरियाणा का खट्टर प्रशासन बीच-बीच में बेटियों को ‘पढ़ाने और बढ़ाने’ के नाम पर बड़े-बड़े कार्यक्रम करता रहता है। लेकिन राज्य में महिलाएं बुरी तरह असुरक्षित होती जा रही हैं। एक साल पहले मुरथल में महिलाओं के साथ गैंगरेप की घटना के बाद अब राज्य में निर्भया कांड जैसी वारदात को अंजाम दिया गया है। तीन दिन पहले रोहतक के एक इंडस्ट्रियल इलाके में 23 साल की लड़की की बुरी तरह क्षत-विक्षत लाश मिली। पुलिस जांच में उसके साथ सामूहिक बलात्कार होने की बात कही जा रही है। बलात्कारियों ने उसके शरीर में कई नुकीली चीजें डाल दी थीं। यह घटना मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई थी कि गुरुग्राम (गुड़गांव) में अपराधियों ने पूर्वोत्तर की एक लड़की के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दे दिया।

इन वारदातों के बाद हरियाणा में बेटियों को सुरक्षा देने और लिंगानुपात बढ़ाने के खट्टर सरकार के दावों की पोल खुलती जा रही है। राज्य में महिलाओं के बेहद असुरक्षित माहौल का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक बी एस संधु ने खुद कहा कि हरियाणा में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आज मदर्स डे पर मुझे यह कहते दुख हो रहा है कि महिलाएं राज्य में महफूज नहीं हैं। महिलाओं की  सुरक्षा का यह आलम है कि आईआईएम रोहतक में छात्राओं की संख्या छह फीसदी रह गई है।

बीजेपी अपने राज्यों में मातृ शक्ति को सशक्त करने की बात करती है। लेकिन इन राज्यों में महिलाओं के खिलाफ वारदातों में कमी आती नहीं दिखती। लव जिहाद विरोधी और एंटी रोमियो अभियानों के नाम महिलाओं की आजादी खत्म करने की कोशिश हो रही है। ऐसा माहौल बना दिया जाता है कि लड़कियों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।

बहरहाल, रोहतक में निर्भया जैसे कांड के बाद खट्टर सरकार कटघरे में है। वैसे भी खट्टर कानून-व्यवस्था संभालने में लगातार नाकाम साबित होते रहे हैं। पिछले साल जाट आरक्षण के दौरान उपद्रवियों और गैर सामाजिक तत्वों ने राज्य में जो तांडव किया था, वह अराजकता की नजीर बन गया था। राज्य में बीजेपी का एक खेमा खट्टर की नाकामियों पर काफी मुखर है। लगातार बढ़ते अपराधों की वजह से खट्टर की प्रशासन पर पकड़ धीमी होती जा रही है। महिला सुरक्षा के नाम पर विपक्ष शासित राज्यों को घेरने वाली भाजपा को अब खुद मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है।
 

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