नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में राजनीति खासकर सूबे के सबसे बड़े सियासी घराने के चाचा-भतीजा की लड़ाई भी चरम पर है। ताजा मामले में हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री व जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने चाचा व इनेलो नेता अभय चौटाला के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का ऐलान किया हैं। दरअसल अभय चौटाला ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजे अपने इस्तीफे में विधानसभा को संवेदनहीन बताया है। उन्होंने कहा है कि किसानों के मुद्दे पर संवेदनहीन विधानसभा में वे नहीं रहना चाहते हैं। यदि 26 जनवरी तक किसानों के हित की बात न हो तो इस पत्र को ही उनका इस्तीफा समझा जाए।

चाचा अभय चौटाला के विधानसभा से सशर्त इस्तीफे को भतीजे यानी डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बड़ा मुद्दा बना लिया है। अभय चौटाला ने स्पीकर को लिखे पत्र-कम-इस्तीफे में कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को मुद्दा बनाया है। कानूनों को काले कानून बताते हुए उन्होंने कहा कि किसान पिछले करीब 50 दिनों से ठंड में दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, 'जिस प्रकार की परिस्थितियां बनाई गई हैं, उन्हें देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में मैं कोई ऐसी भूमिका इन परिस्थितियों में निभा सकूं, जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके'।
अभय ने आखिर में लिखा, 'अत: एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजूदगी कोई महत्व नहीं रखती। इन सभी हालात को देखते हुए यदि केंद्र सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी तक वापस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग-पत्र समझा जाए'।
इस पर दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा को संवेदनहीन बताने को पूरे हाउस का अपमान बताते हुए कहा कि अगले विधानसभा सत्र में अभय चौटाला के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर भाजपा-जजपा विधायकों के अलावा कांग्रेस विधायकों के भी हस्ताक्षर करवाए जाएंगे क्योंकि अभय ने पूरे सदन का अपमान किया है। यह विधानसभा की तौहीन है और इसे माफ नहीं किया जा सकता। चौटाला परिवार की 'सियासी जंग' व इनेलो में हुए बिखराव के बाद से ही चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं। इन दिनों दोनों में किसी तरह के संबंध नहीं हैं। अभय ने अपने बेटों के विवाह में भी अपने बड़े भाई डॉ़ अजय सिंह चौटाला के परिवार को निमंत्रण तक नहीं दिया। बहरहाल, किसानों के बड़े वोट बैंक को देखते हुए अभय द्वारा चली इस सियासी चाल के परिणाम क्या होंगे, इस बारे में तो कह नहीं सकते लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति जरूर गरमा गई है।
दुष्यंत ने कहा है कि जिस सदन के आप (अभय) पांचवीं बार सदस्य बने हैं, उसे संवेदनहीन कैसे कह सकते हैं। यहां तक कि कोई भी नया विधायक जब सदन में आता है तो कहता है कि यह लेाकतंत्र का मंदिर है। उस मंदिर को कोई सदस्य संवेदनहीन कैसे कह सकता है। यदि ऐसा है तो दोबारा चुनाव लड़ कर सदन में नहीं आना चाहिए था। अब आए हैं तो सदन की गरिमा का ख्याल रखें।
हालांकि, खास यह भी है कि ई-मेल द्वारा भेजा गया सशर्त इस्तीफा खारिज होने के बाद इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने अब संशोधित त्यागपत्र विधानसभा भेजा है। शुक्रवार सुबह पार्टी पदाधिकारियों ने विधानसभा सचिवालय जाकर सशर्त इस्तीफा सौंपा। इसके बाद अभय चौटाला ट्रैक्टर पर सवार होकर अंबाला से निकलने वाली ट्रैक्टर यात्रा के लिए कूच कर गए थे। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला ने कहा कि एसवाइएल को लेकर हुए आंदोलन के दौरान भी चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन ने इसी तर्ज पर विधानसभा से इस्तीफे स्पीकर को भेजे थे। तब उन्हें स्वीकार कर लिया गया था। फिर मौजूदा स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करने में क्या हर्ज है। उन्होंने दोहराया कि इस्तीफा मंजूर नहीं होने की स्थिति में वह 27 जनवरी को ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा जाएंगे और वहां स्पीकर से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे।
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि चौटाला चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन के जिस इस्तीफे की बात कर रहे हैं, वह डेट बाउंड नहीं थे। चौटाला ने अपने इस्तीफे में 26 जनवरी तक कृषि कानून रद न होने की शर्त रखी है। वह कानूनी विशेषज्ञों से इस पर सलाह ले रहे हैं और उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे। वह 27 जनवरी को अभय के विधानसभा आने की प्रतीक्षा करेंगे।
अभय चौटाला ने संशोधित इस्तीफे में लिखा है कि तीन कृषि कानूनों को रद कराने के लिए किसान दिल्ली की सरहदों पर करीब 50 दिन से बैठे हैं। सर्दी और बारिश की वजह से 70 से अधिक किसानों ने शहादत दे दी है, परंतु सरकार बार-बार किसानों के साथ बैठकें कर टालमटोल करते हुए समय बर्बाद कर रही है। अगर केंद्र द्वारा 26 जनवरी तक किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो 27 जनवरी को मेरा ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाए।
इनेलो के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कर्ण सिंह चहल अलेवा ने कहा कि चौ अभय सिंह चौटाला ने किसानों के हित में अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है। अब तक प्रदेश के 90 में से किसी विधायक में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि भाजपा सरकार के जुल्मों के खिलाफ और किसानों के हित में अपनी कुर्सी छोड़ दे। लेकिन विपक्षी व सत्ता के लोग कह रहे हैं कि अभय सिंह चौटाला ने इस्तीफा देकर ढोंग किया है। जबकि अभय चौटाला जुबान के धनी हैं। यह तो इस्तीफे की बात है। किसानों के लिए वह सर्वस्व बलिदान के लिए भी तैयार हैं। वहीं, इनेलो के जिला प्रधान रामफल कुंडू ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है। कड़ाके की ठंड में 60 से ज्यादा किसान मर चुके हैं, लेकिन मोदी व खट्टर ने सांत्वना का एक शब्द भी नहीं बोला है।

चाचा अभय चौटाला के विधानसभा से सशर्त इस्तीफे को भतीजे यानी डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बड़ा मुद्दा बना लिया है। अभय चौटाला ने स्पीकर को लिखे पत्र-कम-इस्तीफे में कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को मुद्दा बनाया है। कानूनों को काले कानून बताते हुए उन्होंने कहा कि किसान पिछले करीब 50 दिनों से ठंड में दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, 'जिस प्रकार की परिस्थितियां बनाई गई हैं, उन्हें देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में मैं कोई ऐसी भूमिका इन परिस्थितियों में निभा सकूं, जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके'।
अभय ने आखिर में लिखा, 'अत: एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजूदगी कोई महत्व नहीं रखती। इन सभी हालात को देखते हुए यदि केंद्र सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी तक वापस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग-पत्र समझा जाए'।
इस पर दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा को संवेदनहीन बताने को पूरे हाउस का अपमान बताते हुए कहा कि अगले विधानसभा सत्र में अभय चौटाला के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर भाजपा-जजपा विधायकों के अलावा कांग्रेस विधायकों के भी हस्ताक्षर करवाए जाएंगे क्योंकि अभय ने पूरे सदन का अपमान किया है। यह विधानसभा की तौहीन है और इसे माफ नहीं किया जा सकता। चौटाला परिवार की 'सियासी जंग' व इनेलो में हुए बिखराव के बाद से ही चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं। इन दिनों दोनों में किसी तरह के संबंध नहीं हैं। अभय ने अपने बेटों के विवाह में भी अपने बड़े भाई डॉ़ अजय सिंह चौटाला के परिवार को निमंत्रण तक नहीं दिया। बहरहाल, किसानों के बड़े वोट बैंक को देखते हुए अभय द्वारा चली इस सियासी चाल के परिणाम क्या होंगे, इस बारे में तो कह नहीं सकते लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति जरूर गरमा गई है।
दुष्यंत ने कहा है कि जिस सदन के आप (अभय) पांचवीं बार सदस्य बने हैं, उसे संवेदनहीन कैसे कह सकते हैं। यहां तक कि कोई भी नया विधायक जब सदन में आता है तो कहता है कि यह लेाकतंत्र का मंदिर है। उस मंदिर को कोई सदस्य संवेदनहीन कैसे कह सकता है। यदि ऐसा है तो दोबारा चुनाव लड़ कर सदन में नहीं आना चाहिए था। अब आए हैं तो सदन की गरिमा का ख्याल रखें।
हालांकि, खास यह भी है कि ई-मेल द्वारा भेजा गया सशर्त इस्तीफा खारिज होने के बाद इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने अब संशोधित त्यागपत्र विधानसभा भेजा है। शुक्रवार सुबह पार्टी पदाधिकारियों ने विधानसभा सचिवालय जाकर सशर्त इस्तीफा सौंपा। इसके बाद अभय चौटाला ट्रैक्टर पर सवार होकर अंबाला से निकलने वाली ट्रैक्टर यात्रा के लिए कूच कर गए थे। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला ने कहा कि एसवाइएल को लेकर हुए आंदोलन के दौरान भी चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन ने इसी तर्ज पर विधानसभा से इस्तीफे स्पीकर को भेजे थे। तब उन्हें स्वीकार कर लिया गया था। फिर मौजूदा स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करने में क्या हर्ज है। उन्होंने दोहराया कि इस्तीफा मंजूर नहीं होने की स्थिति में वह 27 जनवरी को ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा जाएंगे और वहां स्पीकर से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे।
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि चौटाला चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन के जिस इस्तीफे की बात कर रहे हैं, वह डेट बाउंड नहीं थे। चौटाला ने अपने इस्तीफे में 26 जनवरी तक कृषि कानून रद न होने की शर्त रखी है। वह कानूनी विशेषज्ञों से इस पर सलाह ले रहे हैं और उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे। वह 27 जनवरी को अभय के विधानसभा आने की प्रतीक्षा करेंगे।
अभय चौटाला ने संशोधित इस्तीफे में लिखा है कि तीन कृषि कानूनों को रद कराने के लिए किसान दिल्ली की सरहदों पर करीब 50 दिन से बैठे हैं। सर्दी और बारिश की वजह से 70 से अधिक किसानों ने शहादत दे दी है, परंतु सरकार बार-बार किसानों के साथ बैठकें कर टालमटोल करते हुए समय बर्बाद कर रही है। अगर केंद्र द्वारा 26 जनवरी तक किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो 27 जनवरी को मेरा ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाए।
इनेलो के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कर्ण सिंह चहल अलेवा ने कहा कि चौ अभय सिंह चौटाला ने किसानों के हित में अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है। अब तक प्रदेश के 90 में से किसी विधायक में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि भाजपा सरकार के जुल्मों के खिलाफ और किसानों के हित में अपनी कुर्सी छोड़ दे। लेकिन विपक्षी व सत्ता के लोग कह रहे हैं कि अभय सिंह चौटाला ने इस्तीफा देकर ढोंग किया है। जबकि अभय चौटाला जुबान के धनी हैं। यह तो इस्तीफे की बात है। किसानों के लिए वह सर्वस्व बलिदान के लिए भी तैयार हैं। वहीं, इनेलो के जिला प्रधान रामफल कुंडू ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है। कड़ाके की ठंड में 60 से ज्यादा किसान मर चुके हैं, लेकिन मोदी व खट्टर ने सांत्वना का एक शब्द भी नहीं बोला है।