मोदी जी के नाम एक खुला पत्र

Written by Girish Malviya | Published on: September 2, 2018
बात तो NPA पर होनी ही चाहिए मोदी जी,.... कल आप इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की शुरुआत करते हुए खूब गरजे कि लोन डिफॉल्टर्स से सरकार एक-एक पैसा वसूल रही है ओर एनपीए समस्या के लिए यूपीए सरकार ही जिम्मेदार है,..... ब्ला ब्ला ब्ला.....नामदार कामदार... आदि ..इत्यादि..



पर मोदी जी आपने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में कर्जदारों पर कुछ ठोस कार्यवाही क्या की ? विजय माल्या भगा दिए गए, नीरव मोदी 'अपने मेहुल भाई' भगा दिए गए आपने जो दीवालिया कानून बनाया है वह भी इतना लचर कानून है कि अभी तक सिर्फ 1 या 2 मामले ही इसके अंतर्गत हल हो पाए हैं बाकी सब मामले कानूनी पचड़ों में पड़े हैं.

वैसे माल्या से याद आया.... क्या जनता जानती हैं कि देश का सबसे बड़ा कर्जदार व्यक्ति कौन है इस संदर्भ में जो आखिरी आँकड़ा 2016 में आया था उसके अनुसार अनिल अंबानी की कंपनी अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप पर देश मे सबसे ज्यादा कर्ज है उन पर 1 लाख 13 हजार करोड़ रूपये का कर्ज उस वक्त यानी 2016 में ही था दूसरे नम्बर पर रुइया भाइयों का एस्सार समूह है और उस पर भी एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है इसके बाद अनिल अग्रवाल का वेदांता ओर फिर गौतम अडानी का अडानी ग्रुप चौथा सबसे बड़ा कर्जदार ग्रुप है.

देश के सबसे बड़े कर्जदार को आपने फ्रांस के साथ हुए राफेल के सौदे में पार्टनर बनवा दिया, 2015- 16 में रक्षा खरीद में मेक इन इंडिया की नीति को रिलायंस डिफेंस के पक्ष में किस तरह मोड़ा गया यहाँ बताने बैठूँगा तो कितने ही पन्ने भर जाएंगे, आज रिलायंस डिफेंस रिलायंस नेवल बन कर दीवालिया होने वाला है.

आपने कल कहा कि UPA सरकार में कितना पैसा फंसा है यह देश से छुपाया गया, चलिए तो आपने क्या किया आपने भी उन कर्जदाताओं के नाम छुपा लिए........... 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ऋण न चुकाने वालों (डिफॉल्टरों) की सूची को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ही इस सूचना को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था.

इस सूचना में एक करोड़ रुपये या अधिक के कर्जों की नियमित अदायगी न करने वालों की जानकारी मांगी गयी थी चलिए सूचना के अधिकार को भी छोड़िए.

8 नवम्बर 2016 को की गयी नोटबन्दी के कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट से यह सूचना छिपाई गयी कि किन 57 लोगों के ऊपर 85 हज़ार करोड़ का कर्ज बकाया है. कोर्ट ने रिज़र्व बैंक से पूछा था कि आखिर इन लोगों के नाम सार्वजनिक क्यों नहीं कर दिए जाते ? तब भी आप मोदीं जी इन लोगों के साफ साफ बचा गये !

चलिए 2016 की भी छोड़िए हम आज की ही बात कर लेते हैं संसद में वित्त मामलों की स्थायी समिति ने आपके पिछले सालो के काम का अध्ययन करते हुए यह पाया कि आपके कार्यकाल में बैंक नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में 6.2 लाख करोड़ रुपये की बढ़त हुई है. यह आंकड़ा मार्च 2015 से मार्च 2018 के बीच का है. समिति की एक ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह से बैंकों को 5.1 लाख करोड़ रुपये तक की प्रोविजनिंग करनी पड़ी हैं जब कोई लोन वापस नहीं मिलता है तो बैंक को उस रकम की व्यवस्था किसी और खाते से करनी होती है तो इसे प्रोविजनिंग करना कहा जाता है.

इस समिति ने RBI से सवाल किया है कि वह आखिर दिसंबर, 2015 में हुई बैंको की एसेट क्वालिटी की समीक्षा (AQR) से पहले जरूरी उपाय अपनाने में विफल क्यों रहा? समिति के सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे, समिति ने इसकी वजह जाननी चाही है कि आखिर क्यों कर्जों के रीस्ट्रक्चरिंग (वापसी की शर्तों में फेरबदल) के द्वारा दबाव वाले खातों को एनपीए बनने दिया जा रहा है?

यानी खेल बिल्कुल साफ है पहले UPA ने इन उद्योगों को, उद्योगपतियों को कर्ज दिया फिर जब आपकी सरकार आयी तो आपने इन कर्ज़ डुबोने वाले उद्योगपतियों को ओर कर्ज दिया टेक्निकल भाषा मे आपने कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग कर दी लेकिन नाम फिर भी आपने सामने नही आने दिए क्योंकि ये नाम आपके चहेते उद्योगपतियों के ही थे.

ओर अब आप इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखे जाने से रोक रहे हो.

देश में 9,339 कर्जदार ऐसे हैं जिन्होंने एक लाख 11 हजार करोड़ रु का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया यानी यह लोग विलफुल डिफॉल्टर है कानूनन इनका नाम बताया जा सकता हैं लेकिन तब भी उनका नाम डिस्क्लोज नही किया जा रहा है.

चीन तो आपका यार है कभी चीन में उन लोगो के क्या हाल किये जाते हैं जो इस तरह जानबूझकर कर्ज नही देते यह पता किजीएगा.........

मोदी जी सच तो यह है कि आपने अपने मित्रों को बचाने के लिए पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भयानक कर्ज के जाल में उलझा दिया है.

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