पुणे। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोनों मुख्य आरोपियों गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को 14 अप्रैल को सरेंडर करना है। 14 अप्रैल को ही आंबेडकर जयंती है जिसको लेकर कई संगठनों के समर्थकों ने ट्विटर पर #DoNotArrestAnand की मुहिम छेड़ दी है। गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवानी की अपील पर सैकड़ों यूजर्स ट्वीट कर 'अभिव्यक्ति की आजादी' की खातिर आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तार न करने की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि पिछले हफ्ते भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा था। गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को सुप्रीम कोर्ट ने अबतक गिरफ्तारी से राहत दे रखी थी। मगर अब उन्हें जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की दी हुई मोहलत मंगलवार को खत्म हो रही है।
जिग्नेश मेवानी ने लिखा, 'आनंद तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमारा साथ दें। आंबेडकर जयंती पर आनंद की गिरफ्तारी राष्ट्रीय शर्म की बात है।' जिग्नेश ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'इतिहास में 14 अप्रैल 2020 के दिन को काले अक्षरों में लिखा जाएगा, जब वैश्विक महामारी के बीच दलित कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया।'
इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने लिखा, 'पिछले साल 13 अप्रैल को मैंने और आनंद ने जलियांवालाबाग हत्याकांड पर व्याख्यान दिया था। उम्मीद नहीं थी कि ठीक एक साल बाबासाहेब की जयंती के मौके पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।'
पिछले हफ्ते बुधवार को आनंद और गौतम की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता काफी लंबे समय तक संरक्षण का लाभ उठा चुके हैं। अंतिम अवसर के रूप में हम उन्हें समर्पण करने के लिये एक सप्ताह का समय देते हैं।’ कोर्ट ने कहा कि इसके बाद उनके समर्पण करने की अवधि आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
बता दें कि 1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा को लेकर गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने केस दर्ज किया था। उनपर माओवादियों से संबंध होने का आरोप लगा। पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित यलगार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों ने अगले दिन भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा भड़का दी थी। पुलिस के मुताबिक, सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।

बता दें कि पिछले हफ्ते भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा था। गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को सुप्रीम कोर्ट ने अबतक गिरफ्तारी से राहत दे रखी थी। मगर अब उन्हें जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की दी हुई मोहलत मंगलवार को खत्म हो रही है।
जिग्नेश मेवानी ने लिखा, 'आनंद तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमारा साथ दें। आंबेडकर जयंती पर आनंद की गिरफ्तारी राष्ट्रीय शर्म की बात है।' जिग्नेश ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'इतिहास में 14 अप्रैल 2020 के दिन को काले अक्षरों में लिखा जाएगा, जब वैश्विक महामारी के बीच दलित कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया।'
इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने लिखा, 'पिछले साल 13 अप्रैल को मैंने और आनंद ने जलियांवालाबाग हत्याकांड पर व्याख्यान दिया था। उम्मीद नहीं थी कि ठीक एक साल बाबासाहेब की जयंती के मौके पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।'
पिछले हफ्ते बुधवार को आनंद और गौतम की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता काफी लंबे समय तक संरक्षण का लाभ उठा चुके हैं। अंतिम अवसर के रूप में हम उन्हें समर्पण करने के लिये एक सप्ताह का समय देते हैं।’ कोर्ट ने कहा कि इसके बाद उनके समर्पण करने की अवधि आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
बता दें कि 1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा को लेकर गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने केस दर्ज किया था। उनपर माओवादियों से संबंध होने का आरोप लगा। पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित यलगार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों ने अगले दिन भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा भड़का दी थी। पुलिस के मुताबिक, सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।