जयपुर में एक और बिसाहड़ा कांड तैयारी बीफ की अफवाह पर होटल पर हमला

Written by Kavita Srivastava | Published on: March 21, 2017
जयपुर में गोरक्षकों ने सिर्फ बीफ की अफवाह पर यहां के एक मशहूर होटल पर हमला किया और इसके कर्मचारियों से साथ मारपीट की। गोरक्षकों के दबाव में पुलिस और नगर निगम ने मिलकर होटल को सील कर दिया। कानून को धता बताने वाले इस इंतिहा से शहर का मुस्लिम समुदाय सकते में है।

Rabbani Hotel


वारदात  - होटल हयात रब्बानी का मामला, पोलो विक्टरी, जयपुर
तारीख – 19 मार्च, 2017
वक्त – शाम छह बजे से
गिरफ्तारी – रिसेप्शनिस्ट वसीम और क्लीनर कासिम की, जयपुर पुलिस मालिक नईम रब्बानी की भी गिरफ्तारी की कोशिश
आरोप  - धारा 151 के तहत शांति भंग करने का

होटल अब जेएमसी की ओर से सील। कचरे के ढेर से मांस के सैंपल लिए गए। जांच के लिए भेजा जाएगा।

राष्ट्रीय महिला गोरक्षक सेवा मंडल की कमल दीदी नाम की एक महिला ( वह कमल दीदी के तौर पर ही अपना हस्ताक्षर भी करती हैं) ने जयपुर नगर निगम की मदद से सड़कों पर भटकती गायों को इकट्ठा करके गोशाला भेजने के काम में लगी थीं। तभी रब्बानी होटल का क्लीनर जयपुर के कांति चंद्र रोड के किनारे खाली प्लॉट में लगे डस्टबिन में होटल का कचरा डालने आया। आसपास के होटल में काम करने वाले और यहां रहने वाले ज्यादातर लोग अपना कूड़ा यहीं डालते हैं। यहां घूमती आवारा गाएं अक्सर खाने की तलाश में इस कूड़ेदान की ओर आ जाती हैं। उस दिन जैसे ही लोगों ने कचरे की थैलियां कूड़ेदान की ओर फेंकना शुरू की। गायें तुरंत उस ओर लपक पड़ीं। कासिम ने होटल को जो बचा खाना फेंका था उसमें कुछ चिकन और मांस की हड्डियां भी थीं।

बस, फिर क्या था। कमल दीदी ने कासिम को पीटना शुरू कर दिया और गायों को बीफ खिला कर अपवित्र करने का आरोप लगाने लगीं। कमल दीदी और उनके साथ आए लोग कासिम को घसीट कर होटल में ले आए। देखते ही देखते वहां सैकड़ों लोग जुट आए। सभी होटल के मालिक रब्बानी को किस न किसी तरह निकालना चाह रहे थे। पुलिस बुला ली गई। लेकिन उसने आरोप लगाया था कि होटल के अंदर बीफ बनाया और परोसा जा रहा था। पुलिस के साथ मीडिया के लोग भी आ गए। वैसे भी गोरक्षक हमेशा मीडिया के साथ ही आते हैं। पुलिस को रब्बानी नहीं मिले तो उसने भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत होटल के रिसेप्शनिस्ट वसीम को गिरफ्तार कर लिया।

होटल में पुलिस को जमात के इस्लामी हिंद के स्टूडेंट्स विंग के ब्रोशर मिले। मौलाना वहीदुद्दीन के सांप्रदायिक सौहार्द और जमात से जुड़ा साहित्य मिला। लिहाजा पुलिस सीधे नईम रब्बानी के बारे में पूछते हुए जमात ए इस्लामी के दफ्तर पहुंच गई। जब वह वहां नहीं मिले तो उसने फेमस विलेन अजीत के – उसकी मां, बहन को उठा लाओ के अंदाज में उनके रिश्तेदार अब्दुल रहमान को हिरासत में ले लिया। जबकि रहमान का होटल से कोई लेना-देना नहीं था।

उसी दौरान लोगों ने मुझसे संपर्क किया।

मैं तुरंत सिंधी कैंप पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़ी। पुलिस ने उनके रिश्तेदार को छोड़ दिया था। रास्ते में हमें पता चला कि पुलिस ने होटल के दो और लोगों को उठा लिया है। अब्दुल रहमान को सुरक्षित उनके घर तक छोड़ने के बाद हम इन दोनों लोगों से मिलने और उन्हें  छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचे। उन्हें थाने में रोक लिया गया था। बाद में उऩ्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का इरादा था।

इस पूरे मामले में यह चौंकाने वाली बात थी कि होटल में बीफ परोसे जाने की अफवाह भर पर पुलिस ने मीट का सैंपल लिया और जयपुर नगरनिगम ने इसे सील भी कर दिया। उन्होंने होटल में मौजूद सभी अतिथियों को बाहर निकाल दिया और इसे सील कर दिया।

यह भी दुखद है कि होटल हयात रब्बानी को बेहतरीन सर्विस समेत अन्य चीजों के लिए होटल एसोसिएशन से लगातार अवार्ड मिलते रहे हैं। ऐसे होटल को बगैर जांच के सील कर दिया गया। रब्बानी को सुबह पुलिस का सामने हाजिर होने को कहा गया। उन्हें धारा 151 के तहत थाने में रखा जाना था। हालांकि बाद में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जयपुर में बिसाहड़ा कांड होने से बच गया।

इस घटना से शहर में मुस्लिमों के नेता सकते में हैं। वह देख कर सकते में हैं किस तरह पुलिस ने दबाव में घुटने टेक दिए और सिर्फ एक आरोप के आधार पर रब्बानी और उनके स्टाफ के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में ले लिया। इस घटना से मुस्लिम समुदाय और उनके नेता बेहद परेशान हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने खुल्लमखुल्ला यह कहा कि मीट का सैंपल संदिग्ध था और मटन या चिकन की तरह नहीं लग रहा था।

तो हालात ये हैं कि यूपी में योगी आदित्यनाथ ने अभी ठीक से कार्यभार संभाला नहीं है कि कथित गोरक्षकों की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने एक मुस्लिम की ओर से चलाए जाने वाले होटल में गोमांस परोसे जाने का आरोप लगा कर हंगामा करने और कानून को हाथ लेने में कोई देरी नहीं की। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि यह काम हयात के अगल-बगल के होटल मालिकों के इशारे पर हुआ होगा, जो इसके बढ़ते कारोबार से चुनौती महसूस कर रहे थे। इस हंगामे के वक्त वार्ड पार्षद निर्मला शर्मा खुद वहां मौजूद थीं और निगम कर्मियों को होटल सील करने का निर्देश दे रही थीं। जब यह सब हो रहा था कि वहां इकट्ठा भीड़ जय श्रीम राम के नारे लगा रहे थी। यहां तक कि इसे पूरे चार घंटे के ड्रामा यानी शाम छह बजे से रात साढ़े दस बजे तक लगातार जय श्रीराम के नारे लगते रहे। भीड़ उत्तेजक और भड़काऊ नारेबाजी करती रही।

कासिम और वसीम रात भर पुलिस स्टेशन में रहे। कड़ी मेहनत से अपने बिजनेस को संवारने वाले रब्बानी को अब पुलिस का सामना करना होगा। उनके दोस्त और मुस्लिम समुदाय के लोग कह रहे हैं कि कूड़ेदान ने होने की वजह से पूरे जयपुर में लोग सड़क किनारे कूड़ा फेंक रहे हैं। फिर हमें ही इस तरह कूड़ा फेंकने पर निशाना बनाया जा रहा है। जब मैंने इस घटना के बारे में पुलिस से शिकायत की तो अधिकारियों ने कहा कि हम तभी एक्शन ले सकते हैं जब कोई लिखित रूप में औपचारिक शिकायत करे।
 
राजस्थान में बीफ से जुड़ा यह पहला मामला नहीं है। 30 मई 2015 को नागौर जिले में खिमसार तहसील बिरलोका गांव 60 साल के अब्दुल्ल गफ्फार कुरैशी को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। इस अफवाह पर कि मुस्लिमों ने एक भोज के लिए 200 गायों को मार डाला है। गायों के कंकाल सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित किए गए थे।

हजारों की संख्या में कुम्हारी गांव के खेतों में कंकाल फेंके गए थे। लेकिन इन खेतों में कंकाल फेंकने का ठेका किराया देकर नगर निगम के ठेकेदारों ने लिया था । यह निगम का रूटीन काम था। लेकिन इन कंकालों के आधार पर अफवाह फैलाई गई। भड़काऊ भाषण दिए गए और लोगों ने विरोध में जुलूस निकाले। इस बीच, 60 साल के अब्दुल्ल गफ्फार भीड़ के हत्थे चढ़ गए। और उन्मादियों ने उस 60 साल के शख्स को भरे बाजार आयरन रोड से पीट-पीट कर मार डाला, जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था। उनके कुछ हिंदू पड़ोसियों ने उन्हें बचाने की कोशिश लेकिन उन्मादियों ने उन्हें मार डाला। दरअसल कुछ लोग उन्हें गांव से बाहर खदेड़ना चाहते थे इसलिए इसके बहाने उन पर हमला किया गया था।

पीयूसीएल, जयपुर के होटल और इसके मालिक के खिलाफ की कई कार्रवाई की कड़ी आलोचना करता है। वह कमल दीदी की आलोचना करता है,जिसने नईम रब्बानी को बदनाम करने की कोशिश की और जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल से अपील करता है कि होटल कारोबारियों और उनके धंधे पर हो रहे हमले को तुरंत रोकने के कदम उठाएं।

गोरक्षकों और वार्ड पार्षद के दबाव में रब्बानी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जयपुर वेस्ट के डीसीपी और स्थानीय पुलिस के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए। साथ ही वार्ड पार्षद के दबाव में होटल को सील करने के लिए जयपुर नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
 
कविता श्रीवास्तव, पीपुल्स यूनियन्स फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीए) की सेक्रेट्री हैं 
 

बाकी ख़बरें