किसानों के आंदोलन का दिखने लगा है असर, खाने-पीने की चीजें हो रही हैं महंगी

Published on: June 8, 2017

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दूध, सब्जियों और कुछ फलों की सप्लाई कमजोर पड़ने लगी है। दिल्ली-एनसीआर की थोक मंडियों में प्याज के दाम बढ़ने लगे हैं।



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महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन का असर खाने-पीने की चीजों के दाम पर दिखने लगा है। कर्ज माफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की मांग कर रहे किसान पिछले एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे हैं और इसकी वजह से दूध, सब्जियों और कुछ फलों की सप्लाई कमजोर पड़ने लगी है। महाराष्ट्र में नासिक प्याज का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है। लेकिन वहां से सप्लाई पर असर पड़ने की वजह से दिल्ली-एनसीआर की थोक मंडियों में प्याज के दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। थोक मंडी में 1 जून को एक क्विंटल प्याज की न्यूतम कीमत 300 रुपये थी लेकिन 6 जून को यह बढ़ कर 600 रुपये हो गई। इसी तरह 1 जून को अधिकतम कीमत 750 रुपये प्रति क्विंटल थी लेकिन 6 जून को यह बढ़ कर 875 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। आजादपुर मंडी में प्याज के थोक विक्रेता राजेंद्र शर्मा के मुताबिक मध्य प्रदेश से भी प्याज की आवक में कमी हो रही है। किसानों की हड़ताल से दिल्ली आजादपुर मंडी में रोजाना प्याज की 50-60 गाड़ियां आती थीं लेकिन अब यह घट कर 30 गाड़ियां रह गई हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि हड़ताल की वजह से दूध की सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान किसान कई जगहों  पर हजारों लीटर दूध सड़कों पर बहाते नजर आए। महाराष्ट्र में तो कई जगहों पर पुलिस रक्षा में दूध की सप्लाई सुनिश्चित की गई। मध्यप्रदेश के बड़े शहरों, भोपाल, इंदौर और उज्जैन में दूध और सब्जियों की किल्लत आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही शुरू हो गई थी।

 बीजेपी सरकार लगातार महंगाई कम होने का बखान कर रही है। लेकिन अपनी मांगों को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन अगर पूरे देश में भड़का तो उसे लेने के देने पड़ सकते हैं। किसानों की इस निराशा का असर फसल उत्पादन पर भी पड़ सकता है। दाम न मिलने से नाराज किसान अगले सीजन में रकबा (जोत क्षेत्र ) घटा सकते हैं। इससे अनुमानित फसल उत्पादन के लक्ष्य को चोट पहुंच सकती है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों का असंतोष खत्म नहीं किया तो 2019 के चुनावों में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
 

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