नई दिल्ली। दिल्ली में किसान आंदोलन के प्रमुख प्रदर्शन स्थलों में से एक टिकरी बॉर्डर पर कथित रूप से जहरीला पदार्थ खाने वाले एक किसान की बुधवार को एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान 42 वर्षीय जय भगवान राणा के तौर पर हुई है। वह हरियाणा के रोहतक जिले में पकासमा गांव के रहने वाले थे। उन्होंने बताया कि राणा ने मंगलवार को टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर सल्फास की गोलियां खा ली थीं।
राणा ने अपने कथित सुसाइड नोट में लिखा था कि वह एक छोटा किसान है और केंद्र के नए कृषि कानून के खिलाफ बहुत से किसान सड़कों पर हैं। उसने एक पत्र में लिखा, ‘सरकार कहती है कि यह सिर्फ दो या तीन राज्यों का मामला है, लेकिन पूरे देश के किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दुखद है कि अब यह सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि मुद्दों की लड़ाई बन गया है। किसानों और केंद्र के बीच बातचीत में भी गतिरोध बना हुआ है।’
पुलिस उपायुक्त (बाहरी दिल्ली) ए। कोअन ने कहा कि राणा को एंबुलेंस से संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
इस तरह एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अब तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं। बीते नौ जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर एक किसान ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई थी।
इससे पहले गाजीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 75 साल के एक किसान ने बीते दो जनवरी को कथित रूप से फांसी लगा ली थी। उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में बिलासपुर निवासी सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई थी।
इसी तरह 28 दिसंबर 2020 को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से कुछ दूरी पर पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पहचान पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद निवासी अमरजीत सिंह के रूप में हुई थी। अमरजीत सिंह टिकरी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगराहां से जुड़े किसानों के साथ आंदोलन में शामिल थे।
सबसे पहले 16 दिसंबर 2020 को हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले 65 वर्षीय एक सिख संत बाबा राम सिंह ने कुंडली बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान 42 वर्षीय जय भगवान राणा के तौर पर हुई है। वह हरियाणा के रोहतक जिले में पकासमा गांव के रहने वाले थे। उन्होंने बताया कि राणा ने मंगलवार को टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर सल्फास की गोलियां खा ली थीं।
राणा ने अपने कथित सुसाइड नोट में लिखा था कि वह एक छोटा किसान है और केंद्र के नए कृषि कानून के खिलाफ बहुत से किसान सड़कों पर हैं। उसने एक पत्र में लिखा, ‘सरकार कहती है कि यह सिर्फ दो या तीन राज्यों का मामला है, लेकिन पूरे देश के किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दुखद है कि अब यह सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि मुद्दों की लड़ाई बन गया है। किसानों और केंद्र के बीच बातचीत में भी गतिरोध बना हुआ है।’
पुलिस उपायुक्त (बाहरी दिल्ली) ए। कोअन ने कहा कि राणा को एंबुलेंस से संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
इस तरह एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अब तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं। बीते नौ जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर एक किसान ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई थी।
इससे पहले गाजीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 75 साल के एक किसान ने बीते दो जनवरी को कथित रूप से फांसी लगा ली थी। उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में बिलासपुर निवासी सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई थी।
इसी तरह 28 दिसंबर 2020 को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से कुछ दूरी पर पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पहचान पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद निवासी अमरजीत सिंह के रूप में हुई थी। अमरजीत सिंह टिकरी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगराहां से जुड़े किसानों के साथ आंदोलन में शामिल थे।
सबसे पहले 16 दिसंबर 2020 को हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले 65 वर्षीय एक सिख संत बाबा राम सिंह ने कुंडली बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।