पिछले साल 18 दिसंबर को एक अन्य प्रदर्शनकारी किसान रणजोध सिंह ने भी इसी जगह पर आत्महत्या कर ली थी।
तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने शंभू बॉर्डर पर जहर खाकर कथित तौर पर अपनी जान दे दी, जहां किसान करीब एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेताओं ने बताया कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी एक पोस्ट में कहा गया, "बहुत दुख और पीड़ा के साथ, हम आपको रेशम सिंह जी के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हैं, जिन्होंने सल्फास खा लिया था। उन्हें पटियाला के राजिंद्र अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने अस्पताल में अपना आखिरी बयान दर्ज कराया।"
तीन सप्ताह के भीतर विरोध स्थल पर यह दूसरी आत्महत्या है। किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि रेशम सिंह फसलों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की किसानों की मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता से काफी नाराज थे।
पिछले साल 18 दिसंबर को एक अन्य प्रदर्शनकारी रणजोध सिंह ने भी इसी जगह पर आत्महत्या कर ली थी। बताया जाता है कि वह 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत से परेशान थे जो 26 नवंबर 2024 से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोके जाने के बाद बीते 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, खनौरी सीमा पर 26 नवंबर 2024 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी बिगड़ती सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने पंजाब सरकार द्वारा दी जाने वाली मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि इसी महीने की शुरूआत में "खनौरी बॉर्डर पर मंच से महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि जीत उनकी ही होगी। वह 40 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। यह सब भगवान की इच्छानुसार हो रहा है। भगवान उन्हें इसके लिए शक्ति दे रहा है। उन्होंने किसानों की आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा- सुसाइड पर अंकुश जरूरी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन असल में अब तक 7 लाख से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं। मेरी किसानों से अपील है कि बड़ी संख्या में आगे आएं, ताकि आंदोलन को बल मिल सके।"
मालूम हो कि खनौरी बॉर्डर इस महापंचायत में भारी संख्या में किसान जुटे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, दल्लेवाल स्ट्रेचर और एंबुलेंस की मदद से महापंचायत (मंच) तक पहुंचे और उन्होंने करीब 9 मिनट तक किसानों को संबोधित किया। इसके बाद उन्हें मंच से उतार लिया गया।
एमएसपी क्यों महत्वपूर्ण है?
किसान संगठनों ने कहा है कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी), किसानों से फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय निकाय, बीज, उर्वरक, शाकनाशी, कीटनाशक, डीजल और कटाई की इनपुट लागत की गणना के लिए गलत पद्धति का इस्तेमाल कर रहा है। जबकि सीएसीपी ने ए2+एफएल फॉर्मूला का इस्तेमाल किया है, किसान उपज पर उचित रिटर्न के लिए सी2+50 प्रतिशत की मांग कर रहे हैं। ए2 में उर्वरक, कीटनाशक, शाकनाशी और डीजल जैसी प्रमुख लागतें शामिल हैं, जबकि एफएल में अवैतनिक पारिवारिक श्रम शामिल है। सी2 में व्यापक लागतें शामिल हैं, जिसमें पारंपरिक लागतों के अलावा भूमि पर किराया और ब्याज भी शामिल है।
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किसानों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की
दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के बीच किसानों का 30 दिसंबर को पंजाब बंद का ऐलान
तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने शंभू बॉर्डर पर जहर खाकर कथित तौर पर अपनी जान दे दी, जहां किसान करीब एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेताओं ने बताया कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी एक पोस्ट में कहा गया, "बहुत दुख और पीड़ा के साथ, हम आपको रेशम सिंह जी के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हैं, जिन्होंने सल्फास खा लिया था। उन्हें पटियाला के राजिंद्र अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने अस्पताल में अपना आखिरी बयान दर्ज कराया।"
तीन सप्ताह के भीतर विरोध स्थल पर यह दूसरी आत्महत्या है। किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि रेशम सिंह फसलों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की किसानों की मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता से काफी नाराज थे।
पिछले साल 18 दिसंबर को एक अन्य प्रदर्शनकारी रणजोध सिंह ने भी इसी जगह पर आत्महत्या कर ली थी। बताया जाता है कि वह 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत से परेशान थे जो 26 नवंबर 2024 से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोके जाने के बाद बीते 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, खनौरी सीमा पर 26 नवंबर 2024 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी बिगड़ती सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने पंजाब सरकार द्वारा दी जाने वाली मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि इसी महीने की शुरूआत में "खनौरी बॉर्डर पर मंच से महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि जीत उनकी ही होगी। वह 40 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। यह सब भगवान की इच्छानुसार हो रहा है। भगवान उन्हें इसके लिए शक्ति दे रहा है। उन्होंने किसानों की आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा- सुसाइड पर अंकुश जरूरी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन असल में अब तक 7 लाख से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं। मेरी किसानों से अपील है कि बड़ी संख्या में आगे आएं, ताकि आंदोलन को बल मिल सके।"
मालूम हो कि खनौरी बॉर्डर इस महापंचायत में भारी संख्या में किसान जुटे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, दल्लेवाल स्ट्रेचर और एंबुलेंस की मदद से महापंचायत (मंच) तक पहुंचे और उन्होंने करीब 9 मिनट तक किसानों को संबोधित किया। इसके बाद उन्हें मंच से उतार लिया गया।
एमएसपी क्यों महत्वपूर्ण है?
किसान संगठनों ने कहा है कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी), किसानों से फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय निकाय, बीज, उर्वरक, शाकनाशी, कीटनाशक, डीजल और कटाई की इनपुट लागत की गणना के लिए गलत पद्धति का इस्तेमाल कर रहा है। जबकि सीएसीपी ने ए2+एफएल फॉर्मूला का इस्तेमाल किया है, किसान उपज पर उचित रिटर्न के लिए सी2+50 प्रतिशत की मांग कर रहे हैं। ए2 में उर्वरक, कीटनाशक, शाकनाशी और डीजल जैसी प्रमुख लागतें शामिल हैं, जबकि एफएल में अवैतनिक पारिवारिक श्रम शामिल है। सी2 में व्यापक लागतें शामिल हैं, जिसमें पारंपरिक लागतों के अलावा भूमि पर किराया और ब्याज भी शामिल है।
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