आक्रोशित किसानों ने मोदी, शाह, खट्टर का पुतला फूंक मनाया काला दिवस, दिल्ली कूच 29 तक टला

Written by Navnish Kumar | Published on: February 24, 2024
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश भर के किसानों ने सरकारी बर्बरता के खिलाफ आक्रोश जताते हुए शुक्रवार को काला दिवस मनाया। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। पंजाब के किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं। हालांकि दिल्ली कूच अभी 29 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया है। दूसरी ओर, शुक्रवार को हिसार के प्रदर्शनकारी किसानों जो ‘दिल्ली कूच’ में शामिल होना चाहते हैं, के साथ हिसार के खेड़ी चौपाटा में पुलिस की झड़प हुई। कई किसानों को हिरासत में लेने की खबर है। खास है कि खेड़ी चौपाटा, शंभू और खनौरी बॉर्डर पर शुक्रवार को भी हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। 



शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने ‘काला दिवस’ मनाया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के पुतले जलाएं। SKM के तय कार्यक्रम के अनुसार, किसान 26 फरवरी को राजमार्गों पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में अखिल भारतीय किसान मजदूर महापंचायत आयोजित करेंगे। खास है कि SKM दिल्ली कूच आंदोलन का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसने इसे समर्थन दिया है।

पंजाब में जगह जगह फूंके मोदी-शाह के पुतले

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर शुक्रवार को पंजाब के किसानों ने राज्य भर में व्यापक रोष प्रदर्शन करके ‘काला दिवस’ मनाया। महिला किसानों और खेत मजदूर के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी उनका साथ दिया। दिल्ली कूच के दौरान किसानों के साथ पुलिसिया बर्बरता के विरोध स्वरूप देश भर में, खासतौर से पंजाब में किसानों ने ‘काला दिवस’ मनाया। जानकारी के मुताबिक पटियाला, लुधियाना, मलेरकोटला, संगरूर, बरनाला, बठिंडा, मानसा, मोगा, फरीदकोट, अमृतसर, जालंधर, श्रीमुक्तसर साहिब, गुरदासपुर, तरनतारन, मोहाली, चंडीगढ़ और फतेहगढ़ साहिब में हजारों की तादाद में पुरुष और महिला किसानों ने रोष-प्रदर्शन में शिरकत की। कस्बों और गांवों में भी किसानों और खेत मजदूरों ने एकजुट होकर ‘काला दिवस’ मनाया। तमाम जगह केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्य के गृहमंत्री अनिल विज के पुतले जलाए गए।

खास है कि हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच हिंसा में मारे गये किसान शुभकरण सिंह के प्रति शोक व्यक्त करने के लिए ‘एसकेएम ने ‘काला दिवस’ मनाने का आह्वान किया था। इसी सिलसिले की अगली कड़ी में किसान 26 फरवरी को विरोध स्वरूप ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। इस बीच मृतक युवा किसान शुभकरण सिंह के परिजनों ने हरियाणा सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शुभकरण की मौत दरअसल हत्या है। इसके लिए हरियाणा सरकार और पुलिस सीधे तौर पर दोषी है। उधर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुभकरण के परिवार को एक करोड़ रुपए की नगद सहायता और युवा किसान की बहन को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। ‘एक्स’ पर ट्वीट करके भगवंत मान ने यह जानकारी दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने शुक्रवार को कहा कि उसने सिंह की मौत के विरोध में पंजाब के 17 जिलों में 47 स्थानों पर प्रदर्शन किया। भारती किसान यूनियन (भाकियू-एकता उगराहां), एसकेएम का हिस्सा है। भाकियू (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के पुतले फूंके। अमृतसर में, किसानों ने मुख्य प्रवेश बिंदु न्यू गोल्डन गेट पर, भाजपा नीत केंद्र सरकार का पुतला फूंका।

एसकेएम नेता रतन सिंह रंधावा ने कहा कि सीमा पर स्थित डोएकी, महिमा, पंडोरी, मोधे और रातोकी सहित विभिन्न गांवों में विरोध प्रदर्शन किया गया। एसकेएम और व्यापार संघों के सदस्यों ने संयुक्त रूप से लुधियाना में लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने शाह, खट्टर और विज के पुतले फूंके। प्रदर्शनकारियों ने मंत्रियों के इस्तीफे और सिंह की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की।

आइपीएफ ने मनाया काला दिवस

किसानों की फसलों का सी-2 प्लस 50 फीसद फार्मूला के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे बर्बर दमन और एक किसान की हत्या के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा व ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आवाहन पर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाया। आईपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर  दारापुरी ने किसानों की मांगों को वाजिब बताते हुए केंद्र सरकार से इन सवालों को हल करने और किसानों के बर्बर दमन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

लखनऊ समेत अन्य जिलों में हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट घरानों की एजेंट के बतौर काम कर रही है। यही वजह है कि तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में हुए ऐतिहासिक आंदोलन में केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी कानून बनाने का जो वायदा किया गया था उसे पूरा करने के बजाय किसानों के बर्बर दमन पर आमादा है। पंजाब, हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस द्वारा किसान शुभकरण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई और पैलेट गन व रबर बुलेट, आंसू गैस से लगातार हमले किए जा रहे हैं। किसानों पर ढाया जा रहा यह दमन लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। कार्यक्रम का लखीमपुर में आईपीएफ प्रदेश अध्यक्ष डॉ बीआर गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, आगरा में राष्ट्रीय संगठन महासचिव इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, सीतापुर में मजदूर किसान मंच के महामंत्री डॉ बृज बिहारी, उपाध्यक्ष सुनीला रावत, गया प्रसाद, प्रयागराज में युवा मंच संयोजक राजेश सचान व अध्यक्ष अनिल सिंह, चंदौली में अखिलेश दुबे व अजय राय, सोनभद्र में राजेंद्र प्रसाद गोंड, कृपा शंकर पनिका, मंगरु प्रसाद श्याम, मनोहर गोंड आदि ने नेतृत्व किया।

खेड़ी चौपाटा में हिंसक झड़प, टकराव

हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को हिसार जिले के खेड़ी चोपता में आंदोलनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, जबकि सूत्रों ने संकेत दिया कि क्षेत्र में तनाव के बीच किसान नेता सुरेश कोथ सहित उनमें से लगभग एक दर्जन को हिरासत में लिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के समर्थन में किसान पिछले पांच दिनों से खेड़ी चोपता पर धरने पर बैठे थे। सूत्रों ने कहा कि बड़े आंदोलन के समर्थन में उनकी शुक्रवार को पंजाब की खनौरी सीमा की ओर बढ़ने की योजना थी. हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप टकराव हुआ। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की, जबकि आंदोलनकारियों ने उन पर पथराव किया। पथराव में कुछ किसानों को चोटें आई हैं। इससे पहले दिन में पंजाब-हरियाणा सीमा पर झड़प के दौरान मारे गए 22 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह के परिवार ने पंजाब सरकार द्वारा दी गई 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि को ठुकरा दिया। इस बीच, किसान नेताओं ने कहा कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, वे युवक के शव का पोस्टमॉर्टम नहीं होने देंगे। शुभकरण के परिवारवालों ने उनकी मौत के लिए हरियाणा पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। इधर, हरियाणा की अंबाला पुलिस ने बीते गुरुवार को कहा था कि वे ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं के खिलाफ कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका/एनएसए) के तहत कार्रवाई करेंगे. हालांकि शुक्रवार को पुलिस ने इस बयान को वापस ले लिया।

दोषियों पर दर्ज होगा एफआईआर तब होगा शुभकरण का अंतिम संस्कार

‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग लेने वाले किसान नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच झड़प के दौरान मारे गए शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार तब तक नहीं होगा जब तक पंजाब सरकार इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती। जनचौक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बयान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा एक करोड़ रुपये के मुआवजे और शुभकरण की बहन के लिए सरकारी नौकरी की घोषणा के कुछ घंटों बाद आया।

बठिंडा के मूल निवासी 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की बुधवार को हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच झड़प के बीच पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी सीमा बिंदु पर मृत्यु हो गई। यह घटना तब हुई जब किसान बैरिकेड्स की ओर बढ़े, जिसकी कई परतें हरियाणा के अधिकारियों ने किसानों को उनके मार्च को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लगाई थीं, और पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। पटियाला स्थित राजिंदरा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार, शुभकरण के सिर पर चोट लगी थी। किसानों द्वारा अपनी मांगें मानने के लिए दबाव डालने के कारण पोस्टमार्टम में देरी हुई। 

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने पटियाला में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा था कि शुभकरण की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा, “हमने (शुभकरण) परिवार से कहा है कि इसमें दो दिन या 10 दिन लग सकते हैं। हमारे लिए पैसा महत्वपूर्ण नहीं है। हम मांग कर रहे हैं कि एफआईआर दर्ज की जाए और फिर दाह संस्कार किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि शुभकरण के परिवार पर दाह संस्कार के लिए सहमत होने के लिए “दबाव” डाला जा रहा है।

किसान मजदूर मोर्चा के साथ ‘दिल्ली कूच’ का नेतृत्व कर रहे एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने दावा किया कि बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज नहीं कर सकी है। दल्लेवाल ने कहा, “अगर आप मामला दर्ज नहीं कर सकते, तो आप खुद को ‘पंजाब दे राखे’ (पंजाब का रक्षक) कैसे कह सकते हैं।” उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा कि अगर उन्होंने मामला दर्ज किया, तो हरियाणा के सुरक्षाकर्मी भी ऐसा करेंगे। 

दल्लेवाल ने कहा, “हमारे आंदोलन के दौरान एक युवक की मौत हो गई। हमारी प्राथमिकता उसके लिए न्याय सुनिश्चित करना है। हम इस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह पंजाब सरकार पर निर्भर है कि वह हमें कितनी जल्दी न्याय देगी।” राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च के आह्वान पर अगली कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर पंधेर ने कहा, “हम एक बैठक करेंगे और अपना रुख स्पष्ट करेंगे।”

शुभकरण की बहन के लिए मुआवजे और नौकरी की घोषणा

पंजाब के सीएम मान ने शुक्रवार को शुभकरण की बहन के लिए मुआवजे और नौकरी की घोषणा की। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा “खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए शुभकरण सिंह के परिवार को पंजाब सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” किसान नेता शुभकरण सिंह को ”शहीद” का दर्जा देने की भी मांग कर रहे थे। सीएम मान ने बुधवार को कहा कि वह युवा किसान की मौत से दुखी हैं और उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा था, “पोस्टमार्टम के बाद मामला दर्ज किया जाएगा। उनकी मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”



किसानों का दिल्ली कूच अब 29 फरवरी तक टला

किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वे अब 29 फरवरी तक दिल्ली कूच नहीं करने वाले हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि अब 29 फरवरी तक के लिए दिल्ली कूच को टाल दिया गया है। असल में एक किसान की मौत के बाद से जमीन पर तनाव की स्थिति बनी हुई है, पहले भी उस वजह से दिल्ली कूच को टाल दिया गया था। अब उसी तारीख को और ज्यादा आगे बढ़ा दिया गया है। 

बड़ी बात ये है कि किसानों को अभी तक सरकार से पांचवी बातचीत का प्रस्ताव नहीं आया है। ऐसे में ये तकरार और ज्यादा खिच सकती है और विवाद भी बढ़ सकता है। वैसे सरकार की तरफ से तो पहले ही कई तरह के वादे कर दिए गए हैं। गन्ना किसानों को बड़ी सौगात देते हुए खरीद मूल्य भी आठ फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन किसान इससे खुश नजर नहीं आ रहे हैं, वे तो अभी भी अपनी पुरानी मांगों पर अडिग हैं।

इसके ऊपर कल यानी कि शनिवार को किसान द्वारा कैंडल मार्च निकालने की तैयारी है। किसान संगठन के नेता सरबन सिंह पंढेर ने कहा है कि शुभकरण सिंह की मौत के बाद से हम सभी दुखी हैं। इसलिए 24 फरवरी को कैंडल मार्च निकाला जाएगा। वैसे जिस शख्स की मौत का दावा किया गया है, हरियाणा पुलिस ने उसे सिरे से खारिज कर दिया था, कहा गया था कि ये अफवाह मात्र है। अभी के लिए किसान और सरकार के बीच में कई दिनों से चला आ रहा गतिरोध बना हुआ है। चुनावी मौसम में केंद्र के लिए ये आंदोलन एक सिरदर्दी बनता जा रहा है, एक तरफ पुलिस बल को लगातार जमीन पर मुस्तैद रहना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो चुकी है। किसानों को दिल्ली ना जाने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार हमलावर हैं। उनका तर्क है कि दिल्ली में किसानों को जंतर-मंतर या कोई दूसरी जगह प्रदर्शन करने के लिए दे देनी चाहिए।

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