नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने किया आरपार की लड़ाई का ऐलान

Written by Navnish Kumar | Published on: October 28, 2020
5 नवंबर को देशव्यापी हाइवे जाम तथा 26-27 को दिल्ली चलो का किया आह्वान


 
मंगलवार का दिन किसान आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में हुई बैठक में देश के लगभग सभी किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के खिला़फ एकता दिखाते हुए, सरकार को चेताया है और आर-पार की लड़ाई (आंदोलन) का ऐलान किया है। 

किसान संगठनों ने साझा तौर से 5 नवंबर को देशभर के हाइवे जाम करने तथा 26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया है। सभी संगठनों के नेताओं ने एक सुर में कहा है कि सरकार को किसान विरोधी तीनों काले क़ानून वापस लेने ही होंगे।

देश के प्रमुख किसान मंचों ने, जिनके घटक संगठन 500 से अधिक हैं, जिसमें अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग ग्रुप और सरदार बलबीर सिंह राजेवाल और गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व वाले संगठन शामिल हैं।  

इसके साथ ही गुरूद्वारा रकाबगंज में देश भर में किसान विरोधी, जनविरोधी तीनों कृषि कानूनों तथा बिजली बिल 2020 के विरुद्ध एक व्यापक संयुक्त मंच का गठन किया गया है। इसका नेतृत्व एक समन्वय समिति करेगी जिसमें सरदार वीएम सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, राजू शेट्टी व योगेन्द्र यादव शामिल हैं।



समिति ने संयुक्त रूप से देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया जिसके तहत 5 नवम्बर को देशव्यापी हाइवे जाम व 26-27 नवम्बर 2020 को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया। साथ ही राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक जन गोलबंदियां की जाएंगी तथा इन मांगों पर आंदोलन विकसित किया जाएगा। 

किसान नेताओं ने बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा पंजाब में सवारी गाड़ियों के न चलने की स्थिति में माल गाड़ियों के संचालन को भी रोकने की कड़ी निन्दा की और इसे जनता के विरुद्ध ब्लेकमेलिंग का तरीका बताते हुए, किसी भी जनवादी सरकार के लिए शर्मनाक काम करार दिया है।

बैठक में शामिल भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि देश के विभिन्न प्रदेशों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में पूरे देश में काले कृषि कानूनों के विरुद्ध साझे आंदोलन का फैसला लिया गया है। जिसके तहत 5 नवंबर को दिन के 12 बजे से शाम 4 बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम रखने का फैसला लिया गया है। तथा उसके बाद 26-27 नवंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे।

किसान नेता ने कहा कि बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि देश के जो अन्य संगठन जो अभी तक आंदोलन में शामिल नहीं हो सके हैं या अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाएगा और उनसे समन्वय बढ़ाया जाएगा।

खास है कि संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित हुए कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 अब कानून बन चुके हैं। सरकार का कहना है कि नये कानून से कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आएगा लेकिन किसान संगठनों का आरोप है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि केवल और केवल कॉरपोरेट को होगा। 

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान संगठनों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए।

पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों को आशंका है कि उनको बिजली बिल में जो अनुदान मिल रहा है, वह भी सरकार आने वाले दिनों में समाप्त कर सकती है।

सरदार वीएम सिंह ने कहा कि चौकीदार आवारा पशुओं से खेतों की रक्षा करने की बजाय पूंजीपतियों को खेतों के रास्ता दिखाने में लगा है। ऐसे चौकीदार को बदलना होगा।

योगेंद्र यादव व राजू शेट्टी ने कहा कि आज का दिन किसान आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण दिन हैं। दिल्ली में हुए बैठक में देश के लगभग सभी किसान संगठनों ने आज तीनो किसान विरोधी कानूनों के खिला़फ एकता दिखा कर सरकार को चेता दिया है। 26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' आंदोलन की घोषणा हुई। कहा सरकार को तीनों किसान विरोधी क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।

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