पत्रकारों को डराने के लिए कानून के दुरुपयोग पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई चिंता

Written by sabrang india | Published on: May 14, 2020
नई दिल्ली। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों को डराने के लिए आपराधिक कानूनों के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। गिल्ड का कहना है कि ‘फेस ऑफ नेशन ’नामक एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक और मालिक धवल पटेल को न केवल हिरासत में लिया गया बल्कि उनके खिलाफ राजद्रोह और आपदा कानून के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया।



इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस के एक पत्रकार को जांच के सिलसिले में बुलाने के लिए नोटिस दिया गया और जांच में शामिल नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई, जो सीधे तौर पर पत्रकारों को चेतावनी देने जैसा है। गिल्ड इसकी निंदा करता है और कानून के दुरुपयोग रोकने की मांग करता है।

एक बयान में गिल्ड ने कहा है कि धवल पटेल ने गुजरात में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर एक रिपोर्ट लिखी थी जिसे लेकर उन पर यह कार्रवाई की गई। इस रिपोर्ट में उन्होंने राज्य में नेतृत्व बदलाव की आशंका जताई थी। जिसे लेकर उन पर आईपीसी की धारा 124 के तहत राजद्रोह और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 54 के तहत झूठी दहशत फैलाने का आरोप लगाया गया।

गिल्ड ने कहा कि दूसरा मामला दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से जुड़ा है। दिल्ली पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह मनराल को सिटी एडिटर और चीफ रिपोर्टर के माध्यम से एक नोटिस भेजकर 10 मई को तलब किया। साथ ही उसे धमकी दी गई कि जांच में शामिल नहीं होने पर आईपीसी की धारा 174 के तहत जेल की सजा और जुर्माना की कानूनी कार्रवाई हो सकती है। 

गिल्ड का कहना है कि गुजरात और दिल्ली में पुलिस की कार्रवाई कानून के दुरुपयोग के उदाहरण हैं। सरकार और पुलिस को यह समझना चाहिए कि मीडिया किसी भी लोकतंत्र में शासन संरचना का एक अभिन्न अंग है। गिल्ड इन कार्रवाइयों की निंदा करता है और राज्य तथा केंद्र सरकारों को स्वतंत्र प्रेस को धमकी देने के लिए कानून का दुरुपयोग करने से रोकने की मांग करता है। इससे पहले गिल्ड ने श्रीनगर की फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट मसरत जाहरा और ‘द हिंदू’ के रिपोर्टर पीरजादा आशिक के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के बर्ताव पर चिंता जताई थी और दोनों के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग की थी।

बाकी ख़बरें