नेताओं से नहीं होता नियमों का पालन, EC में आचार संहिता उल्लंघन की 504 शिकायतें दर्ज

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 10, 2019

भारत में इस बार लोकसभा चुनाव 2019 किसी जंग से कम नहीं लग रहा है। चुनाव आयोग के पास दर्ज शिकायतें इस बात का प्रमाण है। एक ओर कुल 543 लोकसभा सीट पर मतदान किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग के पास आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी अब तक कुल 504 शिकायतें दर्ज की जा चुकी है। वेबसाइट पर जारी आकड़े में आयोग ने बताया कि सिर्फ यूपी से ही 139 शिकायत दर्ज की गई है।



इन शिकायतों का हिसाब किया जाए तो यूपी 139 शिकायतों के साथ सूची में प्रथम पायदान पर है। जिसमे प्रदेश के सीएम योगी सहित कई अन्य प्रतिष्ठित नेताओं के नाम शामिल हैं। हालांकि प्रदेश में इन शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है। निर्वाचन आयोग द्वारा जो भी रिपोर्ट मांगी जाती  है वह  तुरंत भेज दी जाती है। चुनाव कार्यालय स्तर पर कोई मामला लंबित नहीं है।         

साथ ही 504 में से 62 शिकायतें वापस ले ली या कैंसिल कर दी गई है। वहीं  5 आयोग को दिए गए सुझावों और प्रस्तावों को लेकर थे इसलिए इन्हें शिकायतों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इतना ही नहीं लगभग 251 शिकायतों का निस्तारण आयोग द्वारा किया जा चुका है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आयोग ने करीब 65% मामलों का निस्तारण कर लिया है।

आचार संहिता उल्लंघन की इन  शिकायतों में राजनीतिक दलों से लेकर चुनाव अधिकारियों, पुलिस, विभिन्न कंपनियों और बैंक व पोस्ट ऑफिस तक सभी विभाग से लोग शामिल हैं।


अब आपको बताते हैं आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी कुछ शिकायतें।    

बंगाल में रैली के दौरान पीएम मोदी ने प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी पर तंज कसते हुए उनकी पार्टी के 40 नेताओं को खुद के संपर्क में होने की बात कही थी। जिसके बाद टीएमसी ने उनपर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

किरण खेर के ट्विटर हैंडल पर ‘अब की बार, मोदी सरकार’ का नारा लगते बच्चों का वीडियो शेयर किया गया था। जिसके बाद आयोग के द्वारा जवाब मांगने  पर किरण ने कहा था कि वीडियो न ही उन्होंने बनाया है और न ही उनकी अनुमति से बनाया गया है। इसे किसी मशेंद्र सिंधु ने बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसे उनकी सोशल मीडिया टीम ने पोस्ट कर दिया। उन्होंने अब इसे डिलीट करवा दिया है और अपनी टीम से आगे से ऐसा न करने को कहा है। 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तो उनके ‘अली-बजरंग बली’ के बयान को लेकर 72 घंटों का बैन लगाया गया था। इतना ही नहीं भारत की सेना को ‘मोदी की सेना’ कहने पर आयोग ने योगी जी को सतर्क भी किया था।

यह किस्से बहुत लंबे हैं, जिनपर शायद अलग से थीसिस लिखी जा सकती है। पर निर्वाचन आयोग के शिकायतों के आकड़े देखकर यह सवाल खड़ा होता है कि क्या नियम बनाने वालों के लिए नियम का पालन करना इतना मुश्किल है? 

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