हाथरस गैंगरेप मामले में FSL रिपोर्ट पर सवाल उठाने पर डॉक्टर बर्खास्त

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 21, 2020
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के हाथरस में पिछले महीने एक दलित युवती से कथित गैंगरेप, बर्बरता और हत्या के मामले में FSL रिपोर्ट पर सवाल उठाने वाले अलीगढ़ के डॉक्टर अजीम मलिक को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की नौकरी से निकाल दिया गया है। 



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. मलिक उस अस्पताल में इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल ऑफ़िसर के पद पर तैनात थे। हाथरस पीड़िता की MLC रिपोर्ट भी इन्हीं की टीम ने बनाई थी। डॉ. मलिक के अलावा उनकी टीम के सहयोगी डॉ ओबेद हक़ को भी पद से बर्खास्त कर दिया गया है। डॉ हक़ ने पीड़िता के मेडिकल लीगल केस रिपोर्ट पर दस्तख़त किए थे।

यूपी पुलिस ने पीड़िता की FSL रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि पीड़िता के साथ रेप नही हुआ है। इस पर डॉ. मलिक ने कहा था कि FSL का सैंपल रेप के 11 दिन बाद लिया गया था, जबकि सरकारी गाइडलाइन्स के मुताबिक़ रेप के 96 घंटे के भीतर लिए सैंपल में ही रेप की पुष्टि हो सकती है। मंगलवार को JNMCH के CMO डॉ. शाह ज़ैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी। 

इधर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि डॉ. मलिक और डॉ. ओबेद के निष्कासन का हाथरस केस से लेना देना नहीं है। कोविड की वजह से कुछ डॉक्टर बीमार पड़ गए थे जिसकी वजह से इन दोनों डॉक्टरों को "लीव वेकेंसी" पर लाया गया था और अब इनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है। उधर, डॉ अज़ीम मलिक का कहना है कि हाथरस केस में मीडिया से बात करने की उन्हें सज़ा दी गई है।

बता दें कि पिछले महीने 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में 20 साल की एक दलित युवती के साथ खेत में गांव के ही उच्च जाति के चार युवकों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया था। उसके बाद उसके साथ मारपीट और बर्बरता की थी। पीड़िता के शरीर पर कई जगह गंभीर चोट थे, उसकी रीढ़ की हड्डी पर भी गंभीर चोट थी। बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसकी मौत पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।


 

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