पेंट बनाने में इस्तेमाल होने वाले कथित जहरीली रसायन से बने कफ सिरप से 16 बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर गिरफ्तार

Written by sabrang india | Published on: October 6, 2025
जांच से पता चला है कि डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) का कंटेमिनेशन संभावित कारण है। ये दोनों रसायन बेहद जहरीले औद्योगिक सॉल्वेंट हैं जिनका इस्तेमाल पेंट, रंग, रेजिन, प्लास्टिक, एंटीफ़्रीज़ और ब्रेक प्लूड में किया जाता है और ये दवाइयों में इस्तेमाल के लिए नहीं हैं।


साभार : आईटीजी/इंडिया टुडे

मध्य प्रदेश में 16 बच्चों की मौत के बाद अधिकारियों ने शनिवार को डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया। डॉक्टर ने बच्चों के लिए कफ सिरप लिखी थी। इन 16 मौतों में से 14 छिंदवाड़ा में और बाकी दो संदिग्ध मौतें बैतूल में हुईं।

इससे पहले, पुलिस ने डॉ. सोनी और कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी अंकित सहलम की शिकायत पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देश पर छिंदवाड़ा जिले के परासिया में तैनात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन्हें बच्चों के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है।

जांच में पता चला है कि डॉ. सोनी ने ज्यादातर प्रभावित बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया था। शुक्रवार को जारी प्रयोगशाला रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) था, जो एक जहरीला रसायन है जिसके इस्तेमाल गलने पर किडनी फेल होने और मौत का कारण बन सकता है।

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों (स्वास्थ्य), स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस कर कफ सिरप के इस्तेमाल और दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने पर चर्चा की जाएगी।

मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि छिंदवाड़ा में 16 बच्चों की मौत से जुड़े उसी बैच से लिए गए नमूनों में ज़हरीले पदार्थ की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी। इन बच्चों में से नौ की पहले और दो की बाद में मौत हुई थी।

राज्य के ड्रग कंट्रोलर द्वारा जारी एक निर्देश के अनुसार, तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाए जाने वाले सिरप को तमिलनाडु औषधि नियंत्रण निदेशालय की 2 अक्टूबर की एक रिपोर्ट में "नन स्टैंडर्ड एंड डिफेक्टिव (एनएसक्यू)" पाया गया।

अधिकारियों ने कहा कि कंटेमिनेशन के कारण यह दवा मानव इस्तेमाल के लिए असुरक्षित है। राज्य सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री, वितरण और निपटान पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि अगली सूचना तक सभी उपलब्ध स्टॉक को सील कर दिया जाए।

इस आदेश के तहत श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। कंपनी पहले से ही तमिलनाडु के अधिकारियों की जांच के दायरे में है, जिन्होंने 1 अक्टूबर को इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था, जब प्रारंभिक रिपोर्टों में मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से कोल्ड्रिफ का संबंध बताया गया था।

वहीं, द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार (5 अक्टूबर, 2025) को श्रीसन फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके गंभीर दुष्प्रभावों के चलते मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत हो गई थी।

राज्य के सहायक औषधि प्रशासन आयुक्त ने सभी औषधि निरीक्षकों को उत्तर प्रदेश के सरकारी और निजी दोनों संस्थानों से श्रीसन फार्मास्युटिकल, छिंदवाड़ा द्वारा निर्मित कफ सिरप के नमूने इकट्ठा करने के निर्देश जारी किए हैं।

आदेश में अगली सूचना तक सरकारी और निजी संस्थानों में कफ सिरप के आयात और निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है। अधिकारियों ने जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई एहतियात के तौर पर की जा रही है ताकि आगे कोई दुष्प्रभाव न हो और राज्य में दवाओं की सुरक्षा पर नजर रखी जा सके।

इससे पहले, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कथित तौर पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भोपाल और जयपुर में विरोध प्रदर्शन किया।

मध्य प्रदेश में, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला के इस्तीफे की मांग करते हुए उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। जयपुर में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।

आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना को लेकर जयपुर में केसन्स फार्मा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

पार्टी कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार और लापरवाही का हवाला देते हुए कंपनी को तुरंत बंद करने की मांग की। उन्होंने नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति देने के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि यह देश और देशवासियों के साथ अन्याय है। कार्यकर्ताओं ने एएनआई को बताया, "कई बच्चों की जान चली गई है और कई बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल और आईसीयू में भर्ती हैं...जब डॉक्टर ने वही सिरप पीया, तो वह बेहोश हो गए और उन्हें भर्ती कराना पड़ा..."।

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल के बाद महाराष्ट्र कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर रोक लगाने वाला राज्य बन गया है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने घोषणा की कि राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग ने एहतियात के तौर पर इस उत्पाद की सभी बिक्री पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि चिन्हित बैच केरल में वितरित नहीं किया गया था, लेकिन कहा कि सरकार ने "बेहद सावधानी" बरतते हुए यह कदम उठाया है।

उन्होंने कहा, "औषधि नियंत्रक ने निरीक्षकों को राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप का वितरण और बिक्री पूरी तरह से रोकने का निर्देश दिया है।" उन्होंने आगे कहा कि केरल में इस उत्पाद को बेचने वाले सभी आठ वितरकों को तुरंत अपना काम बंद करने का निर्देश दिया गया है।

मंत्री ने आगे कहा, "मेडिकल स्टोर्स को भी अपने मौजूदा स्टॉक को हटाने के लिए कहा गया है।"

डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG): मौतों के पीछे ज़हरीले रसायन

रिपोर्ट के अनुसार, जांच से पता चला है कि डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) का कंटेमिनेशन संभावित कारण है। ये दोनों रसायन बेहद जहरीले औद्योगिक सॉल्वेंट हैं जिनका इस्तेमाल पेंट, रंग, रेजिन, प्लास्टिक, एंटीफ़्रीज़ और ब्रेक प्लूड में किया जाता है और ये दवाइयों में इस्तेमाल के लिए नहीं हैं।

इनकी थोड़ी सी मात्रा भी गुर्दे और लीवर की खराब हो सकते हैं, तंत्रिका संबंधी नुकसान और मृत्यु का कारण बन सकती है, खासकर बच्चों में। इसी तरह के DEG-संबंधी जहर दुनिया भर में मौतें का कारण बने हैं - विशेष रूप से गाम्बिया (2022) में, जहां कमेटमिनेटेड कफ सिरप पीने से 70 बच्चों की मौत हो गई।

डीईजी कंटेमिनेशन पर वैश्विक स्वास्थ्य चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2022 से डीईजी/ईजी से कंटेमिनेशन ओवर-द-काउंटर दवाओं के लिए छह वैश्विक चिकित्सा उत्पाद चेतावनियां जारी की हैं, जिनके कारण दुनिया भर में 300 से ज्यादा बच्चों की मौत का अनुमान है।

इस तरह के कंटेमिनेशन का पता लगाने के लिए, डब्ल्यूएचओ दो-स्तरीय परीक्षण प्रक्रिया की सिफारिश करता है यानी गैर-अनुपालन के लिए प्रारंभिक पतली परत क्रोमैटोग्राफी (टीएलसी) स्क्रीनिंग और उसके बाद प्रमाणित प्रयोगशालाओं या क्षेत्रीय केंद्रों पर गैस क्रोमैटोग्राफी पुष्टि।

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