मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती समारोह पर सियासी घमासान देखने को मिला। बीजेपी को टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने पर ऐतराज जताती आई है वहीं कांग्रेस मनाती रही है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल प्रकाश डाल रहे हैं कि अंग्रेजों के दुश्मन लिस्ट में कौन राजा शामिल थे।
अनपढ़ संघियों को कोई बताए कि टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों, ब्राह्मण पेशवा और निजाम तीनों की संयुक्त फौज का मुकाबला किया था। मामला हिंदू-मुसलमान का था ही नहीं। देशभक्ति और गद्दारी का था। ब्राह्मण पेशवा और निजाम गद्दार थे। टीपू ईमान का पक्का देशभक्त था।
जिस ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज कभी नहीं डूबता था, उसके सरकारी आर्मी म्यूज़ियम ने एक लिस्ट बनाई है, उन विरोधी सेनापतियों की, जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए सबसे बडा ख़तरा बने। इस लिस्ट में टीपू सुल्तान शामिल हैं। इस लिस्ट में नेपोलियन और जॉर्ज वाशिंगटन भी हैं। भारत से सिर्फ दो नाम हैं। दूसरा नाम झाँसी की रानी का है।
संघी लोग हनुमान चालीसा के अलावा कुछ पढ़ते नहीं है, वरना मैं उन्हें ब्रिटिश आर्मी म्यूज़ियम से संबंधित खबर का लिंक पढने को कहता।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब टीपू अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में जुटा था, तब पेशवा, तंजौर के राजा और त्रावणकोर नरेश ब्रिटिश के साथ संधि कर चुके थे। टीपू इन राजाओं के खिलाफ भी लड़ा। अब इसका क्या किया जा सकता है कि ये राजा हिंदू थे।
टीपू हैदराबाद के निज़ाम के खिलाफ भी लड़ा जो मुसलमान था। स्कूल की किताबों में तीसरा मैसूर युद्ध देखिए। इसमें टीपू के खिलाफ अंग्रेजों, पेशवा और निज़ाम की संयुक्त फ़ौज लड़ी थी।
यह हिंदू बनाम मुसलमान का मामला ही नहीं है। शर्म की बात है कि संघियों की बेवक़ूफ़ियों की वजह से वह शानदार विरासत आज विवादों में है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह आर्टिकल उनके फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)
अनपढ़ संघियों को कोई बताए कि टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों, ब्राह्मण पेशवा और निजाम तीनों की संयुक्त फौज का मुकाबला किया था। मामला हिंदू-मुसलमान का था ही नहीं। देशभक्ति और गद्दारी का था। ब्राह्मण पेशवा और निजाम गद्दार थे। टीपू ईमान का पक्का देशभक्त था।
जिस ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज कभी नहीं डूबता था, उसके सरकारी आर्मी म्यूज़ियम ने एक लिस्ट बनाई है, उन विरोधी सेनापतियों की, जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए सबसे बडा ख़तरा बने। इस लिस्ट में टीपू सुल्तान शामिल हैं। इस लिस्ट में नेपोलियन और जॉर्ज वाशिंगटन भी हैं। भारत से सिर्फ दो नाम हैं। दूसरा नाम झाँसी की रानी का है।
संघी लोग हनुमान चालीसा के अलावा कुछ पढ़ते नहीं है, वरना मैं उन्हें ब्रिटिश आर्मी म्यूज़ियम से संबंधित खबर का लिंक पढने को कहता।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब टीपू अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में जुटा था, तब पेशवा, तंजौर के राजा और त्रावणकोर नरेश ब्रिटिश के साथ संधि कर चुके थे। टीपू इन राजाओं के खिलाफ भी लड़ा। अब इसका क्या किया जा सकता है कि ये राजा हिंदू थे।
टीपू हैदराबाद के निज़ाम के खिलाफ भी लड़ा जो मुसलमान था। स्कूल की किताबों में तीसरा मैसूर युद्ध देखिए। इसमें टीपू के खिलाफ अंग्रेजों, पेशवा और निज़ाम की संयुक्त फ़ौज लड़ी थी।
यह हिंदू बनाम मुसलमान का मामला ही नहीं है। शर्म की बात है कि संघियों की बेवक़ूफ़ियों की वजह से वह शानदार विरासत आज विवादों में है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह आर्टिकल उनके फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)